ETV Bharat / bharat

GI Tag : इस राज्य के 6 उत्पादों को मिला जीआई टैग, 2022-23 में रहा टॉप पर

author img

By

Published : Apr 5, 2023, 1:22 PM IST

जीआई रजिस्ट्री के मुताबिक, केरल के छह उत्पादों को जीआई टैग हासिल हुआ है. इसके अलावा बिहार, महाराष्ट्र, लद्दाख और असम के उत्पादों को भी जीआई टैग मिला है, लेकिन सबसे अधिक उत्पादों पर जीआई टैग पाने वाला केरल टॉप पर है.

Etv Bharat
Etv Bharat

चेन्नई : देश में 2022-23 के दौरान सबसे अधिक संख्या में उत्पादों के लिए भौगोलिक संकेतक (GI Tag) का दर्जा पाने वाले राज्यों में शीर्ष पर केरल रहा है. जीआई रजिस्ट्री के बुधवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली. रजिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक अट्टापडी अटुकोम्बु अवारा, अट्टापडी थुवारा, ओनाटुकारा एलु, कंथलूर-वट्टवडा वेलुथुल्ली और कोडुंगलूर पोट्टुवेलारी को जीआई दर्जा दिया गया है. केरल के इन छह उत्पादों के अलावा बिहार के मिथिला मखाना, महाराष्ट्र में अलीबाग के सफेद प्याज, तंदूर लाल चना, लद्दाख की रक्तसे कारपो खुबानी और असम के गमोसा (गमछा) को भी जीआई दर्जा दिया गया है.

उल्लेखनीय है कि जीआई दर्जा मुख्य रूप से एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र में तैयार होने वाले किसी कृषि, प्राकृतिक या विनिर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) को दिया जाता है. इनके अलावा स्थानीय स्तर पर बनाई जाने वाली स्पेन की ब्रांडी डे जेरेज और इटली के प्रोवोलोन वालपादान (एक प्रकार का चीज़/पनीर) को भी यह सम्मान मिला है. इससे पहले, 2021-22 में घरेलू और विदेशी बाजारों से 50 उत्पादों को जीआई टैग दिया गया था जिनमें सर्वाधिक सात उत्पाद उत्तर प्रदेश से थे.

बनारसी पान व चार अन्य उत्पादों को जीआई टैग

बता दें कि मशहूर बनारसी पान को जीआई) टैग मिला है. अपने लजीज स्वाद के लिए मशहूर बनारसी पान खास सामग्री से अनोखे तरीके से बनाया जाता है. पद्म पुरस्कार से सम्मानित जीआई विशेषज्ञ रजनीकांत ने कहा कि बनारसी पान के साथ, वाराणसी के तीन अन्य उत्पादों बनारसी लंगड़ा आम, रामनगर भांटा (बैंगन) और आदमचीनी चावल को भी जीआई टैग मिला है. इसके साथ, काशी क्षेत्र अब 22 जीआई टैग उत्पादों का दावा करता है. नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) उत्तर प्रदेश के सहयोग से, कोविड चरण के दौरान 20 राज्य-आधारित उत्पादों के लिए जीआई आवेदन दायर किए गए थे.

इनमें से 11 उत्पाद, जिनमें सात ओडीओपी और काशी क्षेत्र के चार उत्पाद शामिल हैं, को नाबार्ड और योगी आदित्यनाथ सरकार की मदद से इस साल जीआई टैग मिला है. रजनीकांत ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के जीआई उत्पादों को बनाने में कारीगरों सहित कुल 20 लाख लोग शामिल हैं, जिनमें वाराणसी के लोग भी शामिल हैं. इन उत्पादों का सालाना कारोबार 25,500 करोड़ रुपये आंका गया है. उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि अगले महीने के अंत तक बाकी नौ उत्पादों को भी देश की बौद्धिक संपदा में शामिल कर लिया जाएगा. इनमें बनारस का लाल पेड़ा, चिरईगांव गूसबेरी, तिरंगी बर्फी, बनारसी ठंडाई और बनारस लाल भरवा मिर्च आदि शामिल है.

इससे पहले, काशी और पूर्वांचल क्षेत्र में 18 जीआई उत्पाद थे. इनमें बनारस ब्रोकेड और साड़ी, हस्तनिर्मित भदोही कालीन, मिजार्पुर हस्तनिर्मित कालीन, बनारस मेटल रेपोसी क्राफ्ट, वाराणसी गुलाबी मीनाकारी, वाराणसी लकड़ी के लाख के बर्तन और खिलौने, निजामाबाद काली पत्री, बनारस ग्लास शामिल थे. बीड्स, वाराणसी सॉफ्टस्टोन जाली वर्क, गाजीपुर वॉल हैंगिंग, चुनार सैंडस्टोन, चुनार ग्लेज पटारी, गोरखपुर टेराकोटा क्राफ्ट, बनारस जरदोजी, बनारस हैंड ब्लॉक प्रिंट, बनारस वुड काविर्ंग, मिजार्पुर पीतल के बर्तन और मऊ की साड़ी शामिल है. 1,000 से अधिक किसानों को पंजीकृत किया जाएगा और जीआई अधिकृत उपयोगकर्ता प्रमाण पत्र दिया जाएगा. नाबार्ड के एजीएम अनुज कुमार सिंह ने कहा कि आने वाले समय में नाबार्ड इन जीआई उत्पादों को आगे ले जाने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू करने जा रहा है. उन्होंने कहा कि वित्तीय संस्थान उत्पादन और विपणन के लिए सहयोग प्रदान करेंगे.

(भाषा-आईएएनएस)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.