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पिछले नौ वर्षों में समाज का 'ध्रुवीकरण' हुआ : कांग्रेस सांसद सैम पित्रोदा

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Published : Jun 2, 2023, 5:26 PM IST

सैम पित्रोदा ने कहा, 'हम सभी जानते हैं कि भारत की 85 फीसदी आबादी हिंदू है, या फिर संख्या चाहे जो भी हो, संभवत: 82 प्रतिशत. लेकिन, हिंदू समुदाय के भीतर भी सत्ता और धन उच्च वर्ग के बहुत कम प्रतिशत लोगों के हाथों में केंद्रित है.

Congress MP Sam Pitroda
कांग्रेस सांसद सैम पित्रोदा

वाशिंगटन: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा ने आरोप लगाया है कि पिछले नौ वर्षों में भारत में 'ध्रुवीकरण' हुआ है और सिर्फ कुछ फीसदी लोगों के हाथों में धन व सत्ता केंद्रित होकर रह गयी है. अमेरिका में बसे पित्रोदा भारतीय ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के छह दिवसीय अमेरिकी दौरे पर उनके साथ हैं. पित्रोदा ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'मुझे लगता है कि पिछले नौ वर्षों में हमारे समाज का ध्रुवीकरण हुआ है. धर्म पर ध्यान केंद्रित कर ध्रुवीकरण किया गया है. एक तरफ हिंदू हैं और दूसरी तरफ बाकी सब.'

केंद्रीय मंत्रियों और कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सत्ता में नौ साल पूरे होने के मौके पर सोमवार को देशभर में उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. भाजपा ने एक बयान में कहा कि देश में हर क्षेत्र में 'अभूतपूर्व' विकास हुआ है और 'राष्ट्र प्रथम' के मंत्र ने मोदी की नीतियों का मार्गदर्शन किया है. पित्रोदा ने कहा, 'भारत में असमान विकास हुआ है. और, यह गंभीर चिंता का विषय है. जब लोकतांत्रिक संस्थाएं ठीक से काम नहीं करती हैं, तब आप सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं. इसलिए, लोगों के मन में डर है कि कोई आकर उन पर हमला करेगा. यही वजह है कि वे बोलते नहीं हैं.'

कांग्रेस नेता ने कहा, 'हम सभी जानते हैं कि भारत की 85 फीसदी आबादी हिंदू है, या फिर संख्या चाहे जो भी हो, संभवत: 82 प्रतिशत. लेकिन, हिंदू समुदाय के भीतर भी सत्ता और धन उच्च वर्ग के बहुत कम प्रतिशत लोगों के हाथों में केंद्रित है. और, इस प्रक्रिया में बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों, कारीगरों, बढ़ई, लुहारों और दलितों की वास्तव में उतनी प्रगति नहीं हो सकी है, जितनी उन्हें करनी चाहिए थी.'

उन्होंने कहा, 'इसलिए, लड़ाई हिंदू और गैर-हिंदू के बारे में नहीं है. लड़ाई संपन्न और असंपन्न लोगों के बारे में है. पिछले नौ वर्षों में, मुझे लगता है कि धन कुछ लोगों तक सिमटकर रह गया है. हम कितने अरबपति होने का दंभ भरते हैं, जो ठीक है, मैं इससे खुश हूं. लेकिन, हमने बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी के दंश से बाहर नहीं निकाला है.' पित्रोदा ने कहा, 'सोशल मीडिया पर 'ट्रोलर' केवल लोगों को परेशान करते हैं. वे महिलाओं को परेशान करते हैं. वे पत्रकारों को परेशान करते हैं, मीडियाकर्मियों को परेशान करते हैं, फिर चाहे वो रवीश कुमार हों या कोई और. वे आपके परिवार पर हमला करते हैं, वे आपकी मां को निशाना बनाते हैं... उन पर कोई नियंत्रण नहीं है. और, इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. 'ट्रोलर' को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.'

उन्होंने कहा, 'सरकार में से किसी को खड़ा होना चाहिए और कहना चाहिए कि देखिए, जो व्यक्ति लोगों को बेवजह 'ट्रोल' करेगा या निशाना बनाएगा, उसे सजा दी जाएगी, लेकिन इसके विपरीत 'ट्रोल' करने वालों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. यह हममें से बहुत सारे लोगों के लिए चिंता का विषय है. हिंसा पर नजर डालिए, इसमें कितना इजाफा हुआ है. महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर नजर डालिए, इसमें भी भारी वृद्धि हुई है.'

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पित्रोदा ने आरोप लगाया कि आज जिन लोगों को पूजा जा रहा है, वे भ्रष्ट, तानाशाही और दुराचारी प्रवृत्ति के हैं. उन्होंने कहा, 'ये लोग हर किसी के खिलाफ हर तरह के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. नफरत को बढ़ावा देते हैं. और मैं कहूंगा कि हमसे कहां गलती हुई? ये क्या हो रहा है? मैं चितिंत हूं. आप इसे रातोंरात नहीं बदल सकते हैं, लेकिन कम से कम इसके खिलाफ आवाज उठा सकते हैं और एक सार्थक संवाद कर सकते हैं.'

पीटीआई-भाषा

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