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Kerala Blast : जिस प्रार्थना घर पर हमला हुआ, उनके अनुयायी न तो ईसा मसीह को भगवान मानते, न ही किसी देश का राष्ट्रगान गाते हैं

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 29, 2023, 6:33 PM IST

Updated : Oct 29, 2023, 6:42 PM IST

jehovahs
यहोवा के गवाह

केरल के जिस प्रार्थना घर पर हमला हुआ है, उनके अनुयायी यहोवा विटनेसेस (यहोवा के गवाह) के नाम से जाने जाते हैं. वे लोग ईसाई धर्म मानते हैं, लेकिन ईसा मसीह को भगवान नहीं मानते हैं. वे न तो क्रिसमस और न ही ईस्टर का त्योहार मनाते हैं. इससे भी ज्यादा अचरज की बात ये है कि वे किसी भी देश का राष्ट्रगान नहीं गाते हैं. कौन हैं यहोवा और क्या है उनका इतिहास, आइए इस पर एक नजर डालते हैं. who are jehovahs, Jehovahs do not follow main Christianity, national song and jehovahs

तिरुवनंतपुरम : केरल के जिस प्रार्थना घर पर रविवार को हमला किया गया है, उनका विवादों से पुराना संबंध रहा है. दरअसल, उनका इतिहास भी बड़ा ही अजीबो-गरीब रहा है. वे क्रिश्चियन धर्म में यकीन तो करते हैं, लेकिन ईसा मसीह को भगवान नहीं मानते हैं. उन्हें यहोवा के गवाह के नाम से जाना जाता है.

यहोवा के गवाह मुख्य रूप से ईसाई धर्म मानते हैं, लेकिन उनकी मान्यताएं मुख्यधारा के ईसाई धर्म से अलग है. इनकी आबादी पूरी दुनिया में दो करोड़ के आसपास है. इसकी स्थापना अमरीकी बाइबिल विद्वान चार्ल्स टेज रसेल ने की थी. शुरुआत में यहोवा को बाइबिल स्टूडेंट्स के नाम से जाना जाता था. उनका मानना है कि पूरी दुनिया में सिर्फ यहोवा ही एकमात्र भगवान हैं.

मुख्य धारा के ईसाई अनुयायियों का विश्वास ट्रिनिटी में है. जबकि यहोवा के अनुसार ईसा मसीह भगवान के दूत थे, न कि भगवान. वे यह भी मानते हैं कि उनके भगवान (यहोवा) स्वर्ग से पृथ्वी पर राज करते हैं और वे हमलोगों की इच्छाओं की पूर्ति भी करेंगे. यहोवा की मान्यताओं के अनुसार जब आप अपने पापों को नष्ट कर लेंगे, तो भगवान आपको सभी बाधाओं से मुक्त कर देंगे और वैसे अच्छे लोग जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उन्हें भी वापस बुलाएंगे. यहोवा क्रॉस और मूर्ति या किसी प्रकार के चिन्हों का प्रयोग नहीं करते हैं.

यहोवा का विश्वास मुख्य रूप से बाइबिल पर आधारित है. फिर भी वे सिद्धान्तवादी नहीं हैं. उनका कहना है कि बाइबिल का अधिकांश हिस्सा सांकेतिक भाषाओं (फिगरेटिव लैंगुएज) में लिखा गया है, इसलिए उन्हें हुबहू मानने की जरूरत नहीं है. वे राजनीतिक रूप से तटस्थ होते हैं. राष्ट्रीय झंडा को भी सैल्यूट नहीं करते हैं. न ही राष्ट्रगान गाते हैं. न सैन्य सेवा में उनका विश्वास है. उनकी इन्हीं विवादास्पद मान्यताओं की वजह से दुनिया के कई देशों ने उन पर पाबंदियां लगा रखी हैं. अमेरिका में भी वे प्रतिबंधित हैं.

ऐसा माना जाता है कि ये लोग 1905 में धर्म प्रचार के लिए केरल आए थे. टीसी रसेल ने 1911 में रसलपुरम में अपना पहला उपदेश दिया था. एक अनुमान के अनुसार केरल में 15 हजार के आसपास यहोवा रहते हैं. वे मुख्य रूप से केरल के मल्लापल्ली, मीनाडम, पांपडी, वाकतानम, कंगजा, आर्यकुन्नम और पुथुपल्ली में रहते हैं. वे एक साल में तीन बार कन्वेंशन का आयोजन करते हैं. 200 स्थानों से वे इसे ऑपरेट करते हैं. वे न तो क्रिसमस मनाते हैं, न ईस्टर या न ही ईसा मसीह का जन्मदिन.

राष्ट्रगान संबंधित एक विवादास्पद मामले में 1986 में उनके पक्ष में फैसला आया था. दरअसल, यहोवा बच्चों ने राष्ट्रगान गाने से मना कर दिया था. उनका कहना था कि उनका धर्म राष्ट्रगान गाने की इजाजत नहीं देता है. लेकिन स्कूल वाले नहीं माने और उन्होंने यहोवा के अनुयायियों के बच्चों को स्कूल से निकाल दिया. इस फैसले के खिलाफ प्रो. वीजे इमैनुएल और लिलिकुट्टी ने कोर्ट में अपील की थी. जिला अदालत और हाई कोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली. हां, सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत जरूर दी. इमैनुएल के तीनों बच्चे - बिजो, बिनू मोल और बिंदु- एनएसएस हाईस्कूल किडानगूर में पढ़ाई कर रहे थे. हालांकि, उनका कहना था कि वे राष्ट्रगान के दौरान खड़े रहने के लिए तैयार हैं, क्योंकि वे सम्मान देना चाहते हैं.

उस समय के एक विधायक वीसी कबीर ने इस मामले को विधानसभा में उठाया था. तब कांग्रेस की सरकार थी. के. करुणाकरण सीएम थे. टीएम जैकब शिक्षा मंत्री थे. मंत्री ने पूरे मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय कमेटी नियुक्त की. कमेटी ने अपनी फाइडिंग में कहा कि तीनों बच्चे कानून का पालन करते हैं, उन्होंने राष्ट्रीय गान का अपमान नहीं किया. उस समय उस स्कूल में यहोवा के 11 बच्चे पढ़ाई कर रहे थे. शिक्षा विभाग ने सुझाव दिया था कि अगर ये सभी बच्चे लिखित में आश्वासन देते हैं कि वे राष्ट्रीय गान गा सकते हैं, तो उन्हें राहत दी जा सकती है. हालांकि, इमैनुएल ने इसे स्वीकार करने से साफ तौर पर मना कर दिया.

विवाद बढ़ने के बाद स्कूल प्रशासन ने इन बच्चों को निकाल दिया. मामला केरल हाईकोर्ट में गया. सिंगल बेंच और उसके बाद डबल बेंच ने इमैनुएल को कोई राहत प्रदान नहीं की. उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत प्रदान कर दी. हालांकि, इमैनुएल के बच्चों ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी.

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Last Updated :Oct 29, 2023, 6:42 PM IST
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