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Year Ender 2021 : भारतीय सेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए मुखर दृष्टिकोण अपनाया

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Published : Dec 30, 2021, 5:57 PM IST

भारतीय सशस्त्र बलों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के आक्रामक सैन्य रुख की पृष्ठभूमि में एक मुखर राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत (Indian military calibrated assertive approach) को मजबूत बनाने की नीति अपनाई. साथ ही लड़ाकू क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए इस वर्ष बड़े पैमाने पर सैन्य साजो-सामान तथा हथियारों की भी खरीद की.

indian army concept photo
भारतीय सेना का युद्धाभ्यास (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली : भारतीय सशस्त्र बलों ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ लंबे समय से जारी सैन्य गतिरोध से उत्पन्न तथा अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए 2021 में एक मुखर दृष्टिकोण (Indian military calibrated assertive approach) अपनाया. इसी साल अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान में अचानक और अप्रत्याशित तरीके से सत्ता पर नियंत्रण हासिल कर लिया. तालिबान की पाकिस्तान के साथ निकटता और अफगानिस्तान के विभिन्न आतंकवादी समूहों का अड्डा बनने की आशंका के चलते भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों के बीच चिंता पसर गई.

भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारी सेना के तीन अंगों का महत्वाकांक्षी एकीकरण करने के लिए एक व्यापक कवायद की तैयारी कर ही रहे थे कि आठ दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में देश के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत का एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया.

इस दुर्घटना में जनरल रावत की पत्नी मधुलिका, उनके रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर एल.एस. लिद्दर, सीडीएस के स्टाफ ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह और पायलट ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह समेत 13 अन्य लोगों का भी निधन हो गया.

भारत के पहले सीडीएस के रूप में 63 वर्षीय जनरल रावत, भविष्य के खतरों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए एक राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण तैयार कर रहे थे. वह सैन्य कमानों का पुनर्गठन करने सहित सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की महत्वाकांक्षी योजना के कार्यान्वयन की कवायद में भी जुटे थे.

पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल रावत की मृत्यु से वरिष्ठ सैन्य पदानुक्रम में एक खालीपन पैदा होता दिख रहा है क्योंकि सरकार ने अभी तक व्यापक सुधार पहलों को लागू करने के लिए किसी नए सीडीएस की नियुक्ति नहीं की है.

भारतीय सशस्त्र बलों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के आक्रामक सैन्य रुख की पृष्ठभूमि में एक मुखर राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत को मजबूत बनाने के साथ ही अपनी लड़ाकू क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए इस वर्ष बड़े पैमाने पर सैन्य साजो-सामान तथा हथियारों की भी खरीद की.

पूर्वी लद्दाख में 18 महीनों से अधिक समय तक भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध चला आ रहा है, हालांकि वे अगस्त में गोगरा क्षेत्र में और फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तर व दक्षिण तट से पीछे हटने की प्रक्रिया को पूरा करने में कामयाब रहे.

अक्टूबर में दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की 13वें दौर की वार्ता बेनतीजा रही. इस दौरान भारत की तरफ से कहा गया कि चीनी पक्ष ने उसके द्वारा दिए गए 'रचनात्मक सुझाव' स्वीकार नहीं किए.

थलसेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे ने अक्टूबर में स्थिति से निपटने के लिए भारत के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करते हुए कहा कि यदि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) वहां (पूर्वी लद्दाख में) से नहीं हटी, तो भारतीय सेना भी डटी रहेगी.

फरवरी में, चीन ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया कि पिछले साल जून में गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ संघर्ष में पांच चीनी सैन्य अधिकारी और सैनिक मारे गए थे, हालांकि यह व्यापक रूप से माना जाता है कि मरने वालों की संख्या इससे कहीं अधिक थी.

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों पक्षों में से प्रत्येक के पास फिलहाल लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक हैं.

इससे अलग, भारतीय और चीनी सैनिक अक्टूबर में अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांग्त्से के पास कुछ समय के लिए आमने-सामने आ गए थे. हालांकि इस मामले को घटना के कुछ घंटों के भीतर हल कर लिया गया था.

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के करीब 100 सैनिकों ने 30 अगस्त को उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में एलएसी का उल्लंघन किया और वे कुछ घंटे बिताने के बाद क्षेत्र से लौट गए.

भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पर कड़ी निगरानी रखने के अलावा जम्मू-कश्मीर में भी अपने आतंकवाद रोधी अभियान को जारी रखा.

भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने 25 फरवरी को घोषणा की कि वे 2003 के संघर्षविराम समझौते के तहत नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी बंद करेंगी.

इस महीने की शुरुआत में, नगालैंड के मोन जिले में उग्रवाद रोधी अभियान में गलत पहचान के चलते 14 लोगों के मारे जाने के बाद एक विवाद खड़ा हो गया. चार दिसंबर की इस घटना ने नगालैंड में बड़े पैमाने पर जन-आक्रोश पैदा किया और सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम को हटाने की मांग उठी.

साल 2021 में रक्षा मंत्रालय द्वारा स्वीकृत की गईं खरीद परियोजनाओं में फरवरी में 48,000 करोड़ रुपये के एक सौदे को अंजाम तक पहुंचाना भी शामिल था. यह समझौता सरकार संचालित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से 83 तेजस हल्के लड़ाकू विमान खरीदे जाने से संबंधित है. इसे अब तक का सबसे बड़े स्वदेशी रक्षा खरीद कार्यक्रम बताया गया.

जून में, मंत्रालय ने देश के नौसैनिक कौशल को बढ़ाने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाते हुए 43,000 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय नौसेना के लिए घरेलू स्तर पर छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए एक और बड़ी परियोजना को मंजूरी दी. इस साल ऐसे ही कई और रक्षा सौदों को भी मंजूरी दी गई.

वहीं, एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में उच्चतम न्यायालय ने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में महिलाओं के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त कर दिया. सेना के तीनों अंगों के लिए भर्ती करने वाली इस अकादमी में पुरुषों का दबदबा रहा है.

नयी नियुक्तियों की बात की जाए तो एडमिरल आर. हरि ने एडमिरल करमबीर सिंह के बाद भारतीय नौसेना के नए प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला. सितंबर में, एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी नए वायुसेना प्रमुख बने.

(एक्स्ट्रा इनपुट- पीटीआई)

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