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पीएम मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य तय किया

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Published : Aug 15, 2022, 4:27 PM IST

पीएम नरेंद्र मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर संबोधन में लोगों से 2047 तक स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करने के लिए पांच प्रतिज्ञाओं, विकसित भारत, गुलामी को दूर करना, विरासत में गर्व, एकता और नागरिकों का कर्तव्य के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया.

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पीएम मोदी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में अगले 25 सालों में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य तय किया है. साथ ही उन्होंने 'विकसित भारत' सुनिश्चित करने के लिए देशवासियों से 'पंच प्रण' लेने का आह्वान किया. लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का दिन न सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि यह एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का शुभ अवसर भी है. उन्होंने कहा कि इस 'अमृत काल' में लोगों की आंकाक्षाएं उफान पर हैं और वह नए भारत की तेज गति और प्रगति देखने को लालायित हैं.

प्रधानमंत्री ने भारत को 'लोकतंत्र की जननी' बताया और कहा, 'हमारे देश ने साबित कर दिखाया है कि हमारे पास हमारी विविधता से अंतर्निहित ताकत है और राष्ट्रभक्ति का धागा भारत को अटूट बनाता है.' उन्होंने कहा, 'आज जब हम अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं, अगले 25 वर्ष हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.'

करीब 82 मिनट के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 25 साल की यात्रा को देश के लिए 'अत्यंत महत्वपूर्ण' करार दिया और 'अमृत काल' में विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता व नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्य पालन के 'पंच प्रण' का आह्वान किया. उन्होंने कहा, 'हमें पंच प्रण को लेकर 2047 तक चलना है. जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरा करने का जिम्मा उठा करके चलना है.'

उन्होंने कहा, 'आज जब अमृत काल की पहली प्रभात है, हमें इस 25 साल में विकसित भारत बना कर ही रहना है. अपनी आंखों के सामने इसे कर के दिखाना है.' भारत 15 अगस्त, 1947 में आजाद हुआ था और उसने 2022 में आजाद देश के रूप में 75 साल की यात्रा पूरी कर ली है. सरकार की ओर से अगले 25 साल के कालखंड को 'अमृत काल' का नाम दिया गया है.

उन्होंने कहा, 'हम कहीं पर भी हों, भारत का विकास ही हम सबके मन मस्तिष्क में रहना चाहिए. आज समय की मांग है कि हमें सहकारी संघवाद के साथ-साथ विकास की स्पर्धा की भी जरूरत है.' अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने लैंगिक समानता, ऐसा कुछ ना करने का संकल्प जिससे महिलाओं की प्रतिष्ठा कम होती हो, शोध और नवप्रवर्तन को बढ़ावा देने के लिए 'जय अनुसंधान' के उद्घोष सहित कई मुद्दों का उल्लेख किया लेकिन कोई नयी योजना या पहल की घोषणा नहीं की.

(पीटीआई-भाषा)

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