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हिमाचल प्रदेश में लोकतंत्र प्रहरी सम्मान अधिनियम निरस्त, विपक्ष ने सदन में किया हंगामा

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Published : Apr 3, 2023, 7:29 PM IST

Updated : Apr 3, 2023, 8:14 PM IST

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सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (फाइल फोटो).

हिमाचल प्रदेश में अब इमरजेंसी के दौरान जेल गए नेताओं को पेंशन नहीं मिल सकेगी. क्योंकि हिमाचल प्रदेश सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान कानून रद्द कर दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

शिमला: हिमाचल सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान कानून रद्द कर दिया है. हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान (निरसन) विधेयक, 2023 सोमवार को सदन में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. इस कानून के निरस्त करने के विरोध में विपक्ष ने पहले सदन में जोरदार हंगामा किया और बाद में पूरा विपक्ष विरोध स्वरूप सदन से उठकर बाहर चला गया.

हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान कानून रद्द करने संबंधी विधेयक संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने सोमवार को सदन में पेश किया. विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया. उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने सम्मान राशि के नाम पर अपने चहेतों को लाभ पहुंचाया. पूर्व सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान के नाम पर 3.43 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की.

संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान का कहना था कि देश में इमरजेंसी लागू करने के बाद प्रदेश में शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल की सरकार दो-दो बार सत्ता में रही, तब उन्हें लोकतंत्र प्रहरियों का ध्यान क्यों नहीं आया. हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सरकारी धन के दुरुपयोग पर भाजपा को शर्म आनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान लोगों को एहतियात के दौर पर रखा गया था किसी को जेल में सजा के तौर पर नहीं रखा गया.

क्या बोले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर?: चर्चा में हिस्सा लेते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि पिछली बार यह एक्ट लाया गया था, जिन्होंने लोकतंत्र की लड़ाई लड़ी है. उन्होंने कहा कि स्व. इंदिरा गांधी सत्ता नहीं छोड़ना चाहती थी इसलिए इमरजेंसी रात के अंधेरे में लगाई गई. जो इसके विरोध में थे उनको जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया. हजारों की संख्या में पूरे देशभर में जेल की सलाखों में डाल दिया गया.

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि जिन लोगों ने जो सजाएं काटीं, उनको सम्मान देने के लिए कई राज्यों ने योजना चलाई. इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं. इसी तरह हिमाचल ने भी इस तरह के 80 से 85 लोगों को 20 हजार और 12 हजार प्रतिमाह सम्मान देने का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने इसके लिए एक्ट लाया, ताकि सभी इसका सम्मान करे. उन्होंने कहा कि जिन्होंने देश के लोकतंत्र के लिए जीवन का एक बड़ा समय दिया. उनका विरोध करने की जरूरत नहीं है.

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सत्ता पक्ष के सदस्यों से कहा कि अगर वे लोकतंत्र को मजबूत करने की बात करते हैं और लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास रखते हैं तो इसको निरस्त करने के लिए लाए गए एक्ट को खत्म करने पर विचार किया जाए. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सभी के लिए जरूरी है. वहीं, भाजपा के सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार सत्ता में आने पर लोकतंत्र प्रहरियों को दी जाने वाली राशि को दोगुना करेगी और उन्हें ब्याज सहित पिछली राशि का भी भुगतान करेगी.

बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी और PWD मंत्री क्या बोले?: बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार ने अघोषित आपातकाल लगा रखा है. लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि यह कानून लाकर पूर्व भाजपा सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की थी. उन्होंने कहा कि इस तरह का सम्मान केवल स्वतंत्रता सेनानियों को मिलना चाहिए, अन्य किसी को यह सम्मान नहीं मिलना चाहिए.

इसके साथ ही भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार का काम सब कुछ बंद करने का हो गया है. वहीं, कांग्रेस सदस्य संजय रतन ने विधेयक को निरस्त करने का समर्थन किया.

2019 में जयराम सरकार ने शुरू की थी लोकतंत्र प्रहरी सम्मान योजना: बता दें कि पूर्व की जयराम सरकार ने साल 2019 में लोकतंत्र प्रहरी सम्मान योजना को शुरू किया था. जिसके तहत वर्ष 1975 से 1977 तक देश में आपातकाल के दौरान जेल में रहे लोकतंत्र प्रहरियों को 12 से 20 हजार रुपए की पेंशन दी जा रही थी. 15 दिन जेल में रहे नेताओं को 12 हजार और इससे ज्यादा दिनों तक जेल में रहने वाले नेताओं को 20 हजार पेंशन दी जा रही थी.

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Last Updated :Apr 3, 2023, 8:14 PM IST
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