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सूर्य ग्रहण, वट सावित्री और शनि जयंती एक साथ, पंडित जी से जानें मंत्र और पूजा विधि

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Published : Jun 10, 2021, 1:11 PM IST

जून का महीना त्योहारों का महीना है. रोहिणी व्रत, वट सावित्री व्रत, अमावस्या, शनि जयंती इस दिन पड़ रही है. आज वट सावित्री व्रत भी है. सुहागिनें, हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री का व्रत (vat savitri vrat) रखती हैं.

पंडित जी से जानें मंत्र और पूजा विधि
पंडित जी से जानें मंत्र और पूजा विधि

रायपुर: आज एक साथ कई अद्भुत संयोग और शुभ फल लेकर आया है. रोहिणी व्रत, वट सावित्री व्रत, अमावस्या, शनि जयंती इस दिन पड़ रही है. साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण भी 10 जून को लगेगा.

गुरुवार को वट सावित्री भी है. सुहागिनें हिन्दू मान्यताओं के अनुसार अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री का व्रत (vat savitri vrat) रखती हैं. महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. परिक्रमा करके वट सावित्री व्रत कथा सुनती हैं और पति की लंबी आयु का वरदान मांगती हैं. बरगद को देव वृक्ष भी कहते हैं. कहते हैं बरगद के पेड़ पर त्रिदेव निवास करते हैं. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को किया जाता है. कथा है कि इस दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाई थीं.

पंडित जी से जानें मंत्र और पूजा विधि

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इन मंत्रों का करें जाप

वट सावित्री के दिन मंगल ग्रह पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. इस दिन भगवान शंकर का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक करना शुभ माना गया है. वट सावित्री के दिन शिव चालीसा का पाठ करना, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ के अलावा शिव पंचाक्षरी मंत्र (ॐ नम: शिवाय) का जाप करना विशिष्ट माना जाता है. सोम प्रदोष के दिन से वट वृक्ष की परिक्रमा शुरू कर दी जाती है. वट वृक्ष की परिक्रमा करने और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

मनाई जाएगी शनि जयंती

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है. इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है. भगवान की पूजा से सारे कष्ट दूर होते हैं.

पढ़ें- Vat Savitri Vrat: जानें वट सावित्री व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त और कथा

10 जून को लग रहा है सूर्यग्रहण

साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) 10 जून को लगेगा. शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण करीब 148 साल बाद लग रहा है. शनि जयंती के दिन सूर्य और शनि का अद्भुत योग बनेगा. भारत में ये सूर्यग्रहण आंशिक तौर पर नजर आएगा. जिसके कारण देश में सूतक काल मान्य नहीं होगा. वैसे तो धार्मिक दृष्टि से लोग ग्रहण को शुभ नहीं मानते हैं, लेकिन ग्रहण देखने के लिए लोग काफी उत्सुक रहते हैं. हाल ही में चंद्र ग्रहण लगा था और अब सूर्य ग्रहण लगेगा.

रिंग ऑफ फायर

भारतीय समयानुसार पूर्वाह्न 11:42 बजे आंशिक सूर्य ग्रहण होगा और यह अपराह्न 3:30 बजे से वलयाकार रूप लेना शुरू करेगा और फिर शाम 4:52 बजे तक आकाश में सूर्य अग्नि वलय (आग की अंगूठी) की तरह दिखाई देगा. सूर्यग्रहण भारतीय समयानुसार शाम लगभग 6:41 बजे समाप्त होगा.

सूर्य ग्रहण क्या होता है ?

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है. जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आता है, तो इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है. चंद्रमा के बीच में आ जाने से कुछ समय के लिए हमें सूर्य दिखाई नहीं देता है या दिखाई देगा, तो वह आंशिक रूप से ही नजर आएगा. चंद्रमा सूर्य की कुछ या पूरी रोशनी रोक लेता है, जिससे धरती पर साया फैल जाता है.

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