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Haridwar Dharam Sansad: दो और संतों के नाम FIR में जोड़े गए

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Published : Jan 1, 2022, 5:53 PM IST

हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामले (Haridwar Dharam Sansad hate speech) में 23 दिसंबर को जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (वसीम रिजवी) के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. जिसके बाद 25 दिसंबर को इसमें दो और लोगों महामंडलेश्वर धरमदास और महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती के नाम जोड़े गए थे. वहीं, शनिवार को वायरल वीडियो क्लिप के आधार पर सागर सिंधु महाराज और यति नरसिंहानंद गिरि के नाम भी एफआईआर में जोड़े गए हैं.

Haridwar Hate Speech case
हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामला

हरिद्वार : धर्मनगरी हरिद्वार में पिछले दिनों आयोजित धर्म संसद में विवादित बयान को लेकर उत्तराखंड पुलिस ने वायरल वीडियो क्लिप के आधार एफआईआर में दो और संतों के नाम जोड़ हैं. अमर्यादित भाषा और अभद्र टिप्पणी (Haridwar Dharam Sansad hate speech) को लेकर पुलिस ने सागर सिंधु महाराज और यति नरसिंहानंद गिरि का नाम हेट स्पीच मामले में जोड़ा है.

बता दें कि हरिद्वार में आयोजित तीन दिवसीय धर्म संसद (dharm sansad haridwar) में धर्म विशेष के लोगों पर अभद्र टिप्पणी की गई थी. जिसके बाद हरिद्वार नगर कोतवाली में गुलबहार खान की तहरीर पर पुलिस ने जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (वसीम रिजवी), महामंडलेश्वर धरमदास और महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती के नाम केस दर्ज किया था. जिसके बाद पुलिस ने अब वायरल वीडियो क्लिप के आधार पर सागर सिंधु महाराज और यति नरसिंहानंद गिरि का नाम भी एफआईआर में जोड़ दिया है.

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एसपी सिटी शेखर सुयाल ने बताया कि 23 दिसंबर को जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (वसीम रिजवी) के खिलाफ हेट स्पीच को लेकर एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. जिसके बाद 25 दिसंबर को इसमें दो और लोगों महामंडलेश्वर धरमदास और महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती के नाम जोड़े गए थे. वहीं, आज वायरल वीडियो क्लिप के आधार पर दो अन्य सागर सिंधु महाराज और यति नरसिंहानंद गिरि के नाम भी एफआईआर में जोड़े गए हैं.

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एसपी सिटी सुयाल ने कहा कि हरिद्वार पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है. पुलिस को वीडियो के तौर पर जो साक्ष्य मिलते जा रहे हैं. उनके आधार पर पुलिस एफआईआर में नाम बढ़ाती जा रही है. पुलिस ने इन संतों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

क्या कहती है IPC की धारा 153ए: आईपीसी की धारा 153 ए उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं. 153 (ए) के तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. अगर ये अपराध किसी धार्मिक स्थल पर किया जाए तो 5 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है.

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