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संवैधानिक पद से सक्रिय राजनीति में लौटे हैं कई राजनेता, बेबी रानी मौर्य नहीं है कोई अपवाद

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Published : Mar 26, 2022, 8:30 AM IST

Updated : Mar 26, 2022, 9:28 AM IST

Baby Rani Maurya takes oath as cabinet minister
बेबी रानी मौर्य ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली

योगी सरकार में बेबी रानी मौर्य ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली. वे आगरा ग्रामीण सीट से विधायक हैं. इससे पहले बेबी रानी उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं. और तो और उनके पहले भी कई राज्यपाल ऐसा कर चुके हैं.

देहरादूनः यूपी की राजधानी लखनऊ में कल योगी सरकार 2.0 का शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ. योगी सरकार में बेबी रानी मौर्य ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली. वे आगरा ग्रामीण सीट से विधायक हैं. इससे पहले बेबी रानी उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं. हालांकि राज्यपाल के पद पर रहने के बाद सक्रिय राजनीति करने वाली बेबी रानी मौर्य ऐसा करने वाली पहली राजनीतिज्ञ नहीं हैं. इसके पहले भी कई राज्यपाल ऐसा कर चुके हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में.

कल्याण सिंहः कल्याण सिंह (Kalyan Singh) का नाम यूपी की राजनीति के बड़े नेताओं में शामिल किया जाता है. 24 जून 1991 से 6 दिसंबर 1992 तक कल्याण सिंह यूपी के सीएम रहे. इसके बाद 4 सितंबर 2014 को केंद्र ने कल्याण सिंह को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया. कल्याण सिंह 8 सितंबर 2019 तक राजस्थान के राज्यपाल के पद पर रहे. इस दौरान 28 जनवरी 2015 से 12 अगस्त 2015 तक उनके पास हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का भी अतिरिक्त कार्यभार रहा. राज्यपाल रहने के बाद वह साल 2019 में एक बार फिर सक्रिय राजनीति में आए और 9 सितंबर 2019 को कल्याण सिंह ने लखनऊ में फिर से भाजपा की सदस्यता ली.

राम नाईकः भाजपा नेता राम नाईक (Ram Naik) 1999 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में पेट्रोलियम मंत्री रहे. इससे पहले करीब दो महीने के लिए उन्होंने रेल मंत्रालय का प्रभार भी संभाला था. वहीं जुलाई 2014 को उन्हें उत्तर प्रदेश का 27वां राज्यपाल बनाया गया. गवर्नर के पद पर उन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया. इसके बाद राम नाईक ने मुंबई में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और फिर से सक्रिय राजनीति में उतरे. राम नाईक तीन बार मुंबई उत्तर सीट से लोकसभा सदस्य रह चुके हैं.

सुशील कुमार शिंदेः सुशील कुमार शिंदे (Sushil kumar Shinde) 18 जनवरी 2003 से 4 नवंबर 2004 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद 4 नवंबर 2004 से 29 जनवरी 2006 तक वह आंध्र प्रदेश के गवर्नर रहे. इससे पहले वह महाराष्ट्र के 18 जनवरी 2003 से 4 नवंबर 2004 तक मुख्यमंत्री भी रहे. करीब दो साल राज्यपाल रहने के बाद वह मनमोहन सरकार (UPA-2) में जनवरी 2009 से जुलाई 2012 तक ऊर्जा मंत्री रहे. इसके बाद उन्होंने 31 जुलाई 2012 से 26 मई 2014 तक देश के गृहमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला.

मोतीलाल वोराः कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा (Motilal Vora) करीब एक साल (25 जनवरी 1989 से 8 दिसंबर 1989) तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. इसके बाद 26 मई सन् 1993 से 3 मई सन् 1996 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे. मुख्यमंत्री बनने पहले वह 1988 में राजीव गांधी की सरकार में स्वास्थ्य और नागरिक उड्डयन (Civil Aviation) मंत्री भी रहे. हालांकि राज्यपाल बनने के बाद वह एक फिर सक्रिय राजनीति में आए और लोकसभा का चुनाव लड़ा. 1998-99 के दौरान वह लोकसभा के सदस्य रहे. इसके बाद मोतीलाल वोरा अप्रैल 2002 से अप्रैल 2020 तक राज्यसभा के सदस्य रहे.

