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उत्तराखंड में हल्के भूकंप के झटके दे रहे बड़ी तबाही के संकेत! बारिश भी बढ़ा रही टेंशन

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 11, 2023, 7:16 PM IST

Earthquake in Uttarakhand
उत्तराखंड में भूकंप

Earthquake in Uttarakhand उत्तराखंड हिमालय की गोद में बसा राज्य है यानी उत्तराखंड उस हिमालय में मौजूद है, जो भूगर्भीय दृष्टि से नया है. जिसमें लगातार बदलाव हो रहा है. ऐसे में हिमालय भूकंप से भी अछूता नहीं है. अतीत में आए भूकंप बताते हैं कि हिमालयी क्षेत्र में ही भयानक तरीके से धरती थर्रायी है. आशंका है कि उत्तराखंड में इस सदी का सबसे भयानक भूकंप आ सकता है. जिससे भारी तबाही मच सकती है. इसका संकेत लगातार आ रहे हल्के भूकंप भी दे रहे हैं. बीते 12 घंटे के भीतर दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. जिसके चलते लोगों को घर से बाहर भागना पड़ा. इसी बीच बारिश की बौछार भी टेंशन बढ़ा रही है. जानिए उत्तराखंड में क्यों आ रहे भूकंप और कब-कब मचाई तबाही...

देहरादूनः उत्तराखंड में लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं. एक के बाद एक भूकंप और मॉनसून सीजन खत्म हो जाने के बाद भी काले बादलों का मंडराना किसी अनहोनी का संकेत तो नहीं दे रहे हैं? मौसम विभाग ने भी आगामी 14 सितंबर तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है. इन सबके इतर पहले से ही बारिश की वजह से कच्चे हो चुके पहाड़ भूकंप से डोल रहा है. जिस पर वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश और भूकंप का कनेक्शन पहाड़ों के लिए ठीक नहीं है.

12 घंटे के भीतर दूसरी बार आया भूकंप, उत्तरकाशी में मचा चुका है तबाहीः 11 सितंबर यानी आज सुबह करीब 3 बजकर 48 मिनट पर एक बार फिर से उत्तरकाशी का एक बड़ा हिस्सा भूकंप से हिल गया. हालांकि, इन झटकों से किसी तरह के जान माल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन एक के बाद एक भूकंप के झटकों ने लोगों को दहशत में डाल दिया है. इससे पहले 10 सितंबर को शाम 4 बजकर 41 मिनट पर चमोली में 2.5 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.

बता दें कि बीती 29 अगस्त को सुबह 10:22 बजे बागेश्वर में 2.5 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. इसके ठीक 7 घंटे बाद उत्तरकाशी में शाम करीब 4 बजकर 56 मिनट पर भूकंप के झटके लगे. जिससे लोग घरों से बाहर निकले. इसके बाद आज तड़के फिर से उत्तरकाशी में भूकंप आया. भूकंप से लोग इसलिए डरे हुए हैं, क्योंकि साल 1991 में उत्तरकाशी जिले में 6.6 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. जिसमें करीब 768 लोगों की जान चली गई थी. जबकि, 5 हजार से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे.

Earthquake in Uttarakhand
उत्तराखंड में हल्के भूकंप से मिल रहे तबाही के संकेत

हाल ही में विदेशी धरती मोरक्को में भी भयानक भूकंप आया था. जिसमें 2100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है. भूकंप कितनी तबाही मचा सकता है. वैज्ञानिक पहले ही आगाज कर चुके हैं कि हिमालय में कोई बड़ा भूकंप आ सकता है. भले अभी भूकंप के हल्के झटके आ रहे हों, लेकिन एक के बाद एक इन झटकों ने पहाड़ों के रहवासियों की चिंता बढ़ा दी है. क्योंकि, 90 के दशक में उत्तरकाशी और चमोली में भूकंप कहर बरपा चुका है.
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बारिश ने बढ़ाई टेंशनः उत्तराखंड में 15 दिनों से बारिश का दौर थमा था, लेकिन एक बार फिर से पहाड़ों में काले बादल छाए हुए है. लिहाजा, मौसम विभाग भी रुद्रप्रयाग, हरिद्वार, चमोली, पिथौरगढ़ और उधम सिंह नगर जैसे जिलों में बारिश का अलर्ट जारी कर चुका है. बारिश का यह दौर 14 सितंबर जारी रहेगा. यानी पहाड़ों में अभी और बारिश होगी. उत्तराखंड की जनता बारिश से पार पा ही रही थी कि इस बीच भूकंप ने उन्हें डरा दिया.

इन तारीखों में डोली उत्तराखंड की धरतीः 11 सितंबर को उत्तरकाशी में 3:48 पर 2.9 तीव्रता का भूकंप आया. बताया जा रहा है कि धरती से 5 किलोमीटर नीचे धरती कुछ हलचल हुई. उत्तराखंड में करीब 12 घंटे के भीतर दो बार भूकंप आने से चिंता और बड़ी हो गई है. 10 सितंबर को भी 4:41 बजे शाम के समय 2.5 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. इसी तरह से 23 जुलाई को भी पिथौरागढ़ में 3.2 तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड किया गया था.

