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बिहार में पलायन का दर्द: आखिर बिहार से क्यों होता है इतना पलायन?

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Published : Oct 11, 2022, 5:32 PM IST

काम की तलाश में बिहार से मजदूरों के पलायन (Migrant exodus from Bihar) का लंबा इतिहास रहा है. इस समस्या से निजात नहीं मिल सकी, मगर इस पर राजनीति खूब हुई है. चुनाव के समय हमारे नेता इस मुद्दे पर अपनी राजनीति काे धार देते हैं. बिहार की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए प्रशांत किशोर भी इस मुद्दे काे भंजाने का प्रयास कर रहे हैं. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर जनसुराज पद यात्रा निकाल रहे हैं. चंपारण से यात्रा शुरू की है. इस यात्रा में पलायन बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बना रहे हैं. लेकिन, यहां पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों लोग पलायन करने के लिए मजबूर हैं. आखिर बिहार से क्यों होता है इतना पलायन?

Pain of migration in Bihar
Pain of migration in Bihar

पटना: बिहार में सम्राट अशोक ने प्रशासन प्रणाली का एक ढांचा विकसित किया था. आज भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह बहस चल रही है कि क्या सम्राट अशोक ने ही आधुनिक खुली अर्थव्यवस्था की नींव रखी थी. लेकिन यह विडंबना ही है कि आज उसी बिहार का उल्लेख सबसे ज्यादा पलायन करने वाले राज्यों में शामिल है. आजादी के बाद का देश का अकेला जनआंदोलन बिहार ने खड़ा किया था, लेकिन आज यही बिहार राेजगार और शिक्षा के लिए पलायन का दंश झेल रहा है. हाल के दिनों में आंकड़ों के माध्यम से इस पलायन के दर्द पर मरहम लगाने का प्रयास किया गया. बिहार के बदलने के संकेत दिए गये, लेकिन जमीनी स्थिति कितनी बदली है यह अभी अस्पष्ट है. आखिर क्या वजह है कि हम बिहारी, बिहार छोड़कर दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं? क्या बिहार के आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं? क्या बिहार में शिक्षा की स्थिति ठीक नहीं है? और क्या स्वास्थ्य सुविधाओं से हम बिहारी नाराज है. आइये समझते हैं कि आखिर बिहार से हर साल पलायन क्यों होता है और क्या है पलायन का दर्द.

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पलायन में कमी आने का दावाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2012 में दावा किया था कि 2008 से 12 के बीच पलायन में 40 फीसदी तक कमी आई है. बिहार में ही लोगों को काम मिलने लगा है. यहां तक कि पंजाब सरकार की ओर से पत्र भी आया है इसमें उनके यहां फसल कटने के लिए मजदूर नहीं मिलने की बात कर रहे हैं. लेकिन सच्चाई आज भी यही है कि लाखों लोग रोजगार के लिए बिहार से पलायन करते हैं. इंजीनियरिंग और मेडिकल में एडमिशन कराने के लिए कोचिंग करने फिर इसकी पढ़ाई करने के लिए बड़ी संख्या में छात्र दूसरे राज्य जा रहे हैं. कोरोना के समय जितने बड़े पैमाने पर बिहार के लोग अलग-अलग राज्यों से लौटे वह तस्वीर कोई भूल नहीं सकता.

पलायन है राजनीतिक मुद्दा: साल 2020 बिहार विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में राजनीतिक दलों ने रोजगार और पलायन को मुद्दा बनाने की पूरी कोशिश की थी. पलायन और रोजगार जैसे मुद्दों ने राजनैतिक पार्टियों का ध्यान भी अपनी ओर खींचा था. इसलिए तो आरजेडी ने बेरोजगारी को मुद्दा बनाया और चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश की थी. जिसमें आरजेडी ने 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. जिसके जवाब में बीजेपी ने 19 लाख रोजगार देने का वादा किया था.

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पलायन की वजह

बिहार से पलायन के आंकड़ें: थोड़ा पीछे चले और समझे कि आखिर आंकड़ें क्या कहते हैं. दरअसल, साल 1951 से लेकर 1961 तक बिहार के करीब 4 फीसदी लोगों ने दूसरे राज्य में पलायन किया था. वहीं, 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर नजर डाले तो 2001 से 2011 के बीच करीब 93 लाख लोग बिहार छोड़कर दूसरे राज्य चले गए. देश की पलायन करने वाली कुल आबादी का 13 फीसदी आबादी अकेले बिहार से है. जो यूपी के बाद दूसरे नंबर पर है.

