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उत्तराखंड में जुटेंगे 100 देशों के साइंटिस्ट, ग्लोबल वॉर्मिंग पर होगी चर्चा, आपदाओं ने निपटने का ढूंढा जाएगा समाधान

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Published : Jul 28, 2023, 9:48 PM IST

Updated : Aug 4, 2023, 10:00 PM IST

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उत्तराखंड में जुटेंगे 100 देशों के साइंटिस्ट

दुनिया भर में आज ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या बढ़ती जा रही है. आज ग्लोबल वॉर्मिंग, ग्लोबल बॉइलिंग की ओर बढ़ रही है. जिसके कारण दुनियाभर के वैज्ञानिक चिंतित हैं. ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या पर चर्चा और उसके समाधान के उत्तराखंड में एक सेमिनार आयोजित किया जाएगा. जिसमें 100 देशों के साइंटिस्ट भाग लेंगे.

उत्तराखंड में जुटेंगे 100 देशों के साइंटिस्ट

देहरादून: उत्तराखंड सहित पूरे भारत के हिमालय राज्यों में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं को लेकर पूरी दुनिया भर के शोधकर्ता एक मंच पर आएंगे. दुनिया भर के शोधकर्ता तकनीक और शोध के जरिये आपदाओं का न्यूनीकरण पर विचार विमर्श करेंगे. ये आयोजन उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में होगा. इस इंटरनेशनल सेमिनार में 100 देशों के साइंटिस्ट, शोधकर्ता, और प्रतिनिधि उत्तराखंड पहुंचेंगे. हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कार्यक्रम का पोस्टर लांच किया. इस कार्यक्रम से पहले देश भर के राज्यों में इस कार्यक्रम से संबंधित कॉन्फ्रेंसेस आयोजित की जाएंगी. जिसके लिए उत्तराखंड में पहली कॉन्फ्रेंस 4 अगस्त को आयोजित होगी.

प्राकृतिक आपदाओं में हर साल 20 लाख लोग गंवाते हैं जान: आपदाएं आज केवल एक राज्य और देश के लिए चुनौती नहीं बल्कि यह ग्लोबली पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती हैं. पिछले 10 सालों में आई आपदाओं में क्लाइमेट चेंज यानी मौसम परिवर्तन की वजह से आई प्राकृतिक आपदाओं में 5 गुना से ज्यादा इजाफा हुआ है. प्राकृतिक आपदाओं में होने वाली मौत में भी क्लाइमेट चेंज की वजह से आने वाली आपदाओं के कारण हुई है. दुनिया भर में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं में औसतन हर साल तकरीबन 11 हजार आपदाओं के इंसीडेंट रिपोर्ट किए जाते हैं. इनमें से हर साल औसतन 2 मिलियन यानी तकरीबन 20 लाख लोग अपनी जान हर साल गंवा देते हैं.

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इन आपदाओं से ग्लोबली होने वाले नुकसान की अगर बात करें तो हर साल तकरीबन 4 ट्रिलियन यूएस डॉलर का नुकसान प्राकृतिक आपदाओं की वजह से होता है. आपदाएं ज्यादातर समुद्री इलाकों और पहाड़ी इलाकों की बसावटओं को अपना शिकार बनाती हैं. पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रहे वेदर पैटर्न और आपदाओं के प्रभाव को देखते हुए यह समस्या ग्लोबली हो गई है. इस पर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही निपटा जा सकता है. जिसको लेकर के लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेमिनार किए जाते हैं. इस बार यह सेमिनार उत्तराखंड में आयोजित किया जा रहा है.

जल्द ही उत्तराखंड में दुनिया भर से 100 से भी ज्यादा देशों के शोधकर्ता, वैज्ञानिक और प्रतिनिधि जुटेंगे. ये सभी हिमालयन क्लाइमेट के साथ-साथ विश्व में आपदाओं के प्रभाव को कैसे कम करें इस पर चर्चा करेंगे. प्राकृतिक आपदाओं से मिलकर लड़ने के लिए टेक्नोलॉजी को शेयर किया जा सकता है. एक दूसरे के तरीकों को साझा किया जा सकता है. यह मानव जीवन को बचाने का एक सामूहिक प्रयास है. शोधकर्ताओं के अनुसार पूरी दुनिया भर में लगातार क्लाइमेट चेंज फॉर डिजास्टर का प्रभाव बढ़ रहा है. लिहाजा दुनिया भर की साइंस कम्युनिटी को एक प्लेटफार्म पर आने की जरूरत है.

