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Kerala gold smuggling case: कर्नाटक हाई कोर्ट ने विजेश पिल्लई के खिलाफ प्राथमिकी रद्द की

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Published : Jun 21, 2023, 10:46 AM IST

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी रद्द की, मजिस्ट्रेट को स्वप्ना सुरेश की जान को खतरा होने की शिकायत पर नए सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया. कर्नाटक के उच्च न्यायालय ने केरल सोना तस्करी मामले में एक आरोपी स्वप्ना सुरेश के विजेश पिल्लई पर लगाये गये आरोपों की जांच के लिए मजिस्ट्रेट को एक नया आदेश पारित करने का निर्देश दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

Kerala gold smuggling case
कर्नाटक उच्च न्यायालय

बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट के एक आदेश को रद्द कर दिया है. मजिस्ट्रेट ने कर्नाटक पुलिस को विजेश पिल्लई के खिलाफ बिना कोई कारण दर्ज किए गैर-संज्ञेय अपराध दर्ज करने की अनुमति दी गई थी. केरल सोना तस्करी की आरोपी स्वप्ना सुरेश ने विजेश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. न्यायमूर्ति एम नागप्रसाना इस मामले की सुनवाई कर रहे थे. उन्होंने पुलिस की मांग पर मामले में नए सिरे से उचित आदेश पारित करने के लिए मामले को मजिस्ट्रेट को वापस भेज दिया. कोर्ट ने मजिस्ट्रेट से फैसला लेने से पहले निर्धारित दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखने को कहा है.

स्वप्ना ने 11 मार्च, 2023 को केआर पुरम पुलिस में विजेश के खिलाफ शिकायच दर्ज करायी थी. स्वन्ना का आरोप था कि पिल्लै ने उन्हें धमकाया और जान से मारने की धमकी थी. इसके बाद, पुलिस अधिकारी ने मजिस्ट्रेट से आईपीसी की धारा 506 के तहत अपराध दर्ज करने की अनुमति मांगी, जो कि सीआरपीसी की धारा 155 के तहत अनिवार्य प्रक्रिया है. एसएचओ की मांग पर मजिस्ट्रेट ने अनुमति दी. स्वप्ना का आरोप है कि पिल्लई ने उसे 4 मार्च को व्हाइटफील्ड मेन रोड के एक स्टार होटल में मिलने के लिए कहा था.

उन्होंने कथित तौर पर कहा कि उन्हें पार्टी (सीपीआई-एम) के सचिव गोविंदन ने भेजा गया था. स्वप्ना के आरोप के मुताबिक, विजेश ने उन्हें केरल के मुख्यमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ कोई बयान नहीं देने को कहा. इसके एवज में विजेश ने स्वप्ना को अंतिम समझौते के रूप में 30 करोड़ रुपये की पेशकश भी की थी. स्वप्ना ने कहा कि विजेश ने उसे एक हफ्ते के अंदर बेंगलुरु छोड़ देने को कहा. स्वप्ना ने कहा कि उसने उसे यह कहते हुए धमकी दी थी कि वह उसके सामान में कंट्राबेंड डालकर उसके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करेगा.

स्वप्ना ने आरोप लगाया कि उसने उसे जान से मारने की धमकी भी दी. इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेटों को अपने तरीके में सुधार करना चाहिए. पुलिस की मांगों पर अपना दिमाग लगाना चाहिए. फिर उचित आदेश पारित करना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर न्याय मिलने पी प्रक्रिया बाधित होती है.

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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट के लिए पांच दिशानिर्देश भी जारी किए :

  • मजिस्ट्रेट को एक अलग आदेश पत्रक में यह रिकॉर्ड करना चाहिए कि किसने मांग प्रस्तुत की है, चाहे वह मुखबिर हो या एसएचओ.
  • यदि शिकायत मांग पत्र के साथ संलग्न नहीं है तो मजिस्ट्रेट को कोई आदेश पारित नहीं करना चाहिए.
  • मजिस्ट्रेटों को मांग की सामग्री की जांच करनी चाहिए और एक प्रथम दृष्टया निष्कर्ष रिकॉर्ड करना चाहिए कि क्या यह जांच के लिए उपयुक्त मामला है. यदि ऐसा नहीं है, तो मजिस्ट्रेटों को एक विस्तृत आदेश देना चाहिए या मांग को खारिज कर देना चाहिए. मजिस्ट्रेटों को अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए.
  • मजिस्ट्रेटों को एक अलग आदेश पत्रक बनाए रखना चाहिए. इसके अलावा 'permitted', 'perused permitted' या 'perused requisition permitted registration of FIR' जैसे शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए.
  • कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट के आदेश में उपरोक्त दिशा-निर्देशों का पालन होना चाहिए और किसी भी उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा.
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