एसएम कृष्णाः एसएम कृष्णा (S. M. Krishna) सन् 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे. वहीं 12 दिसंबर 2004 से 5 मार्च 2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे. इसके बाद एक बार फिर वे राज्यसभा पहुंचे और 2008 से 2014 तक वह राज्यसभा सदस्य रहे. केंद्र की मनमोहन सरकार में एसएम कृष्णा 2009 से 2012 तक देश के विदेश मंत्री भी रहे.

अर्जुन सिंहः कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह (Arjun Singh) पहली बार सन् 1980 में मध्य प्रदेश के सीएम बने जिसके बाद वह 1985 तक सीएम रहे. उनके नेतृत्व में फिर से चुनाव हुए और कांग्रेस सत्ता में आई. 11 मार्च 1985 को अर्जुन सिंह ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन एक दिन बाद ही यानी 12 मार्च 1985 को उन्हें पंजाब का गवर्नर बना दिया गया जिसके कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा. हालांकि सन् 1988 में अर्जुन सिंह एक बार फिर मध्य प्रदेश के सीएम बने. वह फरवरी 1989 से दिसंबर 1989 तक सीएम रहे. इसके बाद उन्होंने 2004 से 2009 तक वाणिज्य और संचार (commerce and communications) मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय भी संभाला.

सी विद्यासागर रावः सी विद्यासागर राव (C Vidyasagar Rao) का नाम भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की लिस्ट में आता है. वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अक्टूबर सन् 1999 से जनवरी 2003 तक केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रहे. इसके बाद उन्होंने 2004 तक वाणिज्य मंत्रालय में राज्यमंत्री रहे. वहीं 30 अगस्त 2014 को उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया और वह 31 अगस्त 2019 तक इस पद पर रहे. इस दौरान उनके पास 2 सितंबर 2016 से 6 अक्टूबर 2017 तक तमिलनाडु के राज्यपाल का भी अतिरिक्त प्रभार रहा. राज्यपाल रहने के बाद वह फिर राजनीति में उतरे और 16 सितंबर 2019 को दोबारा भाजपा में सदस्यता ली.

शीला दीक्षितः कांग्रेस नेता शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) 11 मार्च 2014 से 4 सितंबर 2014 तक केरल की राज्यपाल रहीं. हालांकि राज्यपाल के पद पर वह केवल 6 महीने ही रहीं. इससे पहले वह दिसंबर 1998 से दिसंबर 2013 तक करीब 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. उन्होंने 2019 में पूर्वी दिल्ली से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन वह भाजपा के मनोज तिवारी से हार गईं. वह 11 जनवरी 2019 से 20 जुलाई 2019 (देहांत) तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष भी रहीं.

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सी राजगोपालाचारी: सी राजगोपालाचारी (C Rajagopalachari) भारत के गवर्नर जनरल रहने के बाद मद्रास के मुख्यमंत्री बने थे. उनके अलावा हरचरण सिंह बराड़ उड़ीसा और हरियाणा के गवर्नर रहे और बाद में पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभाला.

बहरहाल, ये देखा जा सकता है कि यूपी के मंत्री पद की शपथ लेने वाली बेबी रानी मौर्य पहली नेता नहींं हैं जो राज्यपाल जैसे पद से होकर राज्य के मंत्री के रूप में सक्रिय होने जा रही हों. इससे पहले जिन भी नेताओं का जिक्र हुआ है, वह या तो राज्यपाल से केंद्रीय मंत्री या फिर मुख्यमंत्री का पदभार संभाल चुके हैं.

Last Updated :Mar 26, 2022, 9:28 AM IST
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