ETV Bharat / bharat

प्लीज हेल्प! रुचि को किडनी डोनर चाहिए, पढ़ने-लिखने की उम्र में जिंदगी की जंग लड़ रही मासूम

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 15, 2023, 8:02 PM IST

Bhind Innocent girl fighting for life
रुचि को किडनी डोनर चाहिए

Ruchi Needs Kidney Donor: भिंड जिले की रहने वाली 14 वर्ष की रुचि की दोनों किडनियां फेल हो चुकी हैं. डायलिसिस पर चल रही रुचि के पिता रिक्शा चलाते हैं और अपना सबकुछ बेचकर अब तक उसका इलाज करवा चुके हैं. कलेक्टर से लेकर सांसद तक गुहार लगाई पर मदद नहीं मिल पाई. अब ईटीवी भारत इनकी मदद के अभियान में जुटा है. रुचि की किडनी का ऑपरेशन होना है और उसे डोनर की सख्त जरुरत है.

रुचि को किडनी डोनर चाहिए

भिंड। एक चौदह साल की मासूम, जो पढ़ लिख कर आगे बढ़ना चाहती थी. रिक्शा चलाने वाले अपने पिता का नाम रोशन करना चाहती थी, लेकिन आज हर दिन जिंदगी की जंग लड़ रही है. भिंड की रहने वाली रुचि भदौरिया करीब डेढ़ साल से बीमार है, उसकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं. परिवार की माली हालत ऐसी नहीं कि इलाज का बोझ उठा सके. सरकारी अस्पताल में इलाज हो भी जाए तो किडनी बदलवाने के लिए किडनी का इंतजाम कहां से करे, क्यों की वक्त के इस पहलू पर न घर परिवार के लोग साथ दे रहे हैं और न ही रिश्तेदार. पिता महिपाल अब बेबस हैं, करे तो क्या करें. शासन प्रशासन सभी के आगे मदद के लिए हाथ फैलाए, गुहार लगायी लेकिन सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला. कुछ समाजसेवी लोग आए जिन्होंने कुछ आर्थिक मदद भी कर दी लेकिन बिना किडनी के इंतजाम ये मदद भी कब तक सहारा देगी.

Ruchi needs kidney donor
समाजसेवियों ने की परिवार की मदद

हफ्ते में दो बार करानी पड़ रही डायलिसिस: गंभीर बीमारी से जूझ रही रुचि भदौरिया की हालत दिन ब दिन और बिगड़ रही है. शुरुआत में महीने में एक बार ब्लड डायलिसिस हुआ करता था. लेकिन अब किडनियां काम करना लगभग बंद कर चुकी हैं. उसे हफ्ते में दो बार डायलिसिस के लिये भिंड जिला अस्पताल जाना पड़ता है. डॉक्टर्स भी जवाब दे चुके हैं कि जल्द से जल्द किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन कराना जरूरी है. नहीं तो हाथ में बचाने के लिए कुछ बचेगा ही नहीं. ये सोच-सोचकर रुचि के माता-पिता दोनों का ही हाल बेहाल है.

दिल्ली एम्स में चोरी हुए पैसे, करनी पड़ी घर वापसी: इस मार्मिक परिस्थिति से जूझ रहे परिवार ने ईटीवी भारत से मदद की गुहार लगायी की शायद मीडिया के जरिए उनकी बात किसी मददगार तक पहुंच जाये, या सरकार उनके लिए आगे आये. ETV भारत से चर्चा करते हुए रुचि के पिता महिपाल सिंह भदौरिया ने बताया कि, उनकी बेटी की दोनों किडनियां खराब हैं, वे एक ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. करीब डेढ़ साल पहले अचानक बच्ची की तबीयत खराब हुई तो ग्वालियर में एक डॉक्टर को दिखाया. उन्होंने जांच कराई तो पता चला कि उसकी दोनों किडनियां सिकुड़ गई हैं और धीरे धीरे काम करना बंद कर रही हैं. ये सुनकर ही सभी सदमे में आ गये. इसके बाद इलाज के लिए दिल्ली एम्स में भी गये. जहां डॉक्टर ने दोबारा जांच करायी और बताया की किडनी ट्रांसप्लांट कराना आवश्यक है. पिता महिपाल ने बताया कि वे दिल्ली में इलाज के लिए आईएमएस में करीब एक महीने तक रहे लेकिन अस्पताल में उनके रुपए चोरी होने की वजह से पैसा नहीं बचा और मजबूरी में उन्हें वहां से लौटना पड़ा.

