ETV Bharat / bharat

Anand Mohan Released : 'मुझे जरूर न्याय मिलेगा'.. जी कृष्णैया की पत्नी बोलीं- 'SC पर भरोसा है'

author img

By

Published : May 2, 2023, 5:28 PM IST

Anand Mohan Singh News दिवंगत पूर्व आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने न्यायपालिका पर भरोसा जताया है. आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ याचिका पर उमा देवी ने कहा है सुप्रीम कोर्ट पर उन्हें भरोसा है और उनकी याचिका पर सुनवाई होगी, यह एक अच्छा संकेत है. पढ़ें पूरी खबर

Etv Bharat
Etv Bharat

पटना/हैदराबाद: बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ IAS अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 8 मई को सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने कहा है कि 'मुझे जरूर न्याय मिलेगा'. दरअसल, जी कृष्णैया की हत्या के दोषी बिहार के सहरसा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन को बिहार सरकार ने 27 अप्रैल को रिहा कर दिया, जिसके खिलाफ जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

''ये एक अच्छा संकेत हैं. सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने की अनुमति दे दी है. मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है. मुझे जरूर न्याय मिलेगा.'' - उमा देवी (दिवंगत आईएएस जी कृष्णैया की पत्नी), हैदराबाद

  • #WATCH ये एक अच्छा संकेत हैं, उन्होंने(सुप्रीम कोर्ट) कोर्ट में केस लड़ने की अनुमति दे दी है। मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है, वे जरूर इस केस में न्याय करेंगे: उमा देवी द्वारा पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका पर उमा देवी (दिवंगत आईएएस… pic.twitter.com/k30q1ICRD0

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) May 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

8 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई : बता दें कि बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दिवंगत आईएएस जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. अब इस केस की सुनवाई 8 मई को होगी. दरअसल, याचिका में उमा देवी ने सवाल उठाया है कि आखिर बाहुबली को जब आजीवन कारावास की सजा हुई तो समय से पहले उनकी रिहाई कैसे हुई?. ऐसे में आनंद मोहन को फिर से जेल भेजा जाय.

इसलिए छूट के योग्य नहीं आनंद मोहन : याचिका में कहा गया है कि बिहार जेल नियमावली (2012) 481(1)(सी) के मुताबिक, यह प्रावधान है कि जिन दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदला गया है, उन्हें 20 साल की सजा पूर्ण करनी होगी और उसके बाद छूट के हकदार होंगे. लेकिन आनंद मोहन के मामले में ऐसा नहीं हुआ. निचली अदालत ने उन्हें (आनंद मोहन) को 5 अक्टूबर, 2007 को मौत की सजा सुनाई थी. बाद में पटना हाईकोर्ट ने सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था. दोषी आनंद मोहन 14 साल तक जेल में रहे, उन्होंने 20 साल की सजा पूरी नहीं की. ऐसे में वे बिहार जेल नियमावली (2012) 481(1)(सी) के तहत छूट के हकदार नहीं है.

क्या आनंद मोहन की रिहाई सही? : वहीं इस मामले में पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभात भारद्वाज का कहना है कि बिहार सरकार का कानूनी पक्ष मजबूत है. हालांकि याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, ऐसे में अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला लेता है. उन्होंने ये अभी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि है.

''आनंद मोहन की रिहाई की प्रक्रिया साल 2021 में शुरू हुई थी. इस केस में सहरसा से तत्कालीन एसपी से उनकी राय पूछी गई थी. जिसके बाद तत्कालीन एसपी ने यह लिखकर सरकार को दिया था कि इनकी रिहाई से समाज पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. सहरसा कोर्ट से भी इसी तरह का आदेश आया. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले को आनंद मोहन की रिहाई से समाज पर पड़ने वाला प्रभाव के एंगल से देखकर आदेश दे सकता है.'' - वरिष्ठ अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट

1994 में हुई थी जी कृष्णैया की हत्या : बता दें कि, 5 दिसंबर 1994 को गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या कर दी गई थी. बताया जाता है कि कृष्णैया मुजफ्फरपुर से गुजर रहे थे. उस दिन एक गैंगस्टर की शव यात्रा में काफी भी़ड़ उमड़ी थी और इसी दौरान वहा से गुजर रहे कृष्णैया को भीड़ ने पीटपीट कर मार डाला. उन्हें गोली भी मारी गई थी. इस मामले में बाहुबली पर आरोप था उन्होंने ने ही भीड़ को उकसाया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.