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इंटरनेशनल डिजास्टर सोसायटी , यूएसडीएमए और यूकोस्ट मिलकर उत्तराखंड में इस कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहे हैं. इस कार्यक्रम कोऑर्डिनेट कर रहे उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद यूकोस्ट के DG डॉ दुर्गेश पंत ने बताया कि इस कार्यक्रम की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. उन्होंने बताया हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कार्यक्रम का पोस्टर लांच किया. इस कार्यक्रम से पहले देश भर के राज्यों में इस कार्यक्रम से संबंधित कॉन्फ्रेंसेस आयोजित की जाएंगी. जिसके लिए उत्तराखंड में पहली कॉन्फ्रेंस 4 अगस्त को आयोजित होगी.

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जापान सहित डिजास्टर मैनेजमेंट में माहिर देशों की तकनीक होगी साझा: यूकोस्ट के महानिदेशक डॉ दुर्गेश कुमार पंत ने बताया 28 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच चलने वाले इस बड़े आयोजन में दुनिया भर के उन देशों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है जिन देशों ने पिछले लंबे समय में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में महारत हासिल की है. प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने और आपदाओं के बीच सुरक्षित रहने मैं पूरी दुनिया में जापान की अपनी एक अलग जगह है. वहीं इस कार्यक्रम में जापान की तमाम तकनीक के अलावा दुनिया भर के ऐसे देश जो कि खासतौर से हिमालयन क्लाइमेट से मैच खाते हैं उन सभी के हालातों पर चर्चा की जाएगी.


ग्लोबल वार्मिंग के मामले में जुलाई महीने के आंकड़ों ने डराया: इंडियन सोसाइटी ऑफ अर्थ क्विक टेक्नोलॉजी के एग्जीक्यूटिव मेंबर और इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियरिंग के फेलो अर्थक्विक साइंटिस्ट डॉ गिरीश जोशी ने कहा पिछले 40 से 50 सालों में डिजास्टर पैटर्न में हैरतअंगेज बदलाव देखने को मिला है. उन्होंने बताया ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध पर बहुत तेज गति से बढ़ी है. यहां तक की UN के जनरल सेक्रेटरी एंटोनियो गुटेरेस के हाल ही में आए एक बयान में यह कहा गया है कि धरती अब ग्लोबल वार्निंग की स्पीड से ग्लोबल बॉइलिंग की स्टेज पर पहुंच चुकी है. हाल ही में जुलाई महीने में धरती के औसत तापमान को देखा जाए तो यह 1.5 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है, जो कि पूरी साइंस कम्युनिटी को हैरान कर रहा है. जलवायु परिवर्तन को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली बॉडी आईपीसीसी यानी इंटरगवर्नमेंटल पैनल एंड क्लाइमेट चेंज के अनुसार पूरी दुनिया को इस 21वीं सदी के आखिर तक क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित कर इसकी बढ़ने की दर को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखना होगा.

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हिमालयन नहीं यूरोप सहित पूरी दुनिया के लिए खतरा: वरिष्ठ वैज्ञानिक गिरीश जोशी के अनुसार अरार्टिका विक्षोभ के ब्रेकडाउन के चलते इसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिलेगा. उन्होंने बताया पूरी दुनिया की जलवायु पर असर डालने वाले अंटार्कटिक महासागर में होने वाली संवहन प्रक्रिया को लेकर नेचर जर्नल में छपे पेपर के अनुसार अंटार्कटिक महासागर का यह पूरा इकोसिस्टम कोलैप्स होने वाला है. इसका हिमालयन देशों के साथ-साथ पूरी दुनिया पर भयंकर असर पड़ेगा. अंटार्कटिक महासागर में लगातार ब्रेकडाउन हो रहे इकोसिस्टम की वजह से पूरी साइंस कम्युनिटी ने यह अंदेशा जताया है कि वर्ष 2025 के बाद दुनिया में आने वाली आपदाओं का ट्रेंड और फ्रीक्वेंसी और ज्यादा भयावह होगी.

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उत्तराखंड में होने वाले इंटरनेशनल सेमिनार से क्या फायदा: वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ गिरीश जोशी ने कहा उत्तराखंड में होने जा रही कॉन्फ्रेंस में निश्चित तौर से दुनिया भर के साइंस कम्युनिटी के लोग और प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे. उनका कहना है कि इस तरह के कार्यक्रमों में दुनिया भर के एक जैसे क्लाइमेट वाले देशों के लोग आपस में अपनी टेक्नोलॉजी को शेयर करते हैं. उन्होंने बताया खास तौर से भारत देश के नॉर्दर्न स्टेट जो हिमालयन स्टेट हैं उनकी क्लाइमेट और ज्योग्राफिकल बनावट यूरोप को कई देशों से मिलती है. लिहाजा उत्तराखंड ने पहले भी कई ऐसी टेक्नोलॉजी को इन देशों से अडॉप्ट किया है. जिन पर आज उत्तराखंड में बेहतर कार्य हो रहा है.

Last Updated :Aug 4, 2023, 10:00 PM IST
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