उत्तरकाशी (उत्तराखंड): उत्तरकाशी की पर्वतारोही बेटी सविता कंसवाल को मरणोपरांत लैंड एडवेंचर में तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार 2022 दिया गया. यह अवार्ड राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके पिता राधेश्याम कंसवाल को सौंपा. अवार्ड ग्रहण करने के लिए सविता की मां कमलेश्वरी देवी भी पहुंची थीं. उस वक्त भावुक और गर्व से भरा क्षण रहा, जब राधेश्याम कंसवाल ने अपनी दिवंगत बेटी सविता कंसवाल का लैंड एडवेंचर में तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड स्वीकार किया.
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President Droupadi Murmu confers Tenzing Norgay National Adventure Award, 2022 on Ms Savita Kanswal (Posthumous) for her achievements in Land Adventure.
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She was the first Indian female mountaineer to summit two 8000M peaks Mt. Everest and Mt. Makalu in 16 days. Her decade long… pic.twitter.com/4YBDWezWmu
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She was the first Indian female mountaineer to summit two 8000M peaks Mt. Everest and Mt. Makalu in 16 days. Her decade long… pic.twitter.com/4YBDWezWmuPresident Droupadi Murmu confers Tenzing Norgay National Adventure Award, 2022 on Ms Savita Kanswal (Posthumous) for her achievements in Land Adventure.
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She was the first Indian female mountaineer to summit two 8000M peaks Mt. Everest and Mt. Makalu in 16 days. Her decade long… pic.twitter.com/4YBDWezWmu
सविता कंसवाल माउंट एवरेस्ट, माउंट मकालू और माउंट ल्होत्से कर चुकी थी फतह: उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी तहसील के लौंथरू गांव की सविता कंसवाल ने 12 मई 2022 को माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) फतह किया था. इसके 16 दिन बाद 28 मई को माउंट मकालू पर्वत (8,463) मीटर पर सफल आरोहण किया था. 16 दिन के अंतराल में माउंट एवरेस्ट और माउंट मकालू का आरोहण करने वाली सविता देश की पहली महिला थीं. इससे पहले सविता ने 2 जून 2021 में विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से (8,516 मीटर) भी फतह किया था.
![Savita Kanswal](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-01-2024/20467551_savita-kansawal.jpg)
![Mountaineer Savita Kanswal](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-01-2024/20467551_savita-kanswal-father.jpg)
द्रौपदी का डांडा एवलांच में सविता कंसवाल ने गंवाई जान: 4 अक्टूबर 2022 को उत्तरकाशी में द्रौपदी का डांडा चोटी के आरोहण के दौरान 29 सदस्यीय पर्वतारोही का दल एवलांच की चपेट में आ गया था. जिसमें सविता कंसवाल की भी बर्फ में दबकर मौत हो गई थी. इस हादसे में यह एवलांच पर्वतारोहण के इतिहास में काला दिन माना जाता है. अब सविता को मरणोपरांत यह अवार्ड को मिलने पर क्षेत्र के लोगों ने खुशी जताई है. उनका कहना है कि छोटे से गांव की सविता कंसवाल ने उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश दुनिया में भारत का नाम ऊंचा किया है.
![Mountaineer Savita Kanswal](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/09-01-2024/20467551_savita-knas.png)
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मुफलिसी और कठिनाइयों में गुजरा सविता का बचपन: जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 15 किमी दूर भटवाड़ी ब्लॉक के लौंथरू गांव की सविता का बचपन कठिनाइयों में गुजरा. सविता के पिता घर का गुजारा करने के लिए पंडिताई का काम करते हैं. सविता चार बेटियों में सबसे छोटी थी. अन्य तीन बहनों की शादी हो चुकी हैं. किसी तरह पैसे जुटाकर सविता ने साल 2013 में नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग यानी निम उत्तरकाशी से माउंटेनियरिंग में बेसिक और फिर एडवांस कोर्स किया. इसके लिए उसने देहरादून में नौकरी भी की.
सविता इन चोटियों का भी कर चुकी थीं आरोहण
- त्रिशूल पर्वत (7120 मीटर)
- हनुमान टिब्बा (5930 मीटर)
- कोलाहाई (5400 मीटर)
- द्रौपदी का डांडा (5680 मीटर)
- तुलियान चोटी (5500 मीटर)
- माउंट ल्होत्से (8516 मीटर)
- माउंट एवरेस्ट (8,848.86)