Girl not getting kidney donor in Bhind
रूची की दोनों किडनियां हो चुकी हैं खराब

काम नहीं आ रही आयुष्मान भारत योजना: स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना करोड़ों परिवारों के लिये किसी वरदान से कम नहीं है. इसके जरिए हर साल पांच लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त कराया जा सकता है. लेकिन इस बात की जानकारी महिपाल सिंह को पहले नहीं थी. दिल्ली से आने के बाद उन्होंने ग्वालियर के बिड़ला अस्पताल में बेटी का इलाज कराया कुछ ही दिनों में बिल एक लाख पार हो गया. कर्जा लेकर अस्पताल में पैसे जमा कराये, इसी बीच आयुष्मान भारत कार्ड की जानकारी मिली, कार्ड बनवाया भी लेकिन प्राइवेट अस्पताल के खर्चीले इलाज में आयुष्मान कार्ड का पैसा भी खत्म हो गया. आखिर में बेटी के डायलिसिस के लिए जब कहीं से रुपयों का इंतजाम नहीं हुआ तो सभी भिंड वापस आ गए. जिला अस्पताल में बच्ची को दिखाया और अब हर हफ्ते दो बार उसकी ब्लड डायलेसिस जिला अस्पताल में ही करा रहे हैं.

किडनी ट्रांसप्लांट के लिए नहीं मिल रहा डोनर: महिपाल सिंह ने बताया कि इलाज तो जैसे-तैसे हो रहा है, लेकिन ये कोई स्थाई उपचार नहीं है. बेटी की जिंदगी बचाने के लिए जल्द से जल्द किडनी डोनर चाहिए, उनकी पत्नी भी बीमार रहती है इसकी वजह से उनकी किडनी ट्रांसप्लांट करने से डॉक्टर ने माना कर दिया. वहीं खुद महिपाल घर के इकलौते शख्स हैं जो परिवार का भरण पोषण करते हैं. ऐसे में किसी भी रिस्क को देखते हुए उन्हें भी किडनी डोनर बनने से मना कर दिया गया. ऐसे में जब अपने साथ छोड़ चुके हैं और किसी तरह की मदद कहीं से नहीं हो पा रही है तो अपनी बच्ची की बिगड़ती हालत देखने के सिवा लाचार पिता के पास कुछ बचा नहीं है.

Girl not getting kidney donor in Bhind
रिक्शा चलाते हैं रूचि के पिता

सांसद, कलेक्टर ने दिया आश्वासन, लेकिन अब भी हाथ खाली: पीड़ित परिवार ने भिड़ सांसद संध्या राय से भी मिलकर मदद की गुहार लगायी थ. महिपाल सिंह ने बताया कि ''वे सांसद से मिले थे और उन्हें अपनी समस्या भी बतायी. उन्होंने मदद का आश्वासन देते हुए इलाज कराने की बात कही थी. वहीं, सरकारी के अलावा बाहर से आने वाली दवाओं की खरीदारी और इलाज के लिए आने-जाने के खर्च के लिए आर्थिक मदद की आस में भिड़ कलेक्टर के पास भी आवेदन दिया था. लेकिन उन्होंने भी सिर्फ आश्वासन दे दिया. अब तक किसी तरह की मदद नहीं शासन और न ही प्रशासन से उन्हें मिल पायी है.'' हालांकि कुछ समाजसेवियों को सोशल मीडिया के जरिए इस बात का पता चला तो उन्होंने इस परिवार की आर्थिक रूप से मदद शुरू की है. वहीं सांसद द्वारा भी एक पत्र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखा गया है जिसमें रुचि के लिये किडनी उपलब्ध कराने का निवेदन किया गया है.

Also Read:

बेटी का कष्ट देख आंखों से बहता है मां का दर्द: एक पिता तो अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में लगा है, लेकिन उस मां के लिए ये वक्त और भी कष्टदायक हो चुका है जिसने रुचि को जन्म दिया, उसे पाल पोसकर बड़ा किया. अपनी बेटी को इस कदर कष्ट में देख देख कर मां रीता भदौरिया भी ईटीवी भारत से बात करते करते भावुक हो गयीं. रीता भदौरिया कहती हैं कि, ''बेटी की हालत देखकर वे हमेशा बेचैन रहती हैं. हर तीन दिन में उसका डायलिसिस होता है. कई बार बुखार आ जाता है. वह ठीक से भोजन तक नहीं कर पाती. उसके पैर भी टेडे़ हो चुके हैं. हमेशा कष्ट और दर्द में रहती है. वे शासन और प्रशासन से गुहार लगा रही हैं कि किसी भी तरह से उनकी बची को ठीक करा दें.''

एम्स के लिए सिविल सर्जन ने दिया रिकॉमंडेशन लेटर: हालांकि इस मामले में जब हमने जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अनिल गोयल से बात की तो उन्होंने बताया कि ''अस्पताल प्रबंधन की और से सरकारी नियमों के अनुसार जो भी मदद संभव है कि जा रही है. उनके द्वारा भी एम्स अस्पताल के लिये एक रिकमेंडेशन लेटर बना कर दिया गया जिससे वहां बच्ची का इलाज कराने में प्राथमिकता मिल सके.''

मदद की आस में परिवार: खेलने कूदने और पढ़ने लिखने की उम्र में चौदह साल की रुचि उस कष्ट से गुजर रही है जिसके बारे में आम लोग सोच भी नहीं सकते. माता पिता को इस बात का मलाल है कि वे चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए शासन और प्रशासन ने गुहार लगा रहे हैं कि शायद उनकी सुनवाई हो जाये और कोई डोनर मिल जाये जो उनकी बेटी को नई जिंदगी दे सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.