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Maldives Elections : मालदीव में चीन समर्थक मोहम्मद मुइज को चुनावों में मिली जीत, बनेंगे नये राष्ट्रपति, जानें भारत के साथ रिश्तों पर क्या पड़ेगा असर

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By PTI

Published : Oct 1, 2023, 9:39 AM IST

Maldives Elections
चुनाव प्रचार अभियान के दौरान मोहम्मद मुइज.

मालदीव में हुए राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भारत और चीन दोनों ही देश सतर्क थे. हालांकि अब तक आये रुझानों से स्पष्ट है कि चीन के समर्थक माने जाने वाले मोहम्मद मुइज को इन चुनावों में सफलता मिल गई है. पढ़ें पूरी खबर...

माले (मालदीव) : स्थानीय मीडिया ने बताया कि विपक्षी उम्मीदवार मोहम्मद मुइज ने शनिवार को मालदीव राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है. उन्हें 53 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल हुए. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह चुनाव एक आभासी जनमत संग्रह जैसा रहा. यह चुनाव भारत और चीन के लिए भी महत्वपूर्ण है. मिहारू न्यूज ने बताया कि राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलीह को 46 प्रतिशत वोट मिले थे और मुइज ने 18,000 से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी.

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मतदान केंद्र पर मोहम्मद मुइज.

रविवार को आधिकारिक परिणाम घोषित होने की उम्मीद है. आज के परिणाम के साथ हमें देश का भविष्य बनाने का अवसर मिला है. इन रुझानों के सामने आने के बाद मुइज ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह मालदीव की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि यह जीत ऐसे समय में आयी है जब हम अपने मतभेदों को एक तरफ रख देते हैं. हमें एक शांतिपूर्ण समाज में रहने की जरूरत है.

अपने बयान में मुइज ने यह भी कहा कि उन्होंने अनुरोध किया है कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन जेल की जगह हाउस अरेस्ट में रखा जाये. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह मुइज के लिए एक आश्चर्यजनक जीत है. उनका चुनावी अभियान एक अंडरडॉग की तरह शुरू हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के लिए जेल की सजा काट रहे पूर्व राष्ट्रपति यामीन को चुनाव लड़ने से रोक दिया था. जिसके बाद मुइज को उम्मीदवारी मिली थी. हालांकि, यामीन के समर्थकों का अब भी मानना है कि उन्हें राजनीतिक कारणों से जेल में डाल दिया गया है.

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वोटिंग के दौरान मालदीव के नागरिक. यहां 30 सितंबर को मतदान हुआ था.

मुइज ने अपने बयान में कहा कि आज का परिणाम हमारे लोगों की देशभक्ति का प्रतिबिंब है. मुइज की पार्टी के शीर्ष अधिकारी मोहम्मद शरीफ ने कहा कि यह मुइज के लिए अर्थव्यवस्था को फिर से जीवित करने और यामीन की रिहाई के लिए जनता की ओर से दिया गया जनादेश है. सितंबर में मतदान के पहले दौर में न तो मुइज और न ही सोलिह को 50 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे.

क्या होगा भारत पर असर : 2018 में राष्ट्रपति चुने गए सोलीह पर मुइज ने आरोप लगाया था कि वह भारत को मालदीव में एक अनियंत्रित उपस्थिति की छूट दे रहे हैं. मुइज की पार्टी, पीपुल्स नेशनल कांग्रेस, को चीन समर्थक के रूप में देखा जाता है. सोलिह ने जोर देकर कहा है कि मालदीव में भारतीय सेना की उपस्थिति केवल दोनों सरकारों के बीच एक समझौते के तहत एक डॉकयार्ड का निर्माण करने के लिए थी. यह कि उनके देश की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं था.

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मतदान केंद्र पर वर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम सालेह.

मुइज के चुनाव प्रचार में भारत विरोध था मूल तत्व : मुइज ने अपने चुनाव अभियान के दौरान वादा किया था कि यदि वह चुनाव जीतते हैं तो भारतीय सैनिकों को मालदीव से हटा देंगे. इसके साथ ही देश के व्यापार संबंधों को संतुलित करेंगे. जो अभी भारत के पक्ष में ज्यादा झुके हुए हैं. हालांकि, मालदीव के एक पूर्व विदेश मंत्री अहमद शहीद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह जनादेश भारत और मालदीव के बीच संबंधों पर नहीं बल्कि आर्थिक और प्रशासनिक मोर्चे पर वर्तमान सरकार की विफलता पर आया है.

जनता ने क्या सोच कर वोट दिया: उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि वोट डालने के समय लोगों के मन में भारत के खिलाफ कोई भावना रही होगी. उन्होंने कहा कि मुइज के इंजीनियर हैं. उन्होंने सात साल तक आवास मंत्री के रूप में काम किया है. वह राजधानी माले के मेयर रह चुके हैं. इसके साथ ही वर्तमान सत्ताधारी पार्टी को एक झटका तब लगा जब जनता के बीच अच्छी छवि के नेता माने जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी से अलग होकर पहले दौर में अपने खुद के उम्मीदवार को मैदान में उतारा. उन्होंने दूसरे दौर में तटस्थ रहने का फैसला किया.

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वोटिंग के दौरान मालदीव के नागरिक. यहां 30 सितंबर को मतदान हुआ था.

हालांकि यह एक तथ्य है कि पीपुल्स नेशनल कांग्रेस जिसके नेता यामीन 2013 से 2018 तक मालदीव में राष्ट्रपति थे भारत के मुकाबले चीन को तरजीह देती रही है. यामीन जब राष्ट्रपति थे तो उन्हें मालदीव को चीन की बेल्ट और रोड पहल का हिस्सा बनाया था. यह पहल एशिया, अफ्रीका और यूरोप में व्यापार और चीन के प्रभाव का विस्तार करने के लिए रेलमार्ग, बंदरगाह और राजमार्गों का निर्माण करने के लिए है.

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शाहेद ने कहा कि मुइज बयानों में चाहे जो भी कहें उनके पास अपनी विदेश नीति में भारत को महत्वपूर्ण स्थान देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि नये राष्ट्रपति विदेश नीति में बहुत हेर-फेर करेंगे. यह हो सकता है कि चीनी परियोजनाओं का विरोध कम हो.

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