SC ISSUES CONTEMPT NOTICE: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के जेल महानिदेशक के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया

author img

By

Published : Jan 21, 2023, 7:03 AM IST

Etv BharaSC ISSUES CONTEMPT NOTICE TO DG PRISON OF UP FOR NOT COMPLYING WITH ORDERS ON PRE MATURE RELEASE (file photo)t

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के जेल महानिदेशक को कोर्ट की अवमानना के लिए जवाब तलब किया है. उम्रकैद की सजा पाए कुछ कैदियों की समय पूर्व रिहाई के आदेशों का पालन नहीं करने पर यह नोटिस जारी किया गया है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के कारागार महानिदेशक के खिलाफ अदालत के पहले के आदेशों का पालन न करने के लिए दायर एक अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया. मुख्य न्यायाधीश, डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यूपी के डीजी (जेल) को कुछ दोषियों की समय से पहले एक विशिष्ट समय सीमा में रिहाई के संबंध में अदालत के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए अवमानना ​​का नोटिस जारी किया.

न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ भी ऋषि मल्होत्रा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कुछ कैदियों के 2018 के बाद से छूट के आवेदनों पर निर्णय लेने में विफल रहने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य के खिलाफ अवमानना ​​की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि जेल अधिकारियों द्वारा उनकी समय से पहले रिहाई की सिफारिश के बावजूद कैदी अभी भी जेल के अंदर हैं.

याचिकाकर्ता ने कहा कि यह अनुच्छेद 21 के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है जो जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है. इस महीने की शुरुआत में कुछ जमानत मामलों की सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश के कारागार के डीजी को व्यक्तिगत स्तर पर एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा था.

इसमें कहा गया था कि क्या यूपी ने 2022 के फैसले का अनुपालन किया है, जिसमें कुछ कैदियों की 2018 नीति के तहत समय से पहले रिहाई पर विचार करने का निर्देश दिया गया. पीठ 2018 में जारी प्रत्येक गणतंत्र दिवस के अवसर पर आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों की समय से पहले रिहाई के संबंध में स्थायी नीति का उल्लेख कर रही थी.

इस नीति में समय से पहले रिहाई के लिए दोषियों की श्रेणियां हैं. अदालत ने डीजी से पूछा था कि न्यायालय के फैसले के अनुरूप राज्य ने कौन से कदम उठाए हैं. साथ ही राज्य ने समय से पहले रिहाई के लिए कितने मामलों पर विचार किया है (जिलावार डेटा), विचार के लिए लंबित मामलों की संख्या और समय सीमा जिसके भीतर मामलों पर विचार किया जाएगा.

ये भी पढ़ें-Ban on road rallies : SC ने सड़कों पर जनसभाओं पर रोक के आदेश के खिलाफ अपील आंध्र प्रदेश HC को वापस भेजी

अदालत ने कहा था कि उम्रकैद की सजा काट रहे एक दोषी को समय से पहले रिहाई के लिए कोई आवेदन जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी. राज्य के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) को जेल अधिकारियों के साथ समन्वय करना था और यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने थे कि सभी समयपूर्व रिहाई के हकदार कैदियों के पात्र मामलों पर विचार किया जाए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.