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बिहार में शिक्षा का हाल: बिहार से पलायन रोजगार के लिए सबसे अधिक लोग करते रहे हैं. इसके अलावा शिक्षा के लिए लाखों छात्र हर साल दूसरे राज्यों में जाते हैं. कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित कई राज्यों के इंजीनियरिंग कॉलेज बिहार के छात्रों से ही चल रहे हैं. यहां तक की कोचिंग के लिए भी राजस्थान के कोटा और दिल्ली में हर साल बड़ी संख्या में स्टूडेंट जाते हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक, बिहार में साक्षरता दर 61.80 है, जो कि देश में सबसे कम है. स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स 2019 में 20 बड़े राज्यों में बिहार 19वें नंबर पर है. वहीं, बिहार में छोटी क्लास से बड़ी क्लास में जाते-जाते एनरोलमेंट रेश्यो बहुत ज्यादा गिर जाता है. ऐसे समझे तो प्राइमरी स्कूल में एनरोलमेंट रेश्यो करीब-करीब 100 फीसदी है, जबकि सेकेंडरी स्कूल में यह केवल 47 फीसदी है.




बिहार की आधी जनसंख्या का पलायन से सीधा संबंध: पलायन को लेकर सरकार ने अभी तक कोई स्टडी नहीं कराया है, लेकिन कोरोना के समय सरकारी व्यवस्था से 35 लाख के आसपास लोग बिहार लौटे थे. हालांकि बिहार लौटने वाले लोगों की संख्या इससे कहीं अधिक थी जो अलग-अलग माध्यमों से अपनी व्यवस्था से लौटे थे. बिहार से हर साल कोसी और सीमांचल के इलाकों से सबसे अधिक पलायन लोग करते हैं क्योंकि यह इलाका बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित होता है. 2011 की जनगणना के हिसाब से देश के 14% माइग्रेंट बिहार से थे. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पापुलेशन स्टडीज के अनुसार 2020 में किए गए एक शोध के अनुसार बिहार की आधी जनसंख्या का पलायन से सीधा संबंध है.

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पलायन कर कहां जाते लोग.

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"देश जब आजाद हुआ था तब तमिलनाडु, बिहार से ज्यादा गरीब था. आज हमारे यहां के लड़के जाकर तमिलनाडु में मजदूरी कर रहे हैं, वहां कैसे व्यवस्था बदल गई. समाज जागेगा, प्रयास करेगा तभी व्यवस्था परिवर्तन होगा. इसी व्यवस्था परिवर्तन के लिए हम निकले हुए हैं. हमारे लड़के देश भर में मजदूरी कर रहे हैं और नेताजी कह रहे हैं कि बिहार में विकास हुआ है" -प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार


"बिहार में नीतीश कुमार ने 17 सालों में विकास का जो कार्य किया है, उससे बिहार का पुनर्निर्माण हुआ है. अब यहां से लोग पलायन नहीं कर रहे हैं. देश में बेरोजगारी और महंगाई के लिए केंद्र सरकार जिम्मेवार है"-उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू

"देश के 18 जिलों में सबसे अधिक पलायन होता है और उसमें से बिहार के 6 जिले शामिल हैं. बिहार से पलायन का बड़ा कारण बिहार में छोटे उद्योग धंधों का विकास जितना होना चाहिए था नहीं हुआ"-विद्यार्थी विकास, विशेषज्ञ, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट

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कहां से सबसे ज्यादा होता है पलायन.

शोधों के अनुसार बिहार से पलायन बढ़ाः 2001 से 2011 के बीच 9300000 लोग रोजगार की तलाश में बिहार से दूसरे राज्यों में गए. यह बिहार की आबादी का करीब 9% है. 2021 में जनगणना हुई नहीं लेकिन जो स्थिति और विभिन्न शोधों से जानकारी मिल रही है उसके अनुसार बिहार से पलायन बढ़ा है. देश में कुल पलायन का 15 % बिहार से ही हो रहा है. जनरल ऑफ माइग्रेशन अफेयर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार से दूसरे राज्यों में जाने वाले 55% लोग रोजी-रोटी के लिए पलायन करते हैं. रोजगार के अलावे सबसे अधिक शिक्षा के लिए 3 से 5% लोग बिहार से पलायन करते हैं. साथ ही 3% के आसपास लोग व्यापार के लिए पलायन करते हैं. बिहार से कृषि कार्य के लिए लोग पंजाब और हरियाणा जाते हैं. साथ ही दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र में उद्योग क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग काम करने जाते हैं. बिहार से पलायन करने वाले लोगों में 58 फीसदी ओबीसी समुदाय के लोग आते हैं और 36 फीसदी लोग SC/ST से. मुस्लिम समुदाय से आने वाले लोग बड़ी संख्या में गल्फ कंट्री में काम करने भी जाते हैं.


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