सागर। शायद ही ऐसा कोई घर हो जहां छिपकली का बसेरा ना और शायद ही कोई ऐसा इंसान हो, जिसका कभी छिपकली से सामना ना हो. घर की चारदीवारी पर लगी तस्वीरों के पीछे तो कभी दीवार पर रेंगते हुए छिपकली हर घर में आसानी से देखने को मिल जाती हैं. अचानक छिपकली के दिखने और गिरने से निकलने वाली चींख से लगभग हर इंसान वाकिफ है. लेकिन सागर के बाघराज वार्ड के पंडा पुरा इलाके में एक घर में तीन पूंछ वाली छिपकली मानों घर में रहने वाले लोगों की आंखों का तारा बनी हुई है. घर के लोग करीब 6 महीने से छिपकली को लगातार देख रहे हैं और उसे कभी छेड़ते नहीं हैं.
छिपकली को लकी मानते हैं परिवार के लोग: घर के लोग तीन पूंछ की छिपकली को बड़ी श्रद्धा से देखते हैं और उसे अपने घर और घर में रहने वाले लोगों के लिए शुभ मानते हैं. आमतौर पर छिपकली की एक पूंछ पाई जाती है और इतना सब जानते हैं कि छिपकली की पूंछ अगर कट या टूट जाती है, तो फिर से उग आती है. लेकिन तीन पूंछ वाली छिपकली को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं. आइए जानते हैं कि कीट वैज्ञानिक इस घटना को क्या कहते हैं और क्या मानते हैं.
जाने तीन पूंछ वाली छिपकली का ठिकाना: तीन पूंछ वाली छिपकली जो कौतूहल और आस्था का विषय बनी हुई है, यह दुर्लभ छिपकली सागर के बाघराज वार्ड के पंडापुरा इलाके में नजर आई है. पंडापुरा इलाके में रहने वाले रामचरण पटेल के घर पर ये छिपकली पिछले 6 महीने से डेरा जमा हुए है. इसे घर के लोग बड़ी श्रद्धा और आस्था से देखते हैं. घर के सदस्य कमलेश पटेल बताते हैं कि ''छिपकली करीब 6 महीने से हमारे घर में नजर आ रही है और हम लोग इसे काफी शुभ मानते हैं. घर का कोई व्यक्ति छिपकली के साथ छेड़छाड़ नहीं करता है, वह पूरे घर में घूमती रहती है, लेकिन कोई उसे भगाने या छेड़ने का प्रयास नहीं करता है. हमारा मानना है कि वह हम सब लोगों के लिए काफी शुभ है.''
क्या कहना है कीट विज्ञान के प्रोफेसर का: डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर की कीट विज्ञान की प्रोफेसर डॉ. वर्षा शर्मा बताती हैं कि यह हाउस लिजर्ड यानि हमारे घरों में रहने वाली छिपकली होती है. जिसे हम जूलॉजिकल भाषा में हेमिडैक्टाइलस कहते हैं. छिपकली में एक फिनोमिना प्रोसेस होती है कि अगर उनके शरीर का कोई हिस्सा कट जाए, तो उसमें क्षमता होती है कि वह धीरे-धीरे अपने शरीर के उसे हिस्से को नया बना लेती है, जिसे हम "रीजनरेशन" कहते हैं.
तीन पूंछ वाली छिपकली एक दुर्लभ घटना: प्रोफेसर डॉ. वर्षा शर्मा बताती हैं कि "रीजनरेशन" एक सामान्य क्रिया है, लेकिन इस मामले में जो घटना हुई है, उसे "ऑटोटोमी" कहते हैं. ऑटोटोमी का मतलब होता है कि अपने आप शरीर के किसी हिस्से का बन जाना. छिपकली के शरीर में ये क्रिया रीजेनरेशन से थोड़ी हटकर है. छिपकली इसका प्रयोग तब करती है, जब कोई शत्रु उस पर हमला करता है, तो वह अपने बचाव में शरीर के उतने हिस्से को अलग कर देती है. बचाव के लिए ये तरीका "मिमिक्री" कहलाता है. फिर छिपकली अपने उस अंग को फिर से उगा लेती है. हालांकि ये सामान्य क्रिया है और अक्सर हम देखते हैं कि हमारे घरों की दीवारों पर कभी बिना पूंछ के दिखने वाली छिपकली की पूंछ धीरे-धीरे उगने लगती है और फिर वह पूरा आकार लेती है. लेकिन इस केस में छिपकली की एक की जगह 3 पूंछ बन गई हैं, हालांकि यह बहुत कम देखने को मिलता है. एक की जगह दो पूंछ जरूर देखने मिल जाती है लेकिन 3 पूंछ दिखना काफी कम होता है. हालांकि इस घटना से डरने की जरूरत नहीं है. यह एक नेचुरल प्रोसेस है, जिसमें कभी-कभी ऐसे बदलाव देखने मिल जाते हैं.
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छिपकली को लेकर कई भ्रांतियां और मान्यताएं: डॉ. वर्षा शर्मा कहती हैं कि छिपकली को लेकर कई तरह की भ्रांतियां और धार्मिक मान्यताएं हैं. छिपकली के देखने और हरकतों को लेकर कई तरह के शगुन-अपशगुन माने जाते हैं. अगर छिपकली किसी के शरीर के ऊपर गिर जाती है तो महिला और पुरुष के हिसाब से उसके अलग-अलग शुभ-अशुभ परिणाम बताए जाते हैं. इसी तरह तीन पूंछ वाली छिपकली को लेकर मान्यता रहती है कि लोग इसे काफी शुभ मानते हैं. वैसे भी कई धार्मिक ग्रंथों में छिपकली को काफी शुभ माना गया है. हो सकता है कि इसी वजह से जिनके घर में ये छिपकली है, वह लोग उसके साथ छेड़छाड़ नहीं करते हैं.