ETV Bharat / bharat

MP Medical Education Hindi: स्टूडेंट्स व टीचर्स पूछ रहे-'किसे पसंद आई हिंदी माध्यम की पढ़ाई' ऑडिट की मांग

author img

By

Published : Jul 21, 2023, 7:01 PM IST

MP Medical Education Hindi
किसे पसंद आई हिंदी माध्यम की पढ़ाई' ऑडिट की मांग

देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में (MP Medical Education Hindi) कराने को लेकर बड़े तामझाम से शुरुआत की गई. शुरू से ही इस पर सवाल खड़े होने लगे थे.लेकिन अब सवाल गंभीर हो गए हैं. छात्रों से लेकर शिक्षक तक सवाल उठा रहे हैं कि बताओ कितने भावी डॉक्टरों को हिंदी माध्यम की यह पढ़ाई पसंद आई है. डॉक्टर्स एसोसिएशन ने हिंदी किताबों और लाइब्रेरी का ऑडिट कराने की मांग की है.

भोपाल। पूरे देश में एमबीबीएस की हिंदी में किताबों को लेकर मध्यप्रदेश का नाम चर्चा में है. एक साल पहले लाइब्रेरी के जरिए इन किताबों को फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स को पढ़ाने का दावा किया गया और अब सीधे पुस्तकें बांट दी गई हैं. एक साल पूरा होने के बाद अब टीचर्स एसोसिएशन ने किताबों के ऑडिट की मांग की है. यह ऑडिट इन किताबों पर आए खर्च का नहीं, बल्कि किताबों के इस्तेमाल का है.

पहले साल की पढ़ाई पूरी : एमबीबीएस के फर्स्ट ईयर की मेडिकल की पढ़ाई इस साल पूरी हो गई है. उसके ऑडिट की मांग एमपी टीचर्स एसोसिएशन के मेंबर्स ने की है. एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने छह बिंदुओं के तहत एक पोस्ट बनाकर जिम्मेदारों को व्हाट्सएप की है. मांग की गई है कि इनका जवाब टीचर्स और स्टूडेंट दोनों से ही मांगा जाए. डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा है कि फर्स्ट ईयर की मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में समाप्त हो चुकी है. अब आगे इसे जारी रखने के लिए आवश्यकता है कि हिन्दी में पढ़ाई कर द्वितीय वर्ष में आए छात्रों से ऑडिट कराा जाए.

मजाक बन गई हिंदी में पढ़ाई : डॉ.सुनील अग्रवाल ने जो सवाल उठाए हैं, उसमें छात्रों को मिले वास्तविक लाभ, पाठ्यक्रम का लाभ, भविष्य के लिए सुझाव व बदलाव, खर्च का ब्यौरा, जारी रखने की बात और टीचर्स का फीडबैक मांगने की बात कही है. उनकी इस पोस्ट के वायरल होने के बाद ईटीवी भारत ने 13 मेडिकल कॉलेज में से 3 मेडिकल कॉलेज का फीडबैक लिया और जाना कि लाइब्रेरी से कितनी पुस्तकें स्टूडेंट ने इश्यु करवाई तो आंकड़े जानकर हैरानी हुई. भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में कुल छात्रों में से सिर्फ 5 ने ही नियमित बुक इश्यु करवाई हैं. वहीं इंदौर में यह संख्या 7 बताई गई है. चूंकि यह सरकार का महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट है, इसलिए इस मामले में कोई भी जिम्मेदार बात करने के लिए तैयार नहीं है.

इन 5 बिंदुओं पर ऑडिट की मांग :

  • कितने छात्रों ने इसका वास्तविक लाभ उठाया?
  • उन्हें हिन्दी पाठ्यक्रम का कितना लाभ मिला?
  • हिन्दी पाठ्यक्रम से पढ़ाई करने वाले छात्रों के द्वारा भविष्य के लिए बदलाव/सुझाव.
  • हिंदी में मेडिकल पाठ्यक्रम पर किए गए खर्चे का ब्योरा?
  • क्या भविष्य में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में जारी रखनी चाहिए?
  • हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के बारे में चिकित्सा शिक्षकों के अनुभव, उनकी राय एवं सुझाव इत्यादि.

ये खबरें भी पढ़ें...

ये है प्रोजेक्ट : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल के हिंदी दिवस वाले एक कार्यक्रम में कहा था कि हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई होनी चाहिए. इसके बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे दोहराया. दो साल पहले चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने काम शुरू किया. इसका नोडल अधिकारी डॉ. लोकेंद्र दवे को बनाया गया. डॉ.आशीष गोहिया को जिम्मेदारी मिली और एक साल पहले फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट के लिए लाइब्रेरी में यह पुस्तकें रख दी गईं. इस साल इन्हें बाकी मेडिकल कॉलेज में भी बांट दिया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.