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गहलोत का संभावित मंत्रिमंडल: इन चेहरों की हो सकती है विदाई, कुछ पर भारी पड़ेगी पायलट की नाराजगी

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Published : Jul 26, 2021, 4:12 PM IST

राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार (Rajasthan Cabinet Expansion) का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. तारीख का औपचारिक एलान होना बाकी है. कहा जा रहा है कि इस बार सिर्फ विस्तार ही नहीं, बल्कि फेरबदल (Rajasthan Cabinet Reshuffle) भी होगा. यहां जानिए गहलोत मंत्रिमंडल (Gehlot Cabinet) से किन चेहरों की विदाई हो सकती है, किस मंत्री पर विवाद भारी पड़ सकता है और किस चेहरे को कांग्रेस (Congress) संगठन में इस्तेमाल करना चाहती है.

गहलोत
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जयपुर : राजस्थान में इन दिनों सबकी नजर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के कैबिनेट पुनर्गठन पर हैं कि कौन नया मंत्री शामिल होगा और कौन मंत्रिमंडल से आउट होगा. इसके साथ ही सचिन पायलट (Sachin Pilot) कैंप के कितने विधायकों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने मंत्रिमंडल में जगह देते हैं इस पर खास निगाहें जमी हैं.

गहलोत का संभावित मंत्रिमंडल

मंत्रिमंडल हर हाल में जुलाई के आखिर से लेकर अगस्त महीने में कर दिया जाएगा. इस बार मंत्रियों को परफॉर्मेंस के आधार पर तो हटाया ही जाएगा. वहीं कांग्रेस पार्टी कामराज फार्मूले को भी राजस्थान में लागू करने की सोच रही है, जिसके तहत मजबूत मंत्रियों को संगठन की जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी में मिलती थी. हम आपको बताते हैं कि किस मंत्री को क्यों ड्राप किया जा सकता है और उन्हें कहां समाहित करने के लिए हटाया जाएगा.

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इन मंत्रियों को संगठन में इस्तेमाल करना चाहती है पार्टी...

गोविंद सिंह डोटासरा: राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) को कैबिनेट से हटाया नहीं जा रहा है, बल्कि उन्होंने स्वयं ही यह कह दिया है कि 'एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत' कांग्रेस में है. वे खुद राजस्थान कांग्रेस के मुखिया हैं, ऐसे में नियम मानने की पहली जिम्मेदारी उनकी ही बनती है. ऐसे में डोटासरा ने कांग्रेस आलाकमान से यह कह दिया है कि वह प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर ही आगे अपनी भूमिका निभाते रहेंगे. उन्हें शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए. डोटासरा खुद अजमेर में यह कहते हुए नजर आए कि मैं दो-पांच दिन का ही मेहमान हूं, मुझसे जो करवाना है करवा लो.

हरीश चौधरी: प्रदेश के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी को लेकर भी यह कहा जा रहा है कि चौधरी ने सरकार की जगह संगठन में काम करने की इच्छा जताई है. माना जा रहा है कि हरीश चौधरी को कांग्रेस आलाकमान अब संगठन का काम सौंपना चाहता है. ऐसे में किसी चुनावी राज्य की जिम्मेदारी उन्हें दी जा सकती है. वैसे भी हरीश चौधरी के साथ कमलेश प्रजापत एनकाउंटर विवाद का साया भी आ गया है और बाड़मेर के लोकल विधायक भी हरीश चौधरी पर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में जो हरीश चौधरी खुद संगठन की जिम्मेदारी चाह रहे हैं, उन्हें मंत्री पद की जिम्मेदारी से मुक्त किया जा सकता है.

प्रताप सिंह खाचरियावास: राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी को हर मुद्दे पर मीडिया में प्रोटेक्ट करते हुए दिखाई देते हैं और मंत्री होते हुए भी धरने प्रदर्शन के माध्यम से केंद्र को जबरदस्त तरीके से घेरते हैं, ऐसे में कांग्रेस पार्टी प्रताप सिंह खाचरियावास का इस्तेमाल संगठन में ज्यादा करना चाहती है. कहा जा रहा है कि प्रताप सिंह को अगर परिवहन मंत्री पद से हटाया जाता है तो फिर ऐसे में उन्हें या तो राष्ट्रीय कांग्रेस में प्रवक्ता या फिर राजस्थान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है. इसके साथ ही यह माना जाता है कि प्रताप सिंह खाचरियावास को सचिन पायलट (Sachin Pilot) के कोटे में मंत्री बनाया गया था, जिन्होंने अब प्रताप सिंह से दूरी बना ली है.

रघु शर्मा: राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने पूरे कोरोना काल में जिस तरह से बेहतरीन काम किया है, उस काम को देखते हुए तो रघु शर्मा का हटना नामुमकिन है, लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी अब अपने संगठन को भी मजबूत करना चाहती है और उसमें पार्टी को ऐसे मजबूत कंधों की आवश्यकता है, जो संगठन को पूरी तरीके से मजबूत कर सके. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को भी संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है या तो उन्हें एआईसीसी में कोई पद देकर चुनावी राज्य की जिम्मेदारी दी जा सकती है या फिर राजस्थान में ही कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका में रघु शर्मा हो सकते हैं.

