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कर्नाटक में शुरू होगी भारत की पहली मोबाइल हीमोफिलिया सेवा इकाई

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Published : Jan 7, 2022, 4:11 PM IST

mobile haemophilia service unit
मोबाइल हीमोफिलिया सेवा इकाई

कर्नाटक के दावणगेरे (Karnatakas Davangere) को भारत की पहली मोबाइल हीमोफिलिया सेवा इकाई मिलेगी (first mobile haemophilia service unit). कर्नाटक हीमोफीलिया सोसायटी, रोटरी इंटरनेशनल के सहयोग से 14 जनवरी को मोबाइल सेवा इकाई शुरू की जाएगी.

दावणगेरे (कर्नाटक) : कर्नाटक हीमोफीलिया सोसायटी इस क्षेत्र में 100 किलोमीटर की दूरी पर एक हीमोफीलिया मोबाइल सेवा इकाई (haemophilia mobile service unit) शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है.

14 जनवरी को हीमोफीलिया के मरीजों का घर पर उपचार प्रदान करने के लिए रोटरी इंटरनेशनल, दक्षिण दावणगेरे के सहयोग से मोबाइल सेवा इकाई शुरू की जाएगी. यह पहल देश में अपनी तरह की पहली है. सोसायटी का उद्देश्य लोगों में हीमोफीलिया का जल्द से जल्द पता लगाना और उन्हें उपचार प्रदान करना है ताकि स्थायी विकलांगता को रोका जा सके.

जेजेएम मेडिकल कॉलेज (JJM medical college) में पैथोलॉजी के प्रोफेसर और कर्नाटक हीमोफिलिया सोसाइटी (केएचएस) के अध्यक्ष सुरेश हनागवाड़ी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हीमोफिलिया के अधिकांश रोगियों को इलाज के लिए दावणगेरे में सोसायटी कार्यालय आने में मुश्किल हो रही थी. उन्होंने कहा कि केवल संपन्न परिवारों के हीमोफीलिया के मरीज ही इंजेक्शन खरीद सकते हैं और अपने घरों में रख सकते हैं क्योंकि यह महंगा है इसलिए, हमने उनके घर जाने और उन्हें इंजेक्शन देने के बारे में सोचा.

हीमोफीलिया के रोगियों को चोट लगने पर रक्तस्राव होता है या बिना चोट के भी आंतरिक रक्तस्राव होता है. उन्होंने कहा कि रोटरी इंटरनेशनल ने मोबाइल सेवा इकाई की 75% लागत वहन की है और शेष 25% लागत कर्नाटक हीमोफिलिया सोसायटी द्वारा वहन की जा रही है. दो प्रशिक्षित कर्मचारी, एक चिकित्सा अधिकारी और एक चिकित्सा-सामाजिक कार्यकर्ता मोबाइल सेवा इकाई का हिस्सा होंगे.

अनुवांशिक बीमारी है हीमोफीलिया

हीमोफीलिया अनुवांशिक बीमारी है. सावधानी न रखने पर यह जानलेवा साबित हो सकती है. इसकी चपेट में पुरुष आते हैं. लगातार रक्त बहने की समस्या हो तो सावधानी जरूरी है. यह खून में थक्का जमाने वाले आवश्यक फैक्टर के न होने या कम होने के कारण होता है. रक्तस्राव चोट लगने या अपने आप भी हो सकता है. मुख्यत: रक्तस्राव जोड़ो, मांसपेशियों और शरीर के अन्य आंतरिक अंगों में होता है और अपने आप बंद नहीं होता है. कुछ खास सावधानियां बरतने से और हीमोफीलिया प्रतिरोधक फैक्टर के प्रयोग से नियंत्रित किया जा सकता है.

बीमारी के ये हैं लक्षण
शरीर में नीले निशान बन जाते हैं. जोड़ों में सूजन आना और रक्तस्राव होना. अचानक कमजोरी आना और चलने में तकलीफ होना. नाक से अचानक खून बहना भी इसके ही लक्षण है. यदि यह रक्तस्राव रोगी की आंतों में अथवा दिमाग के किसी हिस्से में शुरू हो जाये तो यह जानलेवा भी हो सकता है. इसका इलाज जल्द से जल्द होना अति आवश्यक है.

पढ़ें- विश्व हीमोफीलिया दिवस : जानें क्या है हीमोफीलिया, उसका उपचार और निदान

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