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Manipur Violence Updates : यूएन पहुंचा मणिपुर हिंसा मसला, 15 संगठनों ने राज्य के हालात पर संयुक्त राष्ट्र को भेजा ज्ञापन

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Published : Jun 15, 2023, 6:56 AM IST

मणिपुर में पंद्रह अलग-अलग संगठनों ने राज्य में जारी हिंसा को लेकर संयुक्त राष्ट्र को एक ज्ञापन भेजा है वे कई मुद्दों का जिक्र कर संयुक्त राष्ट्र का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर..

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तेजपुर : मणिपुर में हिंसा को लेकर 15 विभिन्न संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों को संयुक्त रूप से एक ज्ञापन भेजा है. ज्ञापन भेजने वाले संगठनों में ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब ऑर्गनाइजेशन (AMUCO), मानवाधिकार समिति (COHR), नेशनल रिसर्च सेंटर (NRC), परी लीमारल मीरा पैबी अपुनबा लूप मणिपुर (PLMPAM), इंडिजिनस फोरम (IPF), इराबोट फाउंडेशन मणिपुर (IFM), सदाओ मणिपुर जातीय सामाजिक सांस्कृतिक संगठन (AMESCO), ऑल मणिपुर मीटी पंगल क्लब ऑर्गनाइजेशन (AMMPCO), मणिपुर इंटरनेशनल यूथ सेंटर (MIYC), पंगल स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (PSO), ऑल मणिपुर वीमेन वालंटियर्स एसोसिएशन (AMAWOVA), मणिपुर स्टूडेंट्स फेडरेशन (MSF) ), सेंटर फॉर रिसर्च एंड एडवोकेसी मणिपुर (सीआरएम), यूथ्स फाउंडेशन फॉर फिटनेस एंड सर्विस मणिपुर (वाईओएफएस) और ऑल मणिपुर मैनपावर अपलिफ्टमेंट सेंटर (एएमएमयूसी), यूएन डिपार्टमेंट ऑफ सिविल सोसाइटी, एमनेस्टी इंटरनेशनल और आईसीआरसी, इंडिया चैप्टर (8) यूएनओडीसी, एशिया टू शामिल है. इन संगठनों ने मणिपुर की वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए यह ज्ञापन दिया है.

Manipur Violence Updates
संगठनों के द्वारा जारी किया गया ज्ञापन.

कुकी उग्रवादियों पर नियमों के उल्लंघन का आरोप
इस ज्ञापन में गरीबी, सैन्यीकरण, भारत के केंद्रीय सुरक्षा बलों की भूमिका और कुकी उग्रवादियों द्वारा ऑपरेशन ग्राउंड नियमों के लगातार उल्लंघन जैसे मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया है. ज्ञापन में मणिपुर में सांप्रदायिक संघर्ष में कारण विदेशी चिन-कूकी-मिज़ो (म्यांमार) भाड़े के सैनिकों की भागीदारी और मणिपुर और पूरे उत्तर पूर्व में अंतर-सांप्रदायिक संबंधों और यहां की शांति पर इसके असर को भी संदर्भित करता है.

यूएन से हस्तक्षेप की मांग
ज्ञापन में मांग की गई है कि यूएन स्थापित अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के अनुसार हस्तक्षेप करे. ज्ञापन के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र का ध्यान कुकी उग्रवादियों द्वारा नाकेबंदी के माध्यम से मानव अधिकारों के उल्लंघन और जीवन में व्यवधान की ओर आकर्षित करने की कोशिश की गई है. ज्ञापन में कहा गया है कि जनजातीय एकता समिति (COTU), कुकी छात्र संगठन (KSO) और स्वदेशी जनजातीय नेता फोरम (ITLF) ने हाइवे को अवरुद्ध कर लोगों की मुक्त आवाजाही को प्रतिबंधित किया है.

