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आंदोलन का 79वां दिन : टिकैत बोले- समझौते पर पहुंचने तक प्रदर्शनकारी किसान घर नहीं लौटेंगे

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Published : Feb 13, 2021, 6:49 AM IST

Updated : Feb 13, 2021, 8:59 PM IST

farmers protest
किसान आंदोलन

20:56 February 13

हरियाणा: सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का अधिकार नहीं: मनोहर लाल

  • किसान आंदोलन पर भी चर्चा हुई है... किसी को भी सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करने का अधिकार नहीं है, हम इससे संबंधित क़ानून लेकर आ रहे हैं: हरियाणा CM मनोहर लाल खट्टर, गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात पर pic.twitter.com/JpiyvuNXa9

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) February 13, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सीएम मनोहर लाल खट्टर ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कहा कि किसान आंदोलन पर भी चर्चा हुई है. किसी को भी सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करने का अधिकार नहीं है, हम इससे संबंधित क़ानून लेकर आ रहे हैं.

19:17 February 13

भिवानी: हरियाणा के कृषि मंत्री ने जान गंवाने वाले किसानों पर किया व्यंग्य

हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को लेकर बड़ा बयान दिया है. कृषि मंत्री ने आंदोलन में मरे किसानों को स्वेच्छा से मरने की बात कह कर मजाकिया लहजे में संवेदना दी और कहा कि ये किसान घर होते तो भी मरते. 

'यहां नहीं तो घर पर मरते'

कृषि मंत्री यहीं नहीं रुके उन्होंने अपने बयान पर तर्क दिया कि जहां लाख-दो लाख किसान एकत्रित हो, उनमे 200 किसानों की मृत्य औसतन तौर पर हो जाती है. बता दें कि कृषि मंत्री जेपी दलाल भिवानी के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में मीडिया से बात कर रहे थे. 

किसान आंदोलन के नेताओं पर दलाल का बयान

किसान आंदोलन में मरे 200 से ज्यादा किसानों की मौत पर आपत्तिजनक बयान देते हुए दलाल ने कहा कि ये किसान स्वेच्छा से मरे हैं. साथ ही उन्होंने मजाकिया लहजे में मृतक किसानों को हंसते हुए संवेदना व्यक्त की. जेपी दलाल इस दौरान ग़ुस्से में दिखे और उन्होंने कहा कि यूपी की तर्ज पर हरियाणा में भी उपद्रवियों से नुकसान की भरपाई का कानून बनना चाहिए. 

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इसके साथ ही जेपी दलाल ने किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले नेताओं पर प्रहार करते हुए उन्हें सड़क छाप नेता की उपाधि दी. उन्होंने कहा कि हरियाणा के किसानों को कम से कम अपने राज्य के व्यक्ति को किसान आंदोलन के नेतृत्व के लिए चुनना चाहिए. 

19:16 February 13

राकेश टिकैत बोले- संयुक्त किसान मोर्चा पूरी तरह से एकजुट

  • संयुक्त किसान मोर्चा पूरी तरह से एकजुट है। 23 फरवरी तक के कार्यक्रम निर्धारित हैं, जिन पर हम काम कर रहे हैं। आंदोलन पूरी मजबूती से चलता रहेगा, हम अपनी रणनीति बना रहे हैं। किसानों को हताश होने की जरूरत नहीं है: किसान नेता राकेश टिकैत#FarmersProtest pic.twitter.com/l4SZ5EMvv3

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) February 13, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

संयुक्त किसान मोर्चा पूरी तरह से एकजुट है. 23 फरवरी तक के कार्यक्रम निर्धारित हैं, जिन पर हम काम कर रहे हैं. आंदोलन पूरी मजबूती से चलता रहेगा, हम अपनी रणनीति बना रहे हैं. किसानों को हताश होने की जरूरत नहीं है. 

18:27 February 13

नई दिल्ली: महात्मा गांधी की पोती तारा गांधी पहुंची गाजीपुर बॉर्डर

गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं का आना लगातार जारी है. इसी कड़ी में शनिवार को महात्मा गांधी की पोती तारा गांधी गाजीपुर बॉर्डर जा पहुंची.

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को 80 दिन पूरे हो गये हैं. पिछले 80 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. इन 80 दिनों में किसान आंदोलन को खत्म करने साथ ही समस्या का हल निकालने की सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हुईं. किसान घर वापसी के लिए तैयार नहीं हैं.  

लोकसभा में आज वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने कृषि कानूनों पर कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस ने भ्रम फैलाया है. राहुल गांधी को बताना चाहिए कि वो कानून में किस बात का विरोध कर रहे हैं.

18:25 February 13

झज्जर: अलग-अलग बयान दे रहे टिकैत और चढूनी

अलग-अलग बयान दे रहे टिकैत और चढूनी

किसान नेता राकेश टिकैत लगातार किसान महापंचायत हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों में भी कर रहे हैं, लेकिन टिकैत सबसे ज्यादा एक्टिव हरियाणा में दिख रहे हैं. वैसे तो हरियाणा में किसान आंदोलन की बागडोर किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी के हाथों में थी और यूपी की राकेश टिकैत के हाथ में, लेकिन चढूनी के हाथों से हरियाणा की बागडोर धीरे-धीरे खिसकती जा रही है. अब हरियाणा में राकेश टिकैत का कद लगातार बढ़ रहा है.  