बीती 11 मई को भी धरती डोली थी, उस समय 3.2 तीव्रता का भूकंप इन्हीं जिलों में रिकॉर्ड किया गया. 7 मई को भी 2.1 तीव्रता का भूकंप कुमाऊं में रिकॉर्ड किया गया. जबकि, बागेश्वर में 8 मई को 2.5 तीव्रता का भूकंप आया. उत्तरकाशी में 5 अप्रैल को 2.6 तीव्रता का भूकंप आया. जबकि, 6 और 7 अप्रैल को भी उत्तरकाशी जिले में भूकंप रिकॉर्ड किया गया. इससे साफ होता उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ में सबसे ज्यादा भूकंप सक्रिय हो रहा है. वैज्ञानिक भी मानते हैं कि सबसे ज्यादा उत्तराखंड में जमीन के अंदर हलचल इन पहाड़ी जिलों में हो रही है.
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वैज्ञानिक बोले इसलिए आ रहे लगातार भूकंपः वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून के वरिष्ठ जियोलॉजी वैज्ञानिक अजय पॉल की मानें तो भूकंप का लगातार आना हिमालय के लिए सही नहीं है. लगातार भूकंप आने से यह पता चलता है कि जमीन के अंदर हलचल बहुत तेजी से हो रही है. बार-बार छोटे भूकंप का आना इस बात का संकेत है कि धरती के अंदर बड़ी तादाद में ऊर्जा रिलीज हो रही है. डॉक्टर अजय पॉल का कहना है कि हिमालय में लगातार इस तरह से झटके आना, यह संकेत दे रहा है कि कभी भी कोई बड़ा भूकंप हिमालयी क्षेत्र में आ सकता है.

Earthquake in Uttarakhand
उत्तराखंड में भूकंप का खतरा

बात अगर उत्तराखंड की करें तो प्रदेश के कई जिले भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं. डॉ. अजय पॉल कहते हैं कि अभी तक किसी भी तरह की भविष्यवाणी करना वैज्ञानिकों के हाथ में नहीं है. जैसे कब और कितना बड़ा भूकंप आ सकता है? लेकिन जिस तरह से छोटे-छोटे भूकंप आ रहे हैं और जो उसका पेटेंट हैं, वो यही बताता है कि टेक्टोनिक प्लेट्स से लगातार एनर्जी रिलीज हो रही है.

बारिश और भूकंप के झटके पहाड़ों के लिए ठीक नहींः वहीं, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व भू वैज्ञानिक बीडी जोशी की मानें तो एक के बाद एक भूकंप पहाड़ को भी कमजोर कर रहे हैं. अगर ऐसे ही मौसम बना रहा और पहाड़ों में बारिश होती रही तो भूस्खलन की घटनाएं भी बढ़ेंगी. बारिश के बाद अगर चटक धूप भी निकलती है तो वो भी सही नहीं है. भूकंप के लिहाज से पूरी हिमालय बेल्ट बेहद संवेदनशील है.
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हिमालय का इतिहास भी बताता है कि समय-समय पर यहां पर बड़े भूकंप आए हैं. अगर अतीत की बात करें तो साल 1720 के बाद हिमालय क्षेत्र में बड़े भूकंप कई बार रिकॉर्ड किए गए हैं. इसमें साल 1803 में भी उत्तराखंड में एक बड़ा भूकंप आ चुका है. इसी तरह से हिमालय क्षेत्र की अगर बात करें तो शिलांग में भी साल 1897 और 1899 में बड़े भूकंप आए हैं. जबकि, साल 1905 में कांगड़ा और साल 1910 में भी इस क्षेत्र में बड़े भूकंप आए हैं. जिसमें करीब 18,000 लोगों की मौत भी हुई.

Earthquake in Uttarakhand
भारत के बड़े भूकंप में उत्तराखंड भी शामिल

बीडी जोशी की मानें तो उत्तराखंड के पहाड़ भी इस रीजन का हिस्सा हैं. साल 1991 में उत्तरकाशी और 1999 में चमोली जिले बड़े भूकंप झेल चुके हैं. ऐसे में हमे अपने घरों को भूकंप के लिहाज से ही तैयार करने की जरूरत है, ना कि बड़ी-बड़ी इमारतें बनाएं. सरकार को भी इस पर ध्यान देना चाहिए. अगर बात बारिश की करें तो इस बार उत्तराखंड में बारिश काफी ज्यादा हुई है. अभी भी बारिश का सिलसिला जारी है. यह पहाड़ों के लिए किसी भी सूरत में ठीक नहीं है.

भूकंप जोन 4 और 5 में आता है उत्तराखंडः बता दें कि उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है. क्योंकि, उत्तराखंड भूकंप जोन 4 और 5 में आता है. जिसकी वजह से यहां भूकंप का खतरा है. उत्तराखंड के अति संवेदनशील जोन 5 की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं. जबकि, उधम सिंह नगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी और अल्मोड़ा जोन 4 में आते हैं. वहीं, देहरादून और टिहरी जिले दोनों जोन में आते हैं.

क्यों आता है भूकंपः हिमालय की टेक्टोनिक प्लेटों में होने वाले बदलावों की वजह से झटके लगते हैं. हिमालय के नीचे लगातार हलचल हो रही है. इस हलचल की वजह से धरती पर दबाव बढ़ता है, जो भूकंप के रूप में सामने आता है. उत्तराखंड रीजन जिसे सेंट्रल सिस्मिक गैप भी कहा जाता है. यहां 1999 के बाद बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में वैज्ञानिक मान रहे हैं, यहां कभी भी बड़ा भूकंप का सामना करना पड़ सकता है.
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