मणिपुर में गरीबी और अकाल की स्थिति
इसके साथ ही आवश्यक वस्तुओं के परिवहन को भी रोका गया है. जो कि अमानवीय है. ज्ञापन में कहा गया कि इस कारण से लोगों की मौतें हो रही हैं और यह एक नरसंहार है. क्योंकि इन संगठनों की गतिविधियों के कारण मणिपुर में बड़े पैमाने पर मुद्रास्फीति, गरीबी और अकाल की स्थिति पैदा हो गई है. ज्ञापन में उत्तर पूर्व और भारत-म्यांमार सीमा और इसके व्यापक वित्तीय नेटवर्क में सामाजिक और राजनीतिक जीवन पर ड्रग्स के प्रभाव को भी संयुक्त राष्ट्र के समक्ष उठाया गया है.

जलेनोगम प्रोजेक्ट का मणिपुर पर पड़ रहा असर
वर्तमान जातीय संघर्ष के प्रकोप की व्याख्या करते हुए, ज्ञापन में कहा गया है कि यह इस क्षेत्र में अंतर-जातीय संबंधों को लगातार विकृत कर रहा है. बता दें कि तर्क दिया गया है उग्रवादियों द्वारा ग्रेटर चिन-कुकी होमलैंड की मांग की जा रही है. जिसे जलेनोगम प्रोजेक्ट भी कहा जाता है. इसने चुनावी राजनीति और सत्ता के संस्थानों में आसानी से घुसपैठ कर ली है.

मानव तस्करी, अफीम की खेती, वनों की कटाई मणिपुर के मुद्दे
ज्ञापन में कहा गया है कि सीमा पार गैर राजनयिक आर्थिक गतिविधियां, मानव तस्करी, अफीम की खेती, वनों की कटाई, अवैध आप्रवासन, पर्यावरण संबंधी मुद्दों और अंतरिक्ष राजनीति जैसे मुद्दे भी इस समस्या से जुड़े हुए हैं. याचिका में संयुक्त राष्ट्र से मणिपुर की ऐतिहासिक लोकतांत्रिक और बहुलवादी निकाय राजनीति को समझने का आग्रह किया गया है. संयुक्त राष्ट्र से मणिपुर की ऐतिहासिक रूप से अलग लोकतांत्रिक और बहुदलीय राजनीति को समझने का आग्रह किया गया है.

लोकतांत्रिक भागीदारी के बारे में ज्ञापन में दी जानकारी
मणिपुर के एक स्वतंत्र संवैधानिक और आधुनिक राज्य के निर्माण की प्रक्रिया में नागा, मैतेई, कुकी और पंगल (मणिपुरी मुस्लिम) की लोकतांत्रिक भागीदारी के बारे में ज्ञापन में जानकारी दी गई है. ज्ञापन में बताया गया है कि मणिपुर की 3-4% घाटी में राज्य की लगभग 60% आबादी रहती है जिसके लिए लोकतांत्रिक और निष्पक्ष भूमि कानूनों की आवश्यकता है.

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रेड क्रॉस और मीडिया की पहुंच हो सुनिश्चित
15 संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र से राष्ट्रीय राजमार्गों पर लोगों की मुक्त आवाजाही और भोजन सहित आवश्यक वस्तुओं के परिवहन को सुनिश्चित करने और कुकी उग्रवादी बहुल क्षेत्रों में रेड क्रॉस (भारत) सेवाओं और मीडिया की पहुंच सुनिश्चित करने का आह्वान किया. ज्ञापन में नार्को कार्टेल के संगठित हिंसक नेटवर्क के प्रसार, छोटे हथियारों के व्यापार और मणिपुर में युवाओं और जातीय सद्भाव पर इसके दीर्घकालिक प्रभाव की जांच करने का भी आह्वान किया गया है. 15 सामुदायिक संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र और आईसीआरसी से पुनर्वास और संघर्ष के कारण हुए नुकसान और नुकसान के मुआवजे के लिए अपना समर्थन बढ़ाने का भी आह्वान किया है.

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