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Lord Shiva Worship : महान गायकों के कम चर्चित सुमधुर शिव-भजन

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Published : Feb 17, 2023, 5:25 PM IST

Updated : May 29, 2023, 7:51 AM IST

Lord Shiva Worship
शिव भजन

Lord Shiva Worship : महामृत्युंजय मंत्र , शिवाष्टकं , लिंगाष्टकं भारतीय पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता में पवित्र मंत्रों में से एक हैं. प्रत्येक सोमवार, मासिक शिवरात्रि और विशेष अवसरों पर इन भजन-मंत्रों को श्रवण कर दिन को खास बनाएं और भगवान शिव की आराधना करें ... Melodious less known shiv bhajan .

सोमवार, मासिक शिवरात्रि और विशेष अवसरों पर भगवान भोलेनाथ की पूजा विशेष रूप से की जाती है साथ ही उपवास-रात्रि जागरण आदि के माध्यमों से भी भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास भक्तजन करते हैं (Shivji Ke Bhajan) इस दिन लोग घरों-मंदिरों में कीर्तन-भजन करके शिव-आराधना करते हैं. वैसे तो भगवान शिव के कई प्रसिद्ध भजन हैं लेकिन ETV Bhrat आज आपको कम सुने गए या कम जाने-पहचाने लेकिन सुमधुर लय-आवाज सजे मंत्र-भजन के बारे में बताएगा. Lord Shiva Worship . Bhagwan Shiva . Melodious less known shiv bhajan . Bhagwan Shiv puja .

लिंगाष्टकम्
ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगं, निर्मलभासित शोभित लिंगम् ।

जन्मज दुःख विनाशक लिंगं, तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ।1।

देवमुनि प्रवरार्चित लिंगं,कामदहन करुणाकर लिंगम् ।

रावण दर्प विनाशन लिंगं,तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् । 2।

सर्व सुगंध सुलेपित लिंगं, बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम्।

सिद्ध सुरासुर वंदित लिंगं,तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् । 3।

कनक महामणि भूषित लिंगं, फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम्।

दक्षसुयज्ञ विनाशन लिंगं,तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् । 4।

कुंकुम चंदन लेपित लिंगं,पंकज हार सुशोभित लिंगम् ।

संचित पाप विनाशन लिंगं,तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् । 5।

देवगणार्चित सेवित लिंगं,भावै-र्भक्तिभिरेव च लिंगम् ।

दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगं,तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् । 6।

अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं,सर्वसमुद्भव कारण लिंगम् ।

अष्टदरिद्र विनाशन लिंगं,तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् । 7।

सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगं,सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम् ।

परात्परं (परमपदं) परमात्मक लिंगं,तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् । 8।

लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ, शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते।.

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महामृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र भारतीय पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता में पवित्र मंत्रों में से एक है जो भगवान शिव को समर्पित है. यह हिंदी भाषा के तीन शब्दों का संयोजन है, अर्थात "महा" जिसका अर्थ है महान, "मृत्युं" का अर्थ है मृत्यु और "जया" का अर्थ है विजय जो विजय में बदल जाती है या मृत्यु पर विजय. इसे "रुद्र मंत्र" या "त्रयंबकम मंत्र" के रूप में भी जाना जाता है. रुद्र , भगवान शिव को संदर्भित करता है. महा मृत्युंजय मंत्र जप के कई लाभ हैं, अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने के लिए महा मृत्युंजय और सभी मंत्रों के लिए का सही उच्चारण महत्वपूर्ण है. इस मंत्र का उपयोग ध्यान और योग अभ्यास के लिए मानसिक संतुलन और शांति प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है. मान्यताओं के अनुसार महा मृत्युंजय मंत्र जप के लाभ :

  1. संपूर्ण मंत्र--ॐ हौं जूं सः ॐभूर्भुवः स्वः ॐत्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्ॐ स्वः भुवः भूःॐ सः जूं हौंॐ
  2. यह जीवन रक्षक मंत्र है.
  3. इसे भक्ति और विश्वास के साथ जपें.
  4. नाम-मंत्र जप करने का सबसे अच्छा समय ब्रह्म-मुहूर्त, प्रात: काल है.
  5. आप कभी भी, कहीं भी भगवान शिव के प्रति शुद्ध भक्तिप्रेम के साथ जप कर सकते हैं.
  6. ऑफिस जाने या घर से निकलने से पहले कम से कम 9 बार जप करने का अभ्यास करें.
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अथ श्री शिवाष्टकम्
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथनाथं सदानन्दभाजम् ,

भवद्भव्यभूतेश्वरं भूतनाथं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ।1।

गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकालकालं गणेशाधिपालम् ,

जटाजूटगङ्गोत्तरङ्गैर्विशालं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ।2।

मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महामण्डलं भस्मभूषाधरं तम् ,

अनादिह्यपारं महामोहहारं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ।3।

वटाधोनिवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदासुप्रकाशम् ,

गिरीशं गणेशं महेशं सुरेशं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ।4।

गिरिन्द्रात्मजासंग्रहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदा सन्नगेहम् ,

परब्रह्मब्रह्मादिभिर्वन्ध्यमानं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ।5।

कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोजनम्राय कामं ददानम् ,

बलीवर्दयानं सुराणां प्रधानं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ।6।

शरच्चन्द्रगात्रं गुणानन्द पात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ,

अपर्णाकलत्रं चरित्रं विचित्रं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ।7।

हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारम् ,

श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ।8।

स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः ,

स पुत्रं धनं धान्यमित्रं कलत्रं विचित्रं समासाद्य मोक्षं प्रयाति ।9।

।इति शिवाष्टकं सम्पूर्णम्।

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( Lingashtakam s p balasubrahmanyam mahamrityunjay mantra suresh wadkar )

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