यही कारण है कि चढूनी और टिकैत में दूरी बढ़ती जा रही है. इसकी बानगी देखने को मिली है बहादुरगढ़ में हुई महापंचायत में. इस महापंचायत में गुरनाम सिंह चढूनी और किसान नेता राकेश टिकैत के अलावा दर्शन पाल और तमाम नेता मौजूद थे, लेकिन इस दौरान कुछ ऐसा देखा गया कि मंच पर ना तो किसान नेताओं की आपस में नजरें मिली और ना ही विचार मिले.  

मीडिया से बात करते हुए भी चढूनी और टिकैत ने अलग-अलग बयान दिए. राकेश टिकैत अपने बयान में आंदोलन को 2 अक्टूबर तक ले जाने की बात करते नजर आए तो वहीं गुरनाम सिंह चन्नी ने बयान को पूरी तरह से निराधार करार देते हुए कहा कि ये बयान पूरी तरह से गलत है और ये संयुक्त किसान मोर्चा का बयान नहीं है.

चढूनी और टिकैत के अलग-अलग बयान

इतना ही नही चढूनी जहां हरियाणा सरकार को गिराने का बयान देते नजर आए तो वहीं टिकैत ने कहा कि सरकार गिरना उनका मकसद नहीं है. उनका लक्ष्य कानून रद्द करवाना है.

16:06 February 13

गाजियाबाद : स्थानीय निवासी भी किसान आंदोलन में शामिल

किसान आंदोलन में शामिल हुए स्थानीय निवासी

कृषि कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों को तकरीबन 80 दिन हो चुके हैं. किसान साफ कर चुके हैं कि जब तक कृषि कानूनों की वापसी नहीं होगी आंदोलन जारी रहेगा. तो वहीं दूसरी ओर गाजीपुर बॉर्डर से 200 मीटर की दूरी पर कुछ स्थानीय निवासी किसान आंदोलन के विरोध में सड़कों पर बैठ गए हैं. 

किसानों को सड़कों से हटाने की मांग

गाजियाबाद उत्थान समिति के बैनर तले किसान आंदोलन का विरोध कर रहे डॉ आशुतोष गुप्ता का कहना है कि हम कामकाजी लोग हैं. हमारे लिए हमारा रोजगार और देश सर्वोपरि है. वह किसानों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिस तरह आंदोलन के नाम पर तथाकथित किसानों ने गाजियाबाद और देश को बंधक बनाया हुआ है. उन लोगों को सड़कों से हटाया जाए. ताकि आंदोलन की वजह से घेरे गए रास्तों का इस्तेमाल अपने रोजगार पर आने-जाने के लिए कर सकें. इसके साथ उनका कहना है कि इस आंदोलन से पूरे देश की जनता परेशान है. डॉ आशुतोष गुप्ता का कहना है कि अगर किसानों को कृषि कानूनों से कोई दिक्कत थी तो जब यह कानून पास हुए तब इनका विरोध क्यों नहीं किया. अब कृषि कानून से फायदा लेने के बाद कुछ विदेशी ताकतें आंदोलन करवा रही हैं.

लगातार चल रहे आंदोलन से स्थानीय परेशान
किसान आंदोलन के विरोध में बैठी गाजियाबाद उत्थान सेवा समिति की सह संयोजिका कावेरी भदोरिया का कहना है कि जिस तरह किसान बीते कुछ दिनों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं, उसकी वजह से आम जनता बहुत परेशान है. किसानों के नाम पर मुट्ठी भर बहरूपीए बैठे हुए हैं. किसान आंदोलन की वजह से उनके परिवार के लोग रातों को लेट आते हैं, जिसकी उन्हें चिंता लगी रहती है.

12:01 February 13

किसानों को गुमराह कर रही कांग्रेस: वित्त मंत्री

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस क्यों पहले कृषि कानूनों का समर्थन करती थी और अब बदल गई. किसानों को इतना ज्ञान देने वाली कांग्रेस बहुत से राज्यों में चुनाव जीतने के लिए कहती थी कि हम कृषि लोन देंगे, लेकिन मध्य प्रदेश में यह लागू नहीं हुआ. कांग्रेस ने वोट लिया और किसानों को गुमराह किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस ने राजस्थान, मंध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में कर्ज माफी नहीं किया. उम्मीद थी कि कांग्रेस ने इस पर बयान देगी, लेकिन नहीं दिया. उम्मीद थी कि कांग्रेस पराली के विषय पर पंजाब में कांग्रेस सरकार द्वारा किसानों को कुछ राहत दिलाएगी मगर ये भी नहीं किया

11:58 February 13

निर्मला बोलीं- राज्यों को दे रहे फंड

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उम्मीद थी की हमारे तीन कानूनों में से कम से कम एक बिंदु निकालकर वे बोलें कि इसकी वजह से किसानों को नुकसान होगा मगर यह भी नहीं हुआ. कांग्रेस बोल सकती थी कि हम दो हमारे दो में दामाद को आदेश देकर आए हैं कि जमीन वापस करो लेकिन वह भी नहