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उत्तरकाशी एवलॉन्च: समि‌ट कैंप पहुंचा ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार, लापता पर्वतारोहियों की होगी तलाश

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Published : Oct 26, 2022, 4:44 PM IST

GROUND PENETRATING RADAR
उत्तरकाशी एवलॉन्च

उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा चोटी आरोहण के दौरान हुए हिमस्खलन की घटना में अभी भी नौसेना में नाविक विनय पंवार और लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक वशिष्ठ लापता हैं. उनकी तलाश अब जीपीआर से की जाएगी. निम ने जीपीआर मशीन को द्रौपदी का डांडा 2 चोटी के समिट कैंप पहुंचा दिया है.

उत्तरकाशीः हिमस्खलन हादसे में लापता 2 प्रशिक्षु पर्वतारोहियों की तलाश के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (Ground Penetrating Radar) द्रौपदी का डांडा 2 चोटी के समिट कैंप पर पहुंचा दिया गया है. निम के अधिकारियों की मानें तो जीपीआर के इस्तेमाल के लिए रेस्क्यू टीम के सदस्यों को प्रशिक्षण दिया गया है. अब जीपीआर की मदद से लापता पर्वतारोहियों की तलाश शुरू की जाएगी.

बीती चार अक्टूबर को द्रौपदी का डांडा 2 चोटी आरोहण के दौरान निम के एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स से जुड़े 29 सदस्य हिमस्खल की चपेट में आ गए थे. हादसे के बाद 27 के शव बरामद किए गए, जबकि नौसेना में नाविक विनय पंवार और लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक वशिष्ठ हादसे के 21 दिन बाद भी लापता चल रहे हैं. दोनों की तलाश के लिए निम ने तकनीकी मदद लेते हुए बैंगलुरु से ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (Ground Penetrating Radar) मंगवाया है.

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (Nehru Institute of Mountaineering) के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि जीपीआर को सोमवार को बेस कैंप पहुंचाया गया था. जिसके बाद इसे समिट कैंप पहुंचा दिया गया है. जीपीआर के साथ आए एक ऑपरेटर ने इसके इस्तेमाल को लेकर रेस्क्यू टीम में शामिल निम, हाई एल्टीट्यूट वॉर फेयर स्कूल (हॉज) और सेना के करीब 14 जवानों को प्रशिक्षण दिया है. उन्होंने बताया कि जीपीआर की मदद से लापताओं की तलाश की जाएगी. उन्होंने चार-पांच दिनों में लापता पर्वतारोहियों के मिलने की उम्मीद जताई.
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निम के प्रधानाचार्य अमित बिष्ट के नेतृत्व तलाशी अभियानः जीपीआर से लापता लोगों की तलाशी का अभियान (GPR trace Missing Mountaineers) निम के प्रधानाार्य कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में चलेगा. इसके लिए निम के प्रधानाचार्य हेली के माध्यम से समिट कैंप के लिए रवाना होंगे. निम प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि लापता दोनों प्रशिक्षुओं की तलाश के लिए 50 सदस्यों की टीम द्रौपदी का डांडा 2 क्षेत्र में मौजूद है.

ऐसे करता है कामः जीपीआर यानी ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (Ground Penetrating Radar) उच्च-आवृत्ति रेडियो तरंगों का उपयोग करता है. जिसमें एक ट्रांसमीटर और एंटीना जमीन में विद्युत चुम्बकीय तरंगों को भेजता है. किसी दबी हुई वस्तु से टकराने पर यह तरंगे परावर्तित होकर लौटती हैं, जिससे किसी के दबे होने का पता चल जाता है.

गौर हो कि बीती 4 अक्टूबर को उत्तरकाशी जिले के द्रौपदी का डांडा 2 (Draupadi Ka Danda Avalanche) के डोकरानी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में एवलॉन्च की घटना हुई थी. जिसकी चपेट में एडवांस कोर्स प्रशिक्षण के लिए गए निम के प्रशिक्षु पर्वतारोही और प्रशिक्षक आ गए थे. जिनमें उत्तरकाशी की लौंथरू गांव की माउंट एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल (Mountaineer Savita Kanswal), भुक्की गांव की पर्वतारोही नौमी रावत (Mountaineer Naumi Rawat), अल्मोड़ा के पर्वतारोही अजय बिष्ट समेत 29 पर्वतारोहियों की जान चली गई थी.

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