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तालिबान के खिलाफ पंजशीर घाटी ने फिर फूंका प्रतिरोध का बिगुल

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Published : Aug 19, 2021, 8:19 PM IST

Updated : Aug 19, 2021, 8:35 PM IST

पंजशीर घाटी
पंजशीर घाटी

1979 में रूसियों और 1996 से तालिबान का मुकाबला करने के बाद, एक बार फिर से घाटी के लोगों ने शीर्ष तालिबान विरोधी नेताओं के खिलाफ प्रतिरोध का झंडा उठाया है. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

नई दिल्ली : अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी (Panjshir Valley) गोस्किनी की कॉमिक्स में मौजूद आरमोरिका का प्रसिद्ध फेबल गॉल गांव (fabled Gaul village) नहीं है, जिसमें औबेलिक्स (Obelix) शक्तिशाली रोमनों के खिलाफ भी निडर और निर्भीक रूप से स्वतंत्र रहता था. हालांकि पंजशीर घाटी की फेबल गॉल से तुलना करना ठीक नहीं हैं, क्योंकि आरमोरिका का प्रसिद्ध फेबल गॉल गांव सिर्फ कल्पना में मौजूद है.

अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से एक और काबुल से लगभग 70 किमी उत्तर में, पंजशीर घाटी निषिद्ध का दूसरा नाम है. यह हमें 17 अगस्त को भी देखने को मिला, जिस समय काबुल पर तालिबान का कब्जा हुआ तो अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए. उनके मंत्रिमंडल के साथी भी भूमिगत हो गए. कई नेताओं ने तजाकिस्तान में शरण ली. जब दुनिया यह मानने लगी कि अशरफ गनी और उनके साथियों ने तालिबान के सामने घुटने टेक दिए हैं, तब 'पंजशीर के शेर' अमरुल्ला सालेह ने ट्विटर पर दहाड़ लगाई.

अफगानिस्तान के 48 वर्षीय उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (amrullah saleh) ने खुद को कार्यकारी राष्ट्रपति घोषित कर तालिबान को खुली चुनौती दी.

पंजशीर से बोलते हुए, सालेह ने अहमद मसूद और पूर्व रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह खान मोहम्मदी के साथ तालिबान विरोधी मोर्चे के गठन की घोषणा कर दी. दिलचस्प बात यह है कि तीनों ताजिक हैं और यह सभी पंजशीर में पैदा हुए हैं.

अहमद शाह मसूद (Ahmad Shah Massoud) के बेटे 32 वर्षीय अहमद मसूद ने बुधवार को लिखा कि मैं आज पंजशीर घाटी से लिखता हूं, अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए, मैं मुजाहिदीन लड़ाकों के साथ एक बार फिर तालिबान से मुकाबला करने के लिए तैयार हूं.

तालिबान के वास्तविक प्रमुख मुल्ला गनी बरादर (Taliban head Mullah Baradar ) के साथ-साथ पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई (former president Hamid Karzai), जिन्हें तालिबान के साथ बातचीत करने के लिए चुना गया है, दोनों पोपलजई जनजाति (Popalzai tribe) से हैं और पश्तून हैं, जबकि तालिबान नेता हैबातुल्लाह अखुंदजादा (Haibatullah Akhundzada) कंधार के पश्तून हैं.

दिलचस्प बात यह है कि अब्दुल्ला अब्दुल्ला (Abdullah Abdullah), जो तालिबान के साथ बातचीत में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन रहे हैं. उनके पिता पश्तून है और मां पंजशीर की ताजिक हैं, लेकिन दोनों पंजशीर से हैं.

उबड़-खाबड़ और ऊंचे पहाड़ों से घिरी, गड़गड़ाहट वाली पंजशीर नदी से कटी गहरी घाटियां, बर्फ से ढकी चोटियों के सर्वव्यापी दृश्य के साथ, पंजशीर घाटी केवल पहाड़ों में एक संकीर्ण रास्ते के माध्यम से बाहरी लोगों के लिए खुलती है - यही कारण है कि इसे सैन्य दृष्टिकोण से एक अभेद्य किला ( impregnable fortress) माना जाता है.

हालांकि दुर्गम इलाके और ऊबड़-खाबड़ भूमि ने लोगों को स्थानीय ताजिकों के बीच लड़ाकों का समुदाय बना दिया है, जो गुरिल्ला युद्ध (guerrilla warfare) में उत्कृष्ट थे. यह इलाका 'हिट-एंड-रन' रणनीति के लिए, घात लगाकर हमला करने के लिए और दुश्मन को छिपाने और इंतजार करने के लिए एकदम सही है.

पढ़ें - जानिए शेर-ए-पंजशीर अमरुल्ला सालेह के बारे में, जिसने तालिबान को खुली चुनौती दी है

इस वजह से 1979 में अफगानिस्तान पर हमला करने के बाद 1989 में वापसी तक रूसी इसे जीत नहीं पाए, और न ही तालिबान ने 1996 से 2001 तक काबुल में अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान इस पर जीत हासिल कर सका.

रूसियों से लड़ने के लिए अहमद शाह मसूद जिसे 'पंजशीर का शेर' भी कहा जाता है, ने जून 1979 में मुजाहिदीन के एक बैंड (band of Mujaheedins ) का आयोजन किया, जिसने रणनीतिक घाटी (strategic valley) पर नियंत्रण हासिल करने से 1980-85 से सोवियत यूनियन को रोके रखा. इसके बाद 1996 से तालिबान के खिलाफ भी इसने तालिबानी घुसपैठ का विरोध किया.

जो चीज इस जगह को प्रतिरोध का केंद्र बिंदु बनाती है, वह यह है कि अफगानिस्तान में फारसी दारी-भाषी ताजिकों की सबसे घनी आबादी है. अफगानिस्तान की कुल 3.8 करोड़ आबादी में ताजिकों की संख्या 37 प्रतिशत है, तो वहीं दूसरी तरफ 37 प्रतिशत पश्तूनों हैं, जबकि यहां 10 प्रतिशत हजारा और उजबेक्स 9 प्रतिशत हैं.

हालांकि तालिबान बड़े पैमाने पर पश्तून बहुल है, अफगान सेना में ताजिकों का वर्चस्व है.

Last Updated :Aug 19, 2021, 8:35 PM IST
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