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मध्यप्रदेश में महाकाल लोक के बाद अब यहां बन रहा शनि लोक, देखें इसकी तैयारियां व विशेषताएं

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 19, 2023, 6:00 PM IST

Shani Lok constructed on aenti mountain in Morena
मध्यप्रदेश में महाकाल लोक के बाद अब यहां बन रहा शनि लोक

Shani lok in Morena : मध्य प्रदेश में बाबा महाकाल लोक की तरह अब शनि लोक बनाने की तैयारी है. यह शनि लोक मुरैना जिले के ऐंती पर्वत पर स्थित विश्व प्रसिद्ध शनि देव धाम पर बनेगा. इसको लेकर तैयारी शुरू हो गई है. यह देश का पहला शनि लोक होगा. शनि लोक को ग्वालियर के टिड मेंट पत्थर से सजाया जाएगा. इस पत्थर से सप्त ऋषियों की मूर्तियां तैयार हो रही हैं. इन मूर्तियों को नेशनल अवार्डी दीपक विश्वकर्मा तैयार कर रहे हैं. देखिए ETV भारत संवाददाता अनिल गौर की खास रिपोर्ट...

मध्यप्रदेश में महाकाल लोक के बाद अब यहां बन रहा शनि लोक

ग्वालियर। मुरैना जिले के ऐंती पर्वत पर स्थित शनिचरा मंदिर ट्रस्ट की ओर से सप्तऋर्षियों की प्रतिमाएं बनाने का आर्डर मिला है. इसमें प्रत्येक ऋषि की मूर्ति करीब 7 फीट ऊंचाई की होगी. इसका वजन करीब 2 टन के लगभग रहेगा. प्रत्येक मूर्ति की लागत लगभग 3 लाख रुपए है. ये सभी सप्तऋषि की प्रतिमाएं अलग-अलग मुद्राओं में तैयार की जा रही हैं, जो एक दूसरे से अलग दिखेंगी. इनमें ऋषियो को तपस्या करते हुए, आशीर्वाद देते हुए, कमंडल लिए, माला जपते हुए, ध्यान की मुद्रा में बनाया जा रहा है. इसमें 6 मूर्तियां बैठने की हैं और एक खड़े रूप में तैयार हो रही है. इसके अलावा मंदिर पर एक भव्य द्वार तैयार किया जाएगा. वहीं श्रद्धालुओं के लिए बैठने की व्यवस्था और होटल भी तैयार किए जाएंगे. यह शनि लोक देखने में बाबा महाकाल लोक की तरह दिखाई देगा, जो लाइटिंग और खूबसूरती में बेहद भव्य होगा.

मुरैना जिले में ऐंती पर्वत पर विराजे हैं शनिदेव : बता दें कि मुरैना जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर ग्राम ऐंती के पर्वत पर भगवान शनि देव का मंदिर है. मंदिर की प्राचीनता इसकी गवाह है. मंदिर में दो फुट ऊंची शनि प्रतिमा है. मान्यता है कि त्रेता युग में सीताजी की खोज के लिए लंका गए हनुमान जी ने लंका दहन करने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हुए. योग शक्ति के माध्यम से हनुमान जी को अवगत हुआ कि उनके प्रिय सखा लंका के पति रावण के पैरों के आसन बने हुए हैं. इसलिए लंका में आग नहीं लग रही है. हनुमान जी ने बुद्धि से कार्य करते हुए शनिदेव को रावण के पैरों से मुक्त कराकर लंका छोड़ने को कहा, लेकिन दुर्बल शनिदेव कुछ दूरी पर चलने के साथ ही थक गए. लंका से बाहर निकलते ही असमर्थता पर शनि देव के सुझाव के बाद हनुमान जी ने शनिदेव को लंका से फेंका, तब शनिदेव इस पर्वत पर ही जाकर गिरे. इसी शनि पर्वत कहा जाता है.

विश्व की इकलौती प्रतिमा : घोर तपस्या कर अपनी शक्तियों का फल शनि देव ने इसी पर्वत पर प्राप्त किया है. शनि पर्वत पर शनि भगवान की प्रतिमा स्थापना चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने कराई थी. भगवान शनि देव की प्रतिमा के सामने ही हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित कराई गई थी. ये दोनों प्रतिमाएं विश्व में इकलौती एवं दुर्लभ है. इस मंदिर का जीर्णाद्वार विक्रम संवत 1806 में तत्कालीन महाराज सिंधिया के मामा दौलत राव सिंधिया ने करवाया था. वर्तमान में ये मंदिर मध्य प्रदेश सरकार की संपत्ति होकर औकाफ के अधीन है. मंदिर कमेटी के अध्यक्ष जिला कलेक्टर हैं.

Shani Lok constructed on aenti mountain
महाकाल लोक की तरह अब शनि लोक बनाने की तैयारी

शनि सिंगणापुर में यहीं की शिला : इसके अलावा विश्व प्रसिद्ध शनि मंदिर की मान्यता है कि महाराष्ट्र के सिंगणापुर में प्रसिद्ध शनि मंदिर मौजूद है. सिंगणापुर में प्रतिष्ठित शनि शिला भी सन् 1817 में इसी ऐंती स्थित शनि पर्वत से ले जाई गई थी, जो वहां खुले आकाश में विशाल चबूतरे पर स्थापित है. इस शनि मंदिर पर प्रत्येक शनिचरी अमावस्या को विशाल मिला आयोजित किया जाता है, जिसमें देश की कोने-कोने से श्रद्धालु लाखों की संख्या में दर्शन करने के लिए आते हैं. हर शनिचरी अमावस्या को जिला प्रशासन के द्वारा भव्य व्यवस्था की जाती है और इस दौरान देश के लगभग हर राज्य से हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान शनिदेव के दर्शन करने के लिए आते हैं. इसलिए जिला प्रशासन की तरफ से सुरक्षा व्यवस्था और वहां की व्यवस्था की जाती है.

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राजनेता भी आते हैं दर्शन करने : विश्व प्रसिद्ध शनि मंदिर पर आम लोग ही नहीं बल्कि राजनेता भी उनके दरबार में रोक लगाने के लिए पहुंचते हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अलग-अलग पार्टी के तमाम बड़े नेता यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादिया सिंधिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित तमाम बड़ी नेता शनिदेव के दर्शन करने के लिए जाते रहे हैं.

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