ETV Bharat / bharat

Odisha train accident: शवों की पहचान के लिए एआई संचालित पोर्टल, सिम कार्ड का उपयोग कर रहा रेलवे

author img

By

Published : Jun 8, 2023, 2:18 PM IST

Odisha train accident
भुवनेश्वर एम्स प्रतिकात्मक तस्वीर

ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे के छह दिन बाद भी सभी मृतकों के शवों की पहचान नहीं हो पायी है. रेलवे इसके लिए हर तरह की तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

नई दिल्ली : ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे के जिन मृतकों के शवों की अब तक शिनाख्त नहीं हो सकी है, उनकी पहचान के लिए रेलवे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित वेबसाइट और सिम कार्ड की त्रिकोणन विधि का उपयोग कर रहा है. अधिकारियों ने बताया कि दो जून को हुई दुर्घटना में मारे गए 288 लोगों में से 83 शव बुधवार तक लावारिस पड़े थे. रेलवे ने शुरू में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की एक टीम को घटनास्थल पर बुलाया था ताकि मृतकों की पहचान के लिए उनके अंगूठे के निशान लिए जा सकें.

फिंगर प्रिंट से पहचान निकालना हो गया था मुश्किल
एक अधिकारी ने कहा कि लेकिन यह उपाय कारगर नहीं हो पाया क्योंकि ज्यादातर मामलों में अंगूठे की त्वचा क्षतिग्रस्त हो गई थी और निशान लेना मुश्किल था. फिर हमने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित 'संचार साथी' पोर्टल का उपयोग करके शवों की पहचान करने के बारे में सोचा. अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में शुरू किए गए संचार साथी वेब पोर्टल का इस्तेमाल 64 शवों की पहचान के लिए किया गया और यह 45 मामलों में सफल रहा.

तस्वीर से मिला फोन नंबर, फोन नंबर से मिला पता
'संचार साथी' ग्राहकों को उनके नाम पर जारी किए गए मोबाइल कनेक्शन को जानने और अपने खोए हुए स्मार्टफोन का पता लगाने और उसे ब्लॉक करने की अनुमति देता है. कृत्रिम मेधा आधारित इस पोर्टल को हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा लॉन्च किया गया था. उनके पास सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है. ट्रेन दुर्घटना के पीड़ितों के शवों की पहचान करने के लिए, पोर्टल ने उनकी तस्वीरों का उपयोग करके पीड़ितों के फोन नंबर और आधार विवरण का पता लगाया. अधिकारियों ने बताया कि इसके बाद उनके परिवार के सदस्यों से संपर्क किया गया.

'सेलफोन इम्प्रेशन' तकनीक से भी पहचान की उम्मीद
हालांकि, यह एक कठिन काम था क्योंकि इनमें से कई शवों की पहचान मुश्किल हो रही थी. एक अधिकारी ने कहा कि कुछ शवों में कोई पहचान योग्य विशेषताएं ही नहीं बची हैं. उनके कपड़ों से भी उनकी पहचान करना मुश्किल है क्योंकि वे खून से सने हुए हैं. रेलवे अधिकारी दुर्घटना स्थलों के आसपास 'सेलफोन इम्प्रेशन' तकनीक का उपयोग करके कुछ शवों की पहचान करने की भी उम्मीद कर रहे हैं. दुर्घटना से ठीक पहले आसपास के टॉवरों के माध्यम से किए गए फोन कॉल का पता लगाकर और उन्हें दुर्घटना के समय तुरंत बंद हो गए टावरों से संबद्ध कर, रेलवे यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या वे फोन कॉल अज्ञात पीड़ितों के थे.

ये भी पढ़ें

इस अभियान के लिए आठ टीमों को तैनात किया
एक अधिकारी ने बताया कि हम उन फोन का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं जो दुर्घटना से ठीक पहले सक्रिय थे लेकिन हादसे के बाद बंद हो गए. उन्होंने कहा कि अब तक, हम इस तरीके से जिन 45 लावारिस शवों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, उनमें से हमें 15 फोन ऐसे मिले हैं जो बंद थे लेकिन वे जीवित बचे लोगों के थे. हम अभी भी अन्य 30 का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. रेलवे ने बचाव और पुनर्वास कार्य को पूरा करने के लिए जबरदस्त प्रयास किया. मंत्रालय ने इस अभियान के लिए आठ टीमों को तैनात किया था. जिनमें से प्रत्येक में 70 कर्मी शामिल थे और एक अधिकारी प्रत्येक दल की अध्यक्षता कर रहा था.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.