ममता भूपेश: ममता भूपेश वैसे तो राजस्थान की एकमात्र महिला मंत्री हैं, लेकिन ममता भूपेश संगठन में खास तौर पर महिला कांग्रेस संगठन को संभालने में महारत रखती हैं. ऐसे में राजस्थान की महिला विधायकों में संगठन को संभालने में सबसे ज्यादा तेज तर्रार मंत्री ममता भूपेश को ही माना जाता है. इसी के चलते कहा जा रहा है कि अब ममता भूपेश को संगठन में किसी बड़ी जिम्मेदारी से नवाजा जा सकता है. हालांकि, यह तब ही होगा, जबकि पार्टी को दो से तीन ऐसी महिला विधायक मिल जाए, जिन्हें मंत्री बनाया जा सकता है, क्योंकि 30 में से कम से कम तीन मंत्री तो महिलाओं को बनाना होगा. ऐसे में अगर कांग्रेस को ऐसी महिला विधायक नहीं मिली तो ममता भूपेश को फिलहाल मंत्री पद पर रखना कांग्रेस की मजबूरी भी हो सकती है.

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इन मंत्रियों पर भारी पड़ सकता है विवाद

प्रमोद जैन भाया: प्रमोद जैन भया के पास जो खान महकमा है वह अपने आप में दो मुंही तलवार है. इस महकमे में अवैध खनन और भ्रष्टाचार के मुद्दे लगातार छाए रहते हैं. सीधे तौर पर प्रमोद जैन भया पर कोई आरोप तो नहीं है, लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस के ही विधायक भरत सिंह लगातार भ्रष्टाचार को लेकर मंत्री प्रमोद जैन भाया पर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हैं और इस विभाग में जिस तरह से अवैध खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा है, ऐसे में पिछली बार की तरह इस बार भी प्रमोद जैन भाया पर खनन विभाग भारी पड़ सकता है. वैसे भी प्रमोद जैन भाया को भी सचिन पायलट (Sachin Pilot) कोटे से विधायक बनाया गया था, लेकिन अब सचिन पायलट प्रमोद जैन भाया से भी किनारा कर चुके हैं.

सुखराम विश्नोई: राजस्थान के वन मंत्री सुखराम बिश्नोई भी लगातार विवादों में हैं. हालांकि, यह विवाद उनके बेटे से ही जुड़ा हुआ है, जो पहले अपनी ही सरकार में अपने पिता के मंत्री रहते हुए धरने पर बैठ गए. हाल ही में उन पर एक युवक के अपहरण का आरोप भी लगा. ऐसे में विवादों के चलते सुखराम बिश्नोई को भी गहलोत कैबिनेट (Gehlot Cabinet) से हटाया जा सकता है. हालांकि, सुखराम बिश्नोई के साथ सकारात्मक पहलू यह है कि वे अपने क्षेत्र में एकमात्र कांग्रेस विधायक हैं, तो वहीं विश्नोई समाज का प्रतिनिधित्व भी सुखराम बिश्नोई करते हैं. कांग्रेस के पास दूसरे विश्नोई विधायक हैं, लेकिन पहली बार के विधायक होने के चलते उन्हें मंत्री नहीं बनाया जा सकता. ऐसे में सुखराम बिश्नोई की कुर्सी बच भी सकती है.

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खराब परफॉर्मेंस बन सकता है इन मंत्रियों के लिए हटाए जाने का कारण

परसादी लाल मीणा: गहलोत मंत्रिमंडल में उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा पर हटाए जाने की तलवार लटकी हुई है. परसादी लाल मीणा के हटाए जाने का प्रमुख कारण उनका परफॉर्मेंस बन सकता है.

उदयलाल आंजना: प्रदेश के सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना पर भी हटाए जाने की तलवार लटकी हुई है. आंजना पर भी यह तलवार परफॉर्मेंस के चलते बनी हुई है. वैसे माना जाता है कि उदयलाल आंजना को सचिन पायलट की कोटे में मंत्री बनाया गया था, ऐसे में अब सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने आंजना से किनारा कर लिया है तो चर्चा ये है कि उनकी कुर्सी भी खतरे में है.

भजन लाल जाटव: भजन लाल जाटव की नॉन परफॉर्मर के नाम पर छुट्टी की जा सकती है.

अर्जुन बामणिया: अर्जुन बामनिया को परफॉर्मेंस के आधार पर हटाया जा सकता है. इसके साथ ही एक कारण और भी अर्जुन बामनिया की सीट को खतरे में डाले हुए हैं कि टीएसपी क्षेत्र में बामणिया इतने मजबूत नहीं है जितने महेंद्रजीत सिंह मालवीय. जिससे कि ट्राइबल इलाकों में बीटीपी का असर बढ़ता जा रहा है. ऐसे में अगर महेंद्रजीत सिंह मालवीय को गहलोत कैबिनेट (Gehlot Cabinet) में शामिल किया जाता है तो ऐसे में अर्जुन बामणिया की छुट्टी की जा सकती है.

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सियासी आटे-साटे में जा सकती है भाटी की कुर्सी

भंवर सिंह भाटी: उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी की छवि भी साफ है और उनके काम को लेकर भी कोई शिकायत नहीं है, लेकिन जिस तरीके से राजस्थान में विवाह में आटा-साटा परंपरा है, उसी तरह से अगर बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए राजेंद्र गुढ़ा को गहलोत कैबिनेट (Gehlot Cabinet) में शामिल किया जाता है तो फिर भंवर सिंह भाटी को भी कैबिनेट से हटाया जा सकता है, क्योंकि भंवर सिंह भाटी विधायक और पूर्व मंत्री रहे राजेंद्र गुढ़ा के दामाद हैं.

ऐसे में एक परिवार से एक ही व्यक्ति को मंत्री पद मिल सकेगा. हालांकि, गहलोत मंत्रिमंडल से किन मंत्रियों की विदाई होगी और कौन नए मंत्री शामिल होंगे, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन एक बात साफ है कि आलाकमान अब यह मानस बना चुका है कि राजस्थान में जल्द से जल्द मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन विस्तार का काम कर दिया जाए ताकि कांग्रेस पार्टी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट सके.

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