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Gyanvapi की सभी याचिकाओं का हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने स्वतः लिया संज्ञान, खुद शुरू की सुनवाई

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 28, 2023, 5:20 PM IST

Updated : Aug 28, 2023, 7:17 PM IST

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ज्ञानवापी से जुड़े पांच मामलों की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में चल रही है. मुख्य न्यायाधीश (Allahabad High Court Chief Justice) प्रीतिंकर दिवाकर (Pritinkar Diwaka) ने अपनी वैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए सभी याचिकाएं मंगा लीं और सुनवाई शुरू की. आज की सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस ने अगली तारीख 12 सितंबर की तय की है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व को लेकर वाराणसी की अदालत में विचाराधीन दीवानी मुकदमा सुनवाई योग्य है या नहीं, इसे लेकर दाखिल अंजुमन इंतजामिया कमेटी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिकाओं की फिर से सुनवाई शुरू की. मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 12 सितंबर की तारीख लगाई है.

इससे पहले न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया की कोर्ट में 75 दिन तक लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया था. सोमवार को फैसले की तारीख थी लेकिन, अपनी वैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने 16 अगस्त को याचिकाएं मंगा लीं और सोमवार को सुनवाई शुरू की. सुनवाई शुरू होते ही चीफ जस्टिस ने अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी से इस मामले में सरकार का पक्ष स्पष्ट करने को कहा.

अपर महाधिवक्ता ने कहा कि दीवानी मुकदमे में सरकार पक्षकार नहीं है. लेकिन, हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं में सरकार को पक्षकार बनाया गया है. सरकार पर केवल कानून व्यवस्था बरकरार रखने की जिम्मेदारी है. दीवानी विवाद से उसका कोई सरोकार नहीं है. इसके बाद इंतजामिया कमेटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने अमर सिंह केस में पूर्ण पीठ के फैसले का हवाला दिया.

मुस्लिम पक्ष ने जताई आपत्तिः कहा कि इस मामले में 75 दिन बहस चली. तीन बार निर्णय के लिए तारीख लगाई गई और आज निर्णय आने से पहले पता चला कि फिर से सुनवाई होगी. उन्होंने कहा कि पार्ट हर्ड केस को सामान्यतया स्थानांतरित नहीं किया जाता. लेकिन, उन्होंने मुख्य न्यायाधीश के केस की सुनवाई के अधिकार को स्वीकार भी किया और कहा कि वह आपत्ति नहीं कर रहे हैं, कोर्ट के समक्ष केवल विधिक स्थिति रख रहे हैं.

चीफ जस्टिस की टिप्पणीः इस पर कोर्ट ने कहा कि कई बार फैसले की तारीख लगी लेकिन, केस निस्तारित नहीं हो सका. मुख्य न्यायाधीश को केस तय करने के लिए दूसरी पीठ को नामित करने या सुनवाई करने का अधिकार है. मुख्य न्यायाधीश ने मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी व अजय सिंह और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता से विवाद के संबंध में जानकारी ली. केंद्र सरकार की भी भूमिका के संदर्भ में जानकारी ली.

हाईकोर्ट में किस मामले को दी गई है चुनौतीः वरिष्ठ अधिवक्ता नकवी ने कोर्ट को बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट व मसाजिद कमेटी के बीच कोई विवाद नहीं है. प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत वाराणसी की अदालत में दाखिल सिविल वाद की ग्राह्यता पर याचियों की सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत दाखिल आपत्ति निरस्त करने की वैधता को चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट ने परिसर का सर्वे करने के अधीनस्थ अदालत के आदेश पर रोक लगा रखी है.

ज्ञानवापी की याचिकाओं में हाईकोर्ट को क्या तय करना हैः इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही थी. इनमें से तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किए गए केस की पोषणीयता से संबंधित हैं. दो अर्जियां एएसआई के सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ हैं. 1991 के मुकदमे में विवादित परिसर हिंदुओं को सौंपे जाने और वहां पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी. हाईकोर्ट को मुख्य रूप से यही तय करना है कि वाराणसी की अदालत इस मुकदमे को सुन सकती है या नहीं.

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Last Updated :Aug 28, 2023, 7:17 PM IST
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