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Manipur Violence Update : आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित, हिंसा जारी, सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे

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Published : Jun 16, 2023, 7:54 PM IST

Manipur violence
मणिपुर में हिंसा

मणिपुर में हिंसा नहीं थम रही है. केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ के कई वरिष्ठ अधिकारियों को वहां पर भेजा है. आदिवासियों और मैतेई महिलाओं की नाकाबंदी से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है. उपद्रवियों ने केंद्रीय राज्य मंत्री के घर में भी आग लगा दी थी.

इंफाल/नई दिल्ली : मणिपुर में स्थिति तनावपूर्ण है. केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों को वहां पर भेजा है. सीआरपीएफ आईजी राजीव सिंह को मणिपुर का डीजी बनाया गया है. इससे पहले सीआरपीएफ के पूर्व महानिदेशक कुलदीप सिंह पहले से ही वहां पर सरकार के सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं. सीआरपीएफ के वर्तमान महानिदेशक एसएल थाओसेन को भी बेहतर समन्वय के लिए भेजा गया है.

उपद्रवियों ने गुरुवार रात को केंद्रीय राज्य मंत्री आरके रंजन के घर में आग लगा दी थी. रंजन उस समय केरल दौरे पर थे. आग लगाए जाने की सूचना के बाद वह तुरंत मणिपुर पहुंचे. शुक्रवार को इंफाल में एक पुराने गोदाम को भी आग के हवाले कर दिया गया. पुलिस को अंदेशा था कि भीड़ अन्य संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए उसे तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. अधिकारियों ने बताया कि दंगा इंफाल पैलेस मैदान के पास हुआ.

दमकल कर्मियों और सुरक्षा बलों ने तत्काल मौके पर पहुंचकर गोदाम में लगी आग पर काबू पाया और उसे आसपास के मकानों में फैलने से रोका. यह गोदाम आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के एक सेवानिवृत्त अधिकारी का है.

गुरुवार दोपहर भीड़ ने दो मकानों को आग लगा दिया था. मणिपुर के आरएएफ और एक भीड़ के बीच इंफाल शहर के चोंबीच स्थित एक स्थान पर गुरुवार दोपहर झड़पें हुई थीं. अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को शहर में घूम रही भीड़ की भी सुरक्षा बलों के साथ झड़प हुई.

केंद्रीय राज्य मंत्री आर के रंजन सिंह ने कहा, ''मैं तीन मई (जिस दिन राज्य में जातीय हिंसा शुरु हुई) से ही शांति कायम करने और हिंसा रोकने का प्रयास कर रहा हूं. यह दो समुदायों के बीच हुई गलतफहमी का नतीजा है। सरकार ने शांति समिति गठित की है, प्रक्रिया जारी है.''

आदिवासियों और मैतेई महिलाओं की नाकाबंदी से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित - मणिपुर के कई हिस्सों में शिशु आहार और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के साथ-साथ सुरक्षा बलों की आवाजाही भी एक राष्ट्रीय राजमार्ग और छह अन्य मार्गों को अवरूद्ध किये जाने से प्रभावित हो गई है. राज्य को देश के शेष हिस्से से जोड़ने वाले एक राष्ट्रीय राजमार्ग को आदिवासियों ने और महिलाओं के नेतृत्व वाले समूहों ने कम से कम छह अन्य सड़कों को अवरूद्ध कर रखा है.

सूत्रों ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले 4,000 ट्रक राष्ट्रीय राजमार्ग 37 के जरिए घाटी पहुंचे. एक सूत्र ने बताया कि घाटी से लेकर पहाड़ी जिलों तक कई इलाकों में मुख्य सड़कों को अवरूद्ध कर दिए जाने से असम राइफल्स और सेना के जवानों के समक्ष नयी चुनौती पेश आ रही है.

सेना के सूत्र ने कहा, ''राज्य में अभी राष्ट्रीय राजमार्ग-2 और कई मुख्य मार्ग अवरुद्ध हैं, ऐसे में (आवश्यक वस्तुओं की) आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो रही है... चूंकि महिलाओं के नेतृत्व वाले समूह कई सड़कों को अवरूद्ध कर रहे हैं, इसलिए सुरक्षा बलों को बल प्रयोग कर उन्हें हटाने में समस्या आ रही है.''

पूर्वोत्तर राज्य के प्रमुख महिला गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) अपुनबा मणिपुर कनबा इमा लुप (एएमकेआईएल) की पूर्व महासचिव ज्ञानेश्वरी ने आपूर्ति संकट के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या -2 की नाकाबंदी को लेकर आदिवासियों को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मैतेई महिलाओं के समूह ने उपद्रवियों को गांवों में प्रवेश करने से रोकने के लिए छह मुख्य सड़कों पर कथित रूप से नाकेबंदी की है. उन्होंने कहा, "केंद्र को तुरंत कार्रवाई करने और संकट को हल करने की जरूरत है.’’

केंद्र सरकार ने मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास किये: सूत्र - मणिपुर में कई उपायों के जरिये सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किए गए हैं. सूत्रों ने शुक्रवार को यह बात कही. सूत्रों ने बताया कि इन उपायों में सुरक्षा बलों द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों और अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कड़ी निगरानी शामिल है. घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्थिति का आकलन करने और केंद्रीय बलों के बेहतर इस्तेमाल और समन्वय के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक एस. एल. थाउसेन को मणिपुर भेजा है.

उन्होंने कहा कि एक घटना में नौ युवकों के मारे जाने और केंद्रीय मंत्री राजकुमार रंजन सिंह के निजी आवास में आग लगा दिये जाने के बाद केंद्र सरकार ने मणिपुर में लगातार हो रही हिंसा को रोकने के लिए अत्यावश्यक कदम उठाये. सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में, राज्य पुलिस बलों के अलावा मणिपुर में लगभग 30,000 केंद्रीय सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. इन बलों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की लगभग आठ बटालियन, सेना की 80 टुकड़ियां (कॉलम) और असम राइफल्स की 67 टुकड़ियां शामिल हैं.

सेना की दिमापुर स्थित 3 कोर ने कहा कि हिंसा की घटनाओं में हाल में हुई वृद्धि के बाद सेना और असम राइफल्स द्वारा एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है. सूत्रों ने कहा कि जब भी राज्य प्रशासन की ओर से मांग की जाती है तो केंद्र सरकार नियमित रूप से अतिरिक्त बल भेजती है. सीआरपीएफ के महानिदेशक (डीजी) ने राज्यपाल अनुसुईया उइके से मुलाकात की और उन्हें वर्तमान स्थिति से अवगत कराया. उन्होंने स्थानीय कमांडरों के साथ बंद कमरे में बैठकें भी की हैं ताकि सुरक्षा बलों के बीच समन्वय सुनिश्चित किया जा सके.

केंद्र सरकार के शीर्ष पदाधिकारी भी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और नियमित दिशा-निर्देश दे रहे हैं ताकि जल्द से जल्द सामान्य स्थिति को बहाल किया जा सके. गौरतलब है कि मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुई थीं. जातीय हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक लगभग 120 लोगों की मौत हो चुकी है और तीन हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पिछले महीने मणिपुर का दौरा किया था और राज्य में शांति बहाल करने के अपने प्रयासों के तहत विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात की थी. केंद्र ने मणिपुर में हिंसा की जांच के लिए चार जून को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया था. केंद्र ने गृह मंत्री शाह के निर्देश के बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर में विस्थापित लोगों के लिए 101.75 करोड़ रुपये के राहत पैकेज को भी मंजूरी दी है.

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(एक्स्ट्रा इनपुट- पीटीआई-भाषा)

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