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खड़गे ने की प्रबोधनकर ठाकरे की तारीफ, मनसे प्रमुख राज ठाकरे पर किया कटाक्ष

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Published : Apr 18, 2022, 8:11 AM IST

Updated : Apr 18, 2022, 2:42 PM IST

Senior Congress leader Mallikarjun Kharge
Senior Congress leader Mallikarjun Kharge

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के पिता और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के दादा प्रबोधनकर ठाकरे की तारीफ की तो वहीं मनसे प्रमुख राज ठाकरे को जमकर खरी खोटी भी सुनाई.

नागपुर: राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के पिता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के दादा प्रबोधनकर ठाकरे की जमकर सराहना की. साथ ही कहा मनसे प्रमुख राज ठाकरे का नाम लिए बिना उनपर कटाक्ष भी किया. इसी परिवार के कुछ सदस्य महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख ने हाल ही में कहा कि मस्जिदों के ऊपर से लाउडस्पीकर 3 मई तक हटाए जाएं या फिर उनकी पार्टी अजान के समय पर हनुमान चालीसा बजाएगी.

राज्य मंत्री नितिन राउत की पुस्तक 'अंबेडकर ऑन पॉपुलेशन पॉलिसी' के विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए खड़गे ने कहा, "मैं प्रबोधंकर ठाकरे को सलाम करता हूं. जो लोग धर्म और जाति के बारे में बात करते हैं उन्हें कम से कम याद रखना चाहिए कि प्रबोधंकर ठाकरे ने इन मुद्दों के बारे में क्या कहा और उन पर उनकी राय क्या थी. दुर्भाग्य से एक ही परिवार के लोग अलग-अलग बात करते हैं और झगड़े भड़काने की बात करते हैं.

केशव सीताराम ठाकरे, जिन्हें प्यार से प्रबोधनकर कहा जाता था, एक उच्च सम्मानित समाज सुधारक थे और जिन्होंने अंधविश्वास, अस्पृश्यता, बाल विवाह और दहेज के खिलाफ अभियान जबर्दस्त अभियान चलाया था. इसी कार्यक्रम में बोलते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और कर्नाटक के दिग्गज कांग्रेसी खड़गे ने कहा कि उन्हें समाज के कुछ वर्गों से भेदभाव का सामना करना पड़ा जो हिंदू महार होने के बावजूद अपनी सामाजिक वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं.

खड़गे ने कहा कि निचली जातियों के कुछ लोगों को नियमित रूप से परेशान किया जा रहा था, उन्हें घोड़ों की सवारी करने तक की अनुमति नहीं दी जा रही और यहां तक ​​कि उनके खाने की आदतों को भी बदलने का प्रयास किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि नागपुर एक ऐसी जगह है जहां विभाजन के बीज बोने के प्रयास चल रहे थे. यहां आरएसएस मुख्यालय था और इसमें दीक्षाभूमि भी थी, जो बाबासाहेब अम्बेडकर के बौद्ध धर्म में रूपांतरण का स्थल था, जो ऐसे बीजों को हटाने और एकता और कल्याण लाने के लिए काम कर रहे थे. देश को आज डॉ अम्बेडकर के दर्शन के साथ-साथ स्वतंत्रता की भी आवश्यकता है. समानता, बंधुत्व और धर्मनिरपेक्षता जो कि महान न्यायविद और समाज सुधारक द्वारा बनाए गए संविधान में निहित हैं.

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पीटीआई

Last Updated :Apr 18, 2022, 2:42 PM IST
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