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सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में बुलडोजर कार्रवाई पर दो हफ्ते तक लगाई रोक

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Published : Apr 21, 2022, 11:23 AM IST

Updated : Apr 21, 2022, 2:21 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के हिंसाग्रस्त जहांगीरपुरी इलाके में अगले दो हफ्ते तक अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी है. अब दो हफ्ते बाद इस मामले पर सुनवाई होगी. बता दें कि, उत्तर-पश्चिम दिल्ली में शोभायात्रा के दौरान हिंसा के कुछ दिनों बाद एनडीएमसी के अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत जहांगीरपुरी में बुधवार को बुलडोजर के जरिए एक मस्जिद के पास कई ढांचों को तोड़ दिया गया.

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जहांगीरपुर हिंसा अवैध अतिक्रमण मामला

नई दिल्ली : दिल्ली के जहांगीरपुरी में हिंसा के बाद अवैध अतिक्रमण हटाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर से सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत ने जहांगीरपुरी में अगले दो हफ्ते तक अतिक्रमण हटाने के अभियान पर रोक लगा दी है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है और तब तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने कहा कि बुधवार को शीर्ष अदालत के आदेश के बारे में एनडीएमसी मेयर को सूचित किए जाने के बाद अधिकारियों द्वारा किए गए विध्वंस के बारे में गंभीरता से विचार किया जाएगा. पीठ ने कहा कि वह इस मामले को बाद में उठाएगी.

शीर्ष अदालत ने जहांगीरपुरी में किए गए विध्वंस अभियान के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किया. जहांगीरपुरी विध्वंस अभियान के खिलाफ मामले में जमीयत उलमा-ए-हिंद का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के मेयर ने मीडिया से कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश का सुबह 11 बजे पालन किया जाएगा, लेकिन विध्वंस अभियान जारी रहा. सुनवाई के दौरान, जब एक वरिष्ठ वकील ने तर्क दिया कि अदालत को अगले आदेश तक विध्वंस पर रोक लगानी चाहिए तो शीर्ष अदालत ने कहा कि वह पूरे देश में विध्वंस को रोक नहीं सकती.

जमीयत उलमा-ए-हिंद का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अतिक्रमण पूरे भारत में एक गंभीर समस्या है लेकिन मुस्लिम समुदाय को अतिक्रमण से जोड़ना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं दूसरे राज्यों में भी हो रही हैं और जब जुलूस निकाले जाते हैं और मारपीट होती है तो एक ही समुदाय के घरों पर बुलडोजर चलाया जाता है.

अतिक्रमण हटाने का अभियान 19 जनवरी से शुरू हुआ था : वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जहांगीरपुरी में फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने का अभियान 19 जनवरी से शुरू हुआ था. फरवरी, मार्च में किया गया और 19 अप्रैल को अभियान की पांचवीं तारीख थी. मेहता ने कहा कि अवैध संरचनाओं को लेकर नोटिस दिया गया था. उन्होंने कहा कि लोगों ने पिछले साल दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया और न्यायालय ने विध्वंस का आदेश दिया था. मेहता ने कहा कि प्रभावित लोगों ने अदालत का रुख नहीं किया, बल्कि एक संगठन ने इसकी जगह अदालत का दरवाजा खटखटाया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक समुदाय को निशाना बनाने का आरोप गलत है.

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह याचिकाकर्ताओं से नोटिस पर हलफनामा चाहता है, और तब तक यथास्थिति का आदेश जारी रहेगा. बुधवार को दवे ने प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था और पीठ ने विध्वंस अभियान पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. साथ ही दिल्ली के मुख्य सचिव, एनडीएमसी और जहांगीरपुरी के एसएचओ को नोटिस जारी किया था.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा: मेयर
हिंसाग्रस्त जहांगीरपुरी में अगले आदेश तक अतिक्रमण हटाने के अभियान पर रोक लगाने के आदेश पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर इकबाल सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के बाद ही आगे कुछ भी किया जाएगा.

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बता दें, एनडीएमसी द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ अभियान शुरू करने के साथ ही इस इलाके में दंगा रोधी टुकड़ियों सहित सैकड़ों पुलिसकर्मी तैनात थे. दो घंटे से भी कम समय में, कई दुकानों और अवैध ढांचों को गिरा दिया गया. कुछ दुकान के मालिकों ने यह भी कहा कि उनके प्रतिष्ठानों को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और स्थानीय नगर निगम की मंजूरी मिली हुई थी. बीते शनिवार को हनुमान जयंती पर निकाली गई शोभा यात्रा के दौरान जहांगीरपुरी में हिंसा हुई थी. हथियारों के साथ निकाले गए जुलूस के दौरान हुई हिंसा में आठ पुलिस कर्मी और एक नागरिक घायल हो गए.

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Last Updated :Apr 21, 2022, 2:21 PM IST
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