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कभी मुफ्त था ताज का दीदार, 56 साल में बना देश का सबसे महंगा स्मारक, कमाई में भी अव्वल

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Published : Apr 20, 2022, 6:32 PM IST

क्या आप जानते हैं कि आगरा स्थित ताजमहल का दीदार करने के लिए पहले पैसे नहीं देने पड़ते थे? आपको जानकर हैरानी होगी जब ताजमहल देखने के लिए टिकट लगाया गया तो उसका दाम था 20 पैसे, तब से लेकर अब तक ताज के टिकट का दाम 250 गुना बढ़ गया है. चलिए आपको बताते हैं दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारतों में शुमार ताजमहल को देखने के लिए कब कितने पैसे देने पड़ते थे?

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आगराः मोहब्बत की निशानी ताजमहल के दीदार की हसरत हर दिल में रहती है. फिर वो चाहे भारतीय हों या विदेशी. सभी धवल संगमरमरी बदन के दीवाने हैं. हर कोई ताजमहल में डायना सीट पर बैठकर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करना चाहता है. आवास विकास प्राधिकरण (एडीए) अब पर्यटकों की दीवानगी भुनाकर खुद की जेब भरना चाहता है. एडीए ने इसी मंशा से एक बार फिर ताजमहल की टिकट दर में इजाफे की तैयारी की है. इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है.

250 गुना बढ़े टिकट के दामः भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) ने इस मामले में चुप्पी साधकर मौन स्वीकृति दी है. इससे भारतीय पर्यटकों को ताजमहल के दीदार के लिए 10 रुपये और विदेशी पर्यटकों को 100 रुपये अधिक देने होंगे. जबकि, सन 1966 से पहले तक देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए ताज का दीदार फ्री था. इसके बाद से ताज देखने आने वालों के लिए टिकट लगाया गया. सन 1966 में ताजमहल के दीदार की टिकट 20 पैसे तय हुई थी. लेकिन वक्त के साथ ही टिकट की कीमतें बढ़ती गई. बीते 56 सालों में ताजमहल के टिकट की कीमत 250 गुना बढ़ी है. यानी ताजमहल की एंट्री टिकट 20 पैसे से बढ़ कर अब 50 रुपये हो गई है.

ताजमहल का दीदार
ताजमहल का दीदार

1966 से पहले नहीं लगता था टिकटः भारत घूमने आने वाले करीब 60 फीसदी विदेशी पर्यटक ताजमहल का दीदार जरूर करते हैं. भारतीय पर्यटकों की भी ख्वाहिश एक बार ताजमहल निहारने की रहती है. एएसआई के मुताबिक, सन 1966 से पहले ताजमहल पर टिकटिंग व्यवस्था नहीं थी. उस समय तक भारतीय और विदेशी पर्यटक बिना टिकट ही ताज का दीदार करते थे. सन् 1966 में पहली बार भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए ताजमहल में एंट्री टिकट 20 पैसे की गई.

2000 में बदली गई टिकटिंग व्यवस्थाः एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमशुद्दीन बताते हैं कि ताजमहल की खूबसूरती के दीवाने लगातार यहां आ रहे थे. इस पर धीरे-धीरे ताजमहल की टिकट की दर बढ़ती गई. सन 1976 में ताजमहल का टिकट भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए 2 रुपये किया गया. वहीं, सन 2000 में एएसआई ने ताजमहल की टिकटिंग व्यवस्था में बदलाव किया. जिसके तहत भारतीय पर्यटक और विदेशी पर्यटकों की टिकट दर अलग अलग कर दी. भारतीय पर्यटकों की टिकट के ​मुकाबले विदेशी पर्यटकों की टिकट कई गुना बढ़ाई गई. इस टिकट से जो कमाई होती है. उसमें से एएसआई के साथ ही एक बड़ा हिस्सा आवास विकास प्राधिकरण (एडीए) को जाता है.

मुख्य मकबरे के लिए 200 का टिकट: टूरिस्ट गाइड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपकदान बताते हैं कि हम बचपन में बिना टिकट के ही ताजमहल घूमने जाते थे. धीरे धीरे टिकट बढ़ता जा रहा है. मगर, पर्यटकों की संख्या भी बढ़ती गई है. एएसआई ने ताज के मुख्य गुंबद पर क्राउड कंट्रोल के लिए स्टेप टिकटिंग की व्यवस्था की. ताजमहल देश का अकेला स्मारक है जहां स्टेप टिकटिंग व्यवस्था लागू है. अगस्त 2018 में एएसआई में ताज महल की टिकट बढ़ाने की पहल की थी. एएसआई ने दिसंबर 2018 में ताजमहल पर स्टेप कटिंग की व्यवस्था लागू की. अब ताजमहल के मुख्य मकबरे पर जाने के लिए भारतीय और विदेशी पर्यटकों को 200 रुपये का अलग से टिकट लेना पड़ता है.
बढ़ रही सैलानियों की संख्या: दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारतों में शुमार ताजमहल देखने का मोह कोई छोड़ नहीं पाता. क्या आम क्या ख़ास सभी के लिए ताज का दीदार किसी सपने को सच करने के समान है. हर साल ताजमहल आने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर साल 70 से 80 लाख लोग ताजमहल देखने आते हैं, इनमें से करीब 8 लाख विदेशी सैलानी होते हैं. ज़ाहिर है इससे सरकार की अच्छी कमाई होती है. कोविड से पहले 2018-19 में ताजमहल का दीदार करने आने वाले सैलानियों से करीब 86 करोड़ 48 लाख 93 हज़ार एक सौ रुपए की कमाई हुई थी. 2019 में 5 लाख विदेशी पर्यटक ताजमहल आए, जबकि कमाई गिरकर 65 करोड़ हो गई. कोविड काल में जब लॉकडाउन लगा तो उसका असर ताजमहल आने वालों और उनसे होने वाली कमाई पर भी पड़ा. आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ने के बाद अब एकबार फिर ताज से होने वाली कमाई बढ़ने के आसार हैं.

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