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BJP की राह में मालवा की बगावत का रोड़ा, जोशी को मनाने के प्रयास जारी, सत्यनारायण सत्तन और भंवर सिंह शेखावत भोपाल तलब

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Published : May 5, 2023, 8:41 PM IST

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी में नेताओं की नाराजगी और बगावत के सुर नजर आने लगे हैं. पूर्व मंत्री दीपक जोशी, बीजेपी नेता सत्यनारायण सत्तन और भंवर सिंह शेखावत तीनों ही नेता बीजेपी ने नाराज चल रहे हैं. जिन्हें मनाने की पार्टी पूरी कोशिश कर रही है.

mp assembly election 2023
बगावत का बिगुल

सत्यनारायण सत्तन का बयान

इंदौर। साल 2023 के विधानसभा चुनाव में फिर बाजी मारने के लिए लाडली बहना योजना की सोशल इंजीनियरिंग के साथ प्रदेश के कर्मचारियों और सामाजिक स्तर पर अन्य तबकों को मनाने में जुटी भाजपा की राह में इन दिनों पार्टी के लोगों की ही बगावत रोड़ा बन रही है. दरअसल बगावत की शुरुआत प्रदेश के मालवा अंचल से हुई है. जो भाजपा का गढ़ माना जाता है. यहां दीपक जोशी द्वारा भाजपा छोड़ने की अटकलों के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रकवि सत्यनारायण सत्तन के बाद बदनावर से विधायक रहे भंवर सिंह शेखावत जैसे वरिष्ठ नेता भी बगावत की राह में है. जो अब सीधे तौर पर पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता और नेताओं की उपेक्षा के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा को जिम्मेदार ठहराने से नहीं चूक रहे हैं. भाजपा ने डैमेज कंट्रोल के लिए हालांकि तीनों नेताओं को मनाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि चुनाव के पहले भाजपा में उभर रहे असंतोष को साध पाना इस बार भाजपा के रणनीतिकारों के लिए भी मुश्किल साबित हो रहा है.

सिंधिया और समर्थकों से बीजेपी नेता नाराज: दरअसल भाजपा का एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो कमलनाथ की सरकार गिराने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत उनके साथ भाजपा में शामिल हुए, कांग्रेसियों को पचा पाने की स्थिति में नहीं है, ऐसा इसलिए भी है क्योंकि सिंधिया के साथ आने वाले कांग्रेसियों के कारण पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं के राजनीतिक हित प्रभावित हुए हैं. यही स्थिति कमोवेश सिंधिया समर्थकों के कारण मालवा ही नहीं बल्कि मध्य भारत विंध्य और चंबल अंचल के कई विधानसभा क्षेत्रों को लेकर बनी हुई है. यहां के पुराने भाजपाई और पूर्व विधायक 2023 के चुनाव को लेकर इस उम्मीद में है कि उन्हें उनकी परंपरागत सीट से मौका मिलेगा, लेकिन सिंधिया खेमे की संगठन में बढ़ती दखलंदाजी और पार्टी नेतृत्व द्वारा महत्व दिए जाने के कारण कहीं ना कहीं पार्टी के पुराने वरिष्ठ नेता उपेक्षित और दुखी हैं. जो अपनी ही पार्टी में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं.

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बीजेपी से नाराज ये नेता

कांग्रेस में जमीन तलाशते दीपक जोशी: ऐसा इसलिए भी है क्योंकि कमलनाथ सरकार के जाने के बाद बनी शिवराज सरकार के बीते 4 सालों में उपेक्षित कार्यकर्ताओं और सिंधिया समर्थकों के पार्टी में शामिल होने से प्रभावित भाजपा नेताओं के बारे में पार्टी कोई सकारात्मक फैसला नहीं ले पाई. दरअसल उनकी परंपरागत सीटों से सिंधिया समर्थकों के विधायक बन जाने और संगठन में भी उन्हें महत्व नहीं मिल पाने के कारण अब वे अपनी राह कांग्रेस में तलाशना चाहते हैं. हाल ही में इसकी शुरुआत भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रहे कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी ने की है. दरअसल दीपक जोशी की परंपरागत बागली विधानसभा से उन्हीं की पार्टी ने मनोज चौधरी को बीते उपचुनाव में टिकट देकर जिताया था. मनोज चौधरी क्योंकि सिंधिया समर्थक हैं और वह 2023 में भी बागली विधानसभा सीट पर ही दावेदारी कर रहे हैं. पार्टी के लिए वर्तमान विधायक के स्थान पर दीपक जोशी को मौका दे पाना आसान नहीं होगा, लिहाजा पहले से ही इस स्थिति को भाप कर दीपक जोशी ने अपने लिए कांग्रेस में राहत तलाशना शुरू कर दिया है. माना जा रहा है कि वह 6 मई को कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं.

भंवर सिंह शेखावत का बयान
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नाराज नेताओं के मनाने की कवायद: इसी बीच इंदौर में उन्हें मनाने के अंतिम प्रयास पार्टी के संगठन महामंत्री मुरलीधर राव द्वारा शुरू किए गए हैं. दीपक जोशी को मनाने के लिए बीती रात मुरलीधर राव ने लगातार 1 घंटे तक दीपक जोशी से चर्चा की. हालांकि यह चर्चा कितनी सकारात्मक रही, यह दीपक जोशी के भविष्य आधारित फैसले पर निर्भर करेगा, फिलहाल दीपक जोशी पूरे मामले में मौन हैं. इधर दूसरी तरफ भाजपा के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन ने इस स्थिति के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीडी शर्मा को जिम्मेदार मानते हुए बताया कि दीपक जोशी के अलावा ऐसे करीब कई पार्टी पदाधिकारी हैं, जो भाजपा में उपेक्षित बने हुए हैं. इस सूची में एक अन्य नाम भंवर सिंह शेखावत का भी है. उनके भी कांग्रेस में शामिल होने की आशंका जताई जा रही है. इस आशय की खबरें जैसे ही सार्वजनिक हुई, वैसे ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दोनों को चर्चा के लिए भोपाल तलब कर लिया है. हालांकि इन नेताओं के मान जाने पर भी भाजपा के लिए फिलहाल इस असंतोष को थामना आसान नहीं होगा, क्योंकि जैसे-जैसे चुनाव की स्थिति बनेगी, वैसे-वैसे राजनीतिक अपेक्षा और आकांक्षाओं के चलते कांग्रेस से ज्यादा इस बार भाजपा में भितरघात के अलावा बगावत की स्थिति बनेगी, जो फिलहाल चुनाव के लिहाज से भाजपा के लिए राह में रोड़ा बनती नजर आ रही है.

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