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Bombay HC chief justice Oath PIL: सुप्रीम कोर्ट से बॉम्बे HC चीफ जस्टिस को नए सिरे से शपथ दिलाने संबंधी याचिका खारिज

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 13, 2023, 2:12 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को नए (SC on Bombay HC chief justice oath PIL) सिरे से शपथ दिलाने (fresh oath for chief justice of Bombay HC) की मांग वाली याचिका को खारिज कर दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसी तुच्छ याचिका अदालत का समय बर्बाद करती है.

There is a limit to frivolity SC junks PIL seeking administration of fresh oath for chief justice of Bombay HC
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे HC के मुख्य न्यायाधीश को नए सिरे से शपथ दिलाने संबंधी याचिका खारिज की

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय को फिर से शपथ दिलाने का आदेश देने की मांग की गई थी. इसमें कहा गया था कि पद की शपथ लेते समय उनके द्वारा 'मैं' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया था.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में तुच्छता की एक सीमा है. याचिकाकर्ता ने अदालत का समय बर्बाद किया. न्यायाधीश आधी रात को याचिकाओं पर सुनवाई करते हैं. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'हमें बैठकर इन (मामलों को) पढ़ना होगा और आधी रात को काम में लगना होगा!' याचिका अशोक पांडे द्वारा दायर की गई थी, जो व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता थे.

मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से कहा, 'आप शपथ को चुनौती दे रहे हैं क्योंकि राज्यपाल ने 'मैं' कहा था लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने शपथ लेते समय 'मैं' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया? मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत इस प्रकार की तुच्छ जनहित याचिकाओं को अदालत के समक्ष आने से रोकने के लिए अग्रिम लागत लगाना शुरू करेगी.

याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि सुनवाई से पहले उसकी याचिका को तुच्छ न करार दिया जाए और तर्क दिया कि आपका पक्ष सुने बिना यह तय नहीं किया जा सकता कि यह तुच्छ है या नहीं. शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका में की गई प्रार्थनाओं में न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय को बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नए सिरे से शपथ दिलाने की मांग की गई है.

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याचिका में आगे कहा गया है कि समारोह के लिए गोवा, दमन और दीव के राज्यपालों और सीएम को आमंत्रित नहीं किया गया था. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की तुच्छ जनहित याचिकाएं अदालत का समय लेती हैं और महत्वपूर्ण मामलों को लेने से अदालत का ध्यान भटकाती हैं और अब ऐसे मामलों पर जुर्माना लगाने का समय आ गया है. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया.

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