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Israel Palestine War Effect : चावल उत्पादक किसानों को नुकसान! कोटा मंडी में नहीं बढ़ रहे धान के दाम, सस्ते चावल के एक्सपोर्ट पर भी बैन

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 17, 2023, 8:40 PM IST

Updated : Oct 17, 2023, 9:06 PM IST

Paddy Farmers May Bear Loss due to Ban on EXport
कोटा मंडी में चावल की आवक

इस साल किसानों को भी इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. दरअसल, बीते 15 दिनों से राजस्थान के कोटा मंडी में लगातार धान की आवक हो रही है, लेकिन धान के दाम नहीं बढ़ रहे हैं. दूसरी तरफ सरकार ने सस्ते चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसके कारण किसानों को नुकसान हो सकता है. पढ़िए ये रिपोर्ट....

इजराइल फिलिस्तीन युद्ध का धान किसानों पर प्रभाव

कोटा. राजस्थान के भामाशाह कृषि उपज मंडी में धान यानी चावल की आवक हो रही है. बीते 15 दिनों से लगातार धान आ रही है. वर्तमान में करीब 40 से 50 हजार बोरी चावल की आवक मंडी में हो रही है, लेकिन इस बार किसानों को कम दाम मिलने की उम्मीद है. इसका कारण सरकार के सस्ते चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध और इजरायल-फिलिस्तीन के बीच चल रहे युद्ध है. व्यापारियों का कहना है कि एक्सपोर्ट बैन जैसा हो गया है.

90 फीसदी माल निर्यात किया जाता है : भामाशाह कृषि उपज मंडी में चावल की ट्रेडिंग से जुड़े व्यापारी प्रकाश चंद्र पालीवाल का कहना है कि युद्ध का असर मंडी में है. आने वाले दिनों में ईरान में एक चावल का बड़ा शिपमेंट जाने वाला था, लेकिन यह कैंसिल हो गया है. उन्होंने कहा कि युद्ध लंबा चला तो इसका असर ज्यादा पड़ेगा. युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं, इसलिए कोई माल नहीं भेज रहा है. इसी तरह के हालात रहे तो किसानों को इस बार चावल के दाम कम मिलेंगे. उन्होंने बताया कि भारत से खाड़ी देश ईरान, इराक, सऊदी अरब, कुवैत और अन्य देशों में 90 फीसदी माल निर्यात किया जाता है. इसके अलावा यूके और यूएसए में भी कुछ चावल यहां से भेजे जाते हैं. हाड़ौती में खुशबूदार बासमती चावल होता है, जिसकी महक इन सब जगह पर फैलती है.

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चावल निर्यात 850 डॉलर प्रति टन तक खोलने की मांग : भारतीय किसान संघ के प्रचार मंत्री रूपनारायण यादव का कहना है कि भारत सरकार ने 1200 डॉलर प्रति टन से ज्यादा दाम के चावल का ही निर्यात खोला हुआ है, लेकिन भारत, खास तौर पर हाड़ौती और इससे लगे मध्य प्रदेश में इससे सस्ता चावल ही उत्पादित किया जाता है. ऐसे में हमारी मांग है कि चावल निर्यात 850 डॉलर प्रति टन तक खोला जाए. इससे हमारे किसानों को ही फायदा होने वाला है. ऐसा नहीं होगा तो किसान को चावल का दाम कम मिलेगा.

Effect of Israel Palestine war on Paddy Farmers
ये हैं कोटा मंडी के हालात

बीते साल मिले थे अच्छे दाम : व्यापारी पालीवाल के अनुसार पिछले साल शुरुआत में धान की किस्म 1509 के दाम 3000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास शुरू हुए थे. यह बढ़कर नवंबर-दिसंबर महीने तक 3800 से 4200 तक पहुंच गए थे, जबकि पूरे साल का औसत माना जाए तो 3600 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास रहा था. वहीं, किस्म 1718 के औसत भाव बीते साल 4000 से 4400 रुपए प्रति क्विंटल थे और 1718 किस्म में अच्छी क्वालिटी के माल का दाम 4200 से 4700 प्रति क्विंटल रहा था. यह दाम भी एक्सपोर्ट खुला रहने के चलते ही बढ़े थे.

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किसानों को होगा नुकसान, नहीं मिलेंगे अच्छे दाम : व्यापारी पालीवाल के अनुसार अभी वर्तमान में 1509 किस्म के धान की ही आवक मंडी में ज्यादा हो रही है. इसकी शुरुआत 3000 से 3200 रुपए प्रति क्विंटल से हुई, लेकिन दाम ज्यादा नहीं बढ़ें हैं. लगातार माल की आवक बढ़ रही है, लेकिन दामों में उछाल नजर नहीं आ रहा है. इसका कारण सरकार का एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाना है. अगर इस तरह ही चलता रहा तो मंडी में अच्छे माल की आवक बढ़ने पर भी बीते साल के दाम को नहीं छू पाएगा. इसका सीधा नुकसान किसानों को होगा और दिक्कत का सामना भी करना होगा.

हर साल एक से सवा करोड़ बोरी चावल की आवक : मंडी सचिव जवाहरलाल नागर का कहना है कि चावल की ट्रेडिंग अक्टूबर महीने से शुरू होती है. यह जनवरी तक चलती है. इसके बाद मंडी में धान की आवक कम हो जाती है. चावल की आवक होने से अपने माल को बेचने आने वाले किसानों को एक से दो दिन इंतजार भी करना पड़ता है, क्योंकि मंडी के बाहर लंबी कतार लग जाती है. ऐसे में एक दिन में डेढ़ लाख बोरी तक भी माल पहुंच जाता है. पूरे सीजन में 1.10 से 1.25 करोड़ बोरी के आसपास माल आता है. ऐसे समय में मंडी को चलाना चुनौती भरा होता है.

Paddy Farmers May Bear Loss due to Ban on EXport
मंडी में करीब 40 से 50 हजार बोरी चावल की आवक

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साफ सुथरी ट्रेडिंग के चलते किसान आते हैं : उन्होंने बताया कि माल बेचने के लिए मध्य प्रदेश के गुना, शिवपुरी, अशोक नगर, श्योपुर, ग्वालियर, यूपी के झांसी और प्रयागराज से किसान कोटा आते हैं. यहां पर अन्य जगह से ज्यादा दाम किसानों को मिलते हैं और तुलाई भी ठीक होती है. दूसरी तरफ, यहां के व्यापारियों का साफ सुथरी ट्रेडिंग करने का तरीका किसानों को पसंद आता है. यूपी और एमपी के अलावा हाड़ौती के चारों जिलों से भी लोग धान बेचने के लिए कोटा मंडी में आते हैं. इसका दूसरा कारण ये भी है कि उनके इलाकों की मंडी से ज्यादा दाम यहां मिल जाते हैं.

Last Updated :Oct 17, 2023, 9:06 PM IST
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