ETV Bharat / bharat

चुनावों के दौरान मुफ्त वाली योजनाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई

author img

By

Published : Aug 17, 2022, 10:25 AM IST

Updated : Aug 17, 2022, 1:11 PM IST

Hearing in the Supreme Court on free schemes in elections today
चुनाव में मुफ्त योजनाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव के दौरान मुफ्त वाली योजनाओं की घोषणा किए जाने के मामले में सुनवाई सोमवार के लिए स्थगित कर दी.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक धन से मुफ्त उपहार बांटने के राजनीतिक दलों के वादों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई सोमवार के लिए स्थगित कर दी. शीर्ष अदालत ने पक्षों से शनिवार तक अपना सुझाव देने को कहा. साथ ही जनता के पैसे को सही तरीके से खर्च करने के विषय पर चिंता व्यक्त की. सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त को कहा था कि चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देने का वादा करना और बांटना एक गंभीर मुद्दा है. बुनियादी ढांचे आदि पर एक राशि खर्च की जानी है.

शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें चुनाव चिन्हों को जब्त करने और सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त उपहार बांटने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई है. पिछली सुनवाई में सरकार ने कोर्ट में अपनी दलील पेश की थी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर विशेषज्ञों की समित बनाने की बात कही थी. कोर्ट ने कहा था कि समिति में वित्त आयोग, नीति आयोग, रिजर्व बैंक, लॉ कमीशन, राजनीतिक पार्टियों समेत दूसरे पक्षों के प्रतिनिधि भी होने चाहिए.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुफ्त की सौगातें और सामाजिक कल्याणकारी योजनाएं दो अलग-अलग चीजें हैं तथा अर्थव्यवस्था को पैसे के नुकसान एवं कल्याणकारी कदमों के बीच संतुलन कायम करना होगा. इसके साथ ही कोर्ट ने मुफ्त सौगात देने का वादा करने के लिए राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने की संभावना से भी इनकार किया. शीर्ष अदालत ने विभिन्न पक्षों को 17 अगस्त से पहले इस पहलू पर सुझाव देने को कहा है.

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एन. वी. रमणा और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि चुनाव के दौरान तर्कहीन मुफ्त सौगात देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने का विचार अलोकतांत्रिक है. पीठ की ओर से प्रधान न्यायाधीश रमण ने कहा, 'मैं किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने के विषय में नहीं जाना चाहता क्योंकि यह एक अलोकतांत्रिक विचार है... आखिरकार हमारे यहां लोकतंत्र है.' उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान तर्कहीन मुफ्त सौगात देने का वादा एक 'गंभीर मुद्दा' है, लेकिन वह इस संबंध में वैधानिक स्थिति स्पष्ट नहीं होने पर भी विधायी क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करेंगे. पीठ ने कहा, 'आप मुझे अनिच्छुक या परंपरावादी कह सकते हैं लेकिन मैं विधायी क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं करना चाहता... मैं रूढ़िवादी हूं. मैं विधायिका से जुड़े क्षेत्रों में अतिक्रमण नहीं करना चाहता. यह एक गंभीर विषय है. यह कोई आसान बात नहीं है. हमें दूसरों को भी सुनने दें.'

ये भी पढ़ें- द्रमुक ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, असमानता को कम करने वाली योजनाओं को मुफ्त नहीं माना जा सकता

प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना ने कहा कि वरिष्ठ वकीलों की ओर से कुछ सुझाव दिए गए हैं. उन्होंने शेष पक्षों से उनकी सेवानिवृत्ति से पहले आवश्यक कदम उठाने को कहा और मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की. उन्होंने कहा, 'मुफ्त सौगात और समाज कल्याण योजना भिन्न हैं... अर्थव्यवस्था को पैसे का नुकसान और लोगों का कल्याण- दोनों के बीच संतुलन कायम करना होगा और इसीलिए यह बहस है. कोई एक तो ऐसा होना चाहिए जो अपनी दृष्टि और विचार सामने रख सके. कृपया मेरी सेवानिवृत्ति से पहले कुछ सुझाव सौंपे.'

सर्वोच्च अदालत वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. इस याचिका में चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सौगातों का वादा करने के चलन का विरोध किया गया है और निर्वाचन आयोग से उनके चुनाव चिह्नों पर रोक लगाने तथा उनका पंजीकरण रद्द करने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करने का अनुरोध किया गया है. उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह की दलीलों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा, 'यह एक गंभीर मुद्दा है और जिन्हें (मुफ्त सौगात मिल रही हैं) वे इसे चाहते हैं. हमारा एक कल्याणकारी राज्य है. कुछ लोग कह सकते हैं कि वे कर का भुगतान कर रहे हैं और इसका उपयोग विकास कार्यक्रमों के लिए किया जाना है. इसलिए समिति को दोनों पक्षों को सुनना चाहिए.'

ये भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, किसी भी महिला कर्मी को मातृत्व अवकाश से वंचित नहीं किया जा सकता

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'हाल में कुछ राजनीतिक दलों ने मुफ्त सौगातों के वितरण को एक कला के स्तर तक बढ़ा दिया है. चुनाव इसी आधार पर लड़े जाते हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के चुनावी परिदृश्य में कुछ दल समझते हैं कि चीजों का मुफ्त वितरण ही समाज के लिए 'कल्याणकारी उपायों' का एकमात्र तरीका है. यह समझ पूरी तरह से अवैज्ञानिक है और इससे गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति बनेगी.' शीर्ष विधि अधिकारी ने 'संकटग्रस्त' बिजली क्षेत्र का उदाहरण दिया और कहा कि कई बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियां पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) हैं और वे वित्तीय संकट में हैं.

Last Updated :Aug 17, 2022, 1:11 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.