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Chitrakoot Political Scenario: भगवान राम की तपोभूमि में 45 साल में एक बार ही जीत पाई BJP, जानें क्यों नहीं खिल पाया चित्रकूट में कमल?

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 5, 2023, 10:11 AM IST

Updated : Nov 5, 2023, 11:01 AM IST

Chitrakoot Political Scenario
चित्रकूट में बीजेपी को नहीं मिला आशीर्वाद

Chitrakoot Assembly Election 2023: एमपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी राम जन्मभूमि के मुद्दे पर उतर चुकी है, लेकिन एमपी में भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में कमल खिलाना बीजेपी के लिए चुनौती बन गया है. 1977 के बाद से 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां सिर्फ एक बार जीत पाई है, जबकि चित्रकूट के मतदाताओं ने जनता दल और कांग्रेस दोनों को जीत दिलाई है. यहां तक कि बीजेपी के लिए चुनौती बनी इस सीट का स्वरूप बदलने के लिए पीएम मोदी को भी लाया गया.

चित्रकूट में तुलसीदास ने रामायण के अंश लिखे

भोपाल। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का नाम लेकर बीजेपी ने सत्ता हासिल की, लेकिन बीजेपी को भगवान श्रीराम की तपोभूमि से वहां की जनता ने आशीर्वाद नहीं दिया है. चित्रकूट में पिछले 45 सालों में सिर्फ एक बार ही बीजेपी को वहां से जनता का आशीर्वाद नहीं मिला है, यही कारण है कि बीजेपी ने 2023 की चुनावी तैयारी की शुरुआत भगवान राम की तपोभूमि से की. मायने साफ रहे हैं कि जिस धरती पर राम ने तपस्या की वहां की जनता ने बीजेपी को स्वीकार नहीं किया, तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी यहां भगवान राम का आशीर्वाद नहीं ले सकी. वहीं उपचुनाव में भी बीजेपी यहां तमाम ताकत के बाद भी हार गई थी.

2013 से लगातार बीजेपी सरकार में है, लेकिन भगवान श्रीराम की तपोभूमि से बीजेपी को निराशा ही हाथ लगी है. चार दशकों में यहां से सिर्फ एक बार ही बीजेपी को जीत मिली है, आखिर कारण क्या हैं और क्या वजह रही कि बीजेपी को यहां से मायूसी हाथ लगी है. 1977 से अब हुए चुनाव में सिर्फ 2013 में बीजेपी जीती, वहीं कांग्रेस का ये गढ़ रहा है.

चित्रकूट से कब कौन जीता:

  1. 2018 में कांग्रेस से नीलांशु चतुर्वेदी
  2. 2013 में कांग्रेस से प्रेम सिंह
  3. 2008 में बीजेपी से सुरेंद्र सिंह गहरवार
  4. 2003 में कांग्रेस से प्रेम सिंह
  5. 1998 में कांग्रेस से प्रेम सिंह
  6. 1993 में बीएसपी से गणेश
  7. 1990 में जनता दल से रामनंद सिंह
  8. 1985 में कांग्रेस से रामचंद्र बाजपेयी
  9. 1980 में कांग्रेस से रामचंद्र बाजपेयी
  10. 1977 में जेएनपी से रामानंद सिंह

विकास के दावे खोखले: चित्रकूटवासियों का कहना है कि "चित्रकूट में जब 2008 में बीजेपी सरकार आई तो सरकार ने विकास पर ध्यान नहीं दिया. एक तरफ बीजेपी कहती है कि विकास के दम पर पार्टी जनता के बीच जाती है, लेकिन यहां पर बिजली का संकट गहराया रहता है. गर्मी के आलावा बरसात के बाद भी बिजली की किल्लत है."

चित्रकूट में बीजेपी को नहीं मिला आशीर्वाद

चित्रकूट में वोटर का गणित: चित्रकूट सीट में ब्राह्मणों का वर्चस्व है, 59 हजार से ज्यादा ब्राह्मण हैं. वहीं 55 हजार एससी, एसटी वोटर्स हैं, क्षत्रिय समाज के करीब 7 हजार वोटर्स हैं. यहां के मतदाता जातीय हिसाब को तवज्जों नहीं देते हैं, यहां की रोचक बात ये है कि जिस मतदाता की संख्या बहुत कम है, उस जाति के विधायक सबसे ज्यादा बने और वहीं जो जाति बाहुल्य में हैं. वो विधायक नहीं बने, सबसे ज्यादा 6 बार क्षत्रिय समाज से विधायक बना, उसके बाद 4 बार ब्राह्मण और 2 बार अनुसूचित जाति का विधायक चुना गया.

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क्या कहती है बीजेपी और कांग्रेस: बीजेपी कह रही है कि हमें वहां की जनता ने आशीर्वाद दिया है, बीजेपी प्रवक्ता शिवम का कहना है "भले ही बीजेपी को यहां पर जीत न मिली हो, लेकिन ये कांग्रेस वही है जिसने राम नाम का अपमान किया. ये वही कांग्रेस है, जिसने कोर्ट में राम नहीं होने का हलफनामा दिया था." वहीं कांग्रेस का कहना है कि "बीजेपी राम के नाम पर वोट लेती आई है, कुटिल राजनीति करते हैं, यही वजह है कि राम का आशीर्वाद नहीं मिलेगा."

चित्रकूट का धार्मिक महत्व: लोगों में यह मान्यता है कि भगवान श्रीराम, देवी सीता और लक्ष्मण चित्रकूट के घने जंगलों में वनवास के दौरान ठहरे थे. चित्रकूट पवित्र स्थल है, जहां पर पांच गांव का संगम हैं. इस स्थान पर कारवी, सीतापुर, कामता, कोहनी, नयागांव जैसे गांवों का संगम है, चित्रकूट प्रमुख धार्मिक स्थल माना जाता है.

Last Updated :Nov 5, 2023, 11:01 AM IST
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