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रेलवे ने स्कूलों को लेकर मांगी रिपोर्ट, फेडरेशन जता रहा विरोध

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Published : Nov 1, 2021, 10:59 PM IST

Updated : Nov 1, 2021, 11:06 PM IST

रेलवे बोर्ड ने अपने प्रस्ताव को वापस लेने के दो साल बाद एक बार फिर अपने स्कूलों को बंद करने के फैसले पर विचार किया है. इसके लिए रेलवे बोर्ड ने अपने जोन से उन स्कूलों के लिए रिपोर्ट मांगी है, जिन्हें अनिवार्य रूप से बनाए रखने की जरूरत है. हालांकि, दूर-दराज के इलाकों में स्कूलों की अनुपलब्धता का कारण बताते हुए रेलवे यूनियन इस कदम का विरोध कर रही हैं.

ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा

नई दिल्ली : भारतीय रेलवे देशभर में 94 स्कूल चला रहा है. अब रेलवे बोर्ड अपने कुछ स्कूलों को बंद करने पर विचार कर रहा है. इस संबंध में जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को लिखे पत्र में कहा गया है कि रेलवे स्कूलों को युक्तिसंगत बनाने के लिए उनकी संख्या कम करने पर विचार किया जा रहा है. जोनल रेलवे को अपेक्षाकृत कम संख्या में रेलवे वार्ड वाले स्कूलों का आकलन करने के साथ-साथ उन्हें बंद करने/अन्य स्कूलों के साथ विलय करने की सलाह दी गई है. इसके लिए इन स्कूलों का मूल्यांकन करने के लिए कहा गया है.

बोर्ड ने ये रिपोर्ट भी मांगी है कि किन स्कूलों का रहना जरूरी है. पत्र में जिक्र किया गया है कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि बंद/विलय किए जाने वाले इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के परिवारों को कोई असुविधा न हो. इसके लिए 4 नवंबर 2021 तक रिपोर्ट देनी होगी.

ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा

ठोस आश्वासन न मिलने तक जताएंगे विरोध : शिव गोपाल
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने इस मुद्दे पर 'ईटीवी भारत' से कहा, 'हमने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को एक पत्र लिखा था. यह निर्णय उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त नहीं है जहां स्कूल उपलब्ध नहीं हैं. विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र जहां हमारे लोग दूर-दराज के इलाकों में काम करते हैं आमतौर पर स्कूल उपलब्ध नहीं होते हैं. ऐसे कई स्कूल हैं जहां रेलवे वार्डों के छात्र अच्छी संख्या में पढ़ते हैं.'

उनका कहना है कि 'कुछ वर्गों में केंद्रीय विद्यालय भी नहीं हैं तो क्या रेलवे वहां नए स्कूल स्थापित करेगा? कुछ केंद्रीय विद्यालय हैं जो रेलवे की जमीन पर बने हैं लेकिन वे रेलवे कर्मचारियों के लिए कोटा देने के लिए तैयार नहीं हैं इसलिए जब तक हमारे बच्चों के प्रवेश के बारे में कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलता हम रेल मंत्रालय को ऐसा नहीं करने देंगे.'
दरअसल वित्त मंत्रालय के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने कुछ सिफारिशें की हैं, जिनके आधार पर ये निर्णय लिए जाने पर विचार किया जा रहा है. सान्याल ने इस रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2019 में इन स्कूलों में 15399 बच्चों ने दाखिला लिया. ये संख्या कुल नामांकित छात्रों की संख्या की आधी है. अन्य शब्दों में कहें तो इन स्कूलों में बाहर के बच्चों की संख्या 34277 है.

87 केंद्रीय विद्यालयों को सहायता प्रदान करता है रेलवे

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेलवे 87 केंद्रीय विद्यालयों को सहायता प्रदान करती है, जिनमें 33,212 रेलवे और 55,386 बाहर के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. गौरतलब है कि रेलवे कर्मचारियों के 4 से 18 साल तक के कुल 7,99,703 यानी लगभग 8 लाख बच्चे हैं. सिर्फ 2 प्रतिशत बच्चे ही रेलवे के स्कूलों में पढ़ते हैं. सान्याल ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया कि जहां संभव हो स्कूलों की संख्या कम की जाए. जहां जरूरत हो रेलवे के स्कूलों को केंद्रीय विद्यालय संगठन के तहत साथ लाया जाए. रेलवे के पुनर्गठन पर विवेक देबरॉय समिति ने भी इसकी सिफारिश की थी.

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Last Updated : Nov 1, 2021, 11:06 PM IST
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