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यूपी की सियासत में ओवैसी को 'अतीक' तो राजभर को भा रहे 'मुख़्तार'!

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Published : Nov 7, 2021, 7:25 PM IST

यूपी की
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यूपी की सियासत में बाहुबलियों के सहारे तमाम राजनीतिक दलों की नैया पार होती रही है. इन बाहुबलियों के जलवे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये जेल में रहते हुए भी किसी भी पार्टी के पक्ष में चुनाव मोड़ने में सक्षम हैं.

लखनऊः इन दिनों उत्तर प्रदेश के दो बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद और विधायक मुख्तार अंसारी सलाखों के पीछे हैं. एक गुजरात की जेल में तो दूसरा बांदा जेल में बंद है. चुनाव आते ही इन दिनों बाहुबलियों की जरूरत नेताओं को महसूस होने लगी है. इसीलिए नेता जेल में जाकर इन बाहुबलियों से मुलाकात कर रहे हैं. एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी यूपी में अपनी सियासी जमीन तलाशने निकले हैं, तो उन्हें लग रहा है कि उनकी इस मुहिम में बाहुबली अतीक अहमद अहम रोल निभा सकते हैं.

अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन को ओवैसी अपनी पार्टी में शामिल भी कर चुके हैं और टिकट देने का भी ऐलान कर दिया है. वहीं ओवैसी के करीब रहे ओपी राजभर अब एसपी के साथ हैं और उन्हें भी पूर्वांचल में एक बाहुबली की तलाश थी. लिहाजा उनका मुख्तार प्रेम जाग गया है. वे मुख्तार से मिलने बांदा जेल में गए. कुल मिलाकर कभी साथ-साथ चलने वाले ये दोनों नेता अब अपने साथ एक-एक बाहुबली को लेकर चलना चाहते हैं.

बिहार में मिली जीत से उत्साहित एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी जीत की उम्मीद लेकर उतरे हैं. यूपी की सियासत में कदम रखने आए ओवैसी को सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर, प्रसपा मुखिया शिवपाल यादव और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद का साथ मिला. सभी नेताओं के मुलाकात का दौर शुरू हुआ. खूब गलबहियां भी हुईं. राजनीतिक गलियारों में इन नेताओं ने साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर डाला. जनभागीदारी संकल्प मोर्चा भी बन गया. लेकिन एक-दूसरे को कानों-कान खबर न लगते हुए सभी नेता अपने लिए विकल्प तलाशते रहे. कुल मिलाकर सभी को अपने लिए विकल्प मिल भी गए.

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सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का साथ पकड़ लिया और उनके साथ अब चुनावी मैदान में उतरेंगे. पिछले पांच सालों से एक साथ आने के लिए बेताब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी अब जल्द ही अपने भतीजे और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के साथ नजर आने वाले हैं. आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद भी बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ जाने के लिए पुरजोर कोशिशों में जुटे हुए हैं. ऐसे में हैदराबाद से सियासत करने आए ओवैसी अब उत्तर प्रदेश के रणक्षेत्र में अकेले पड़ गए हैं.

यही वजह है कि जिन्हें समाजवादी पार्टी ने नकार दिया है. उन्हें ओवैसी ने स्वीकार कर लिया. उन्होंने जेल में बंद बाहुबली अतीक अहमद के परिवार का साथ पकड़ा तो ओमप्रकाश राजभर ने मुख्तार अंसारी से जेल में मुलाकात कर नए समीकरणों को हवा दे दी है. दोनों नेता जेल में बंद नेताओं के जरिए अपनी सियासत मजबूत करने में जुटे हैं.

पूर्वांचल की राजनीति में खासा दखल रखने वाले मुख्तार अंसारी की जरूरत सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को महसूस हो रही है. लिहाजा, विपक्षी दलों के नेताओं के प्रहार को दरकिनार कर ओमप्रकाश राजभर मुख्तार से मिलने कुछ दिन पहले बांदा जेल पहुंच जाते हैं. जेल में मुख्तार अंसारी से राजभर की एक घण्टे तक मुलाकात होती है. सियासी समीकरणों पर बात होती है. ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि सपा और सुभासपा के गठबंधन के बाद मुख्तार अंसारी सुभासपा से चुनावी मैदान में ताल ठोकते हुए भी नजर आ सकते हैं.

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने पहले ही मुख्तार अंसारी का टिकट काटने का ऐलान कर दिया है, वहीं मुख्तार के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी पहले ही समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर चुके हैं. बाहुबली अतीक अहमद की पत्नी को अपनी पार्टी में शामिल करने के बाद एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी साबरमती जेल पहुंचकर अतीक अहमद से मुलाकात करने की कोशिश कर चुके हैं. हालांकि उनकी मुलाकात अतीक अहमद से नहीं हो पाई, लेकिन अतीक तक ये संदेश जरूर पहुंच गया है कि उनका परिवार ओवैसी के साथ है और ओवैसी अतीक अहमद के साथ. ऐसे में नेताओं और बाहुबलियों का यह मेल मिलाप आगामी विधानसभा चुनाव में कोई नया रंग जरूर दिखा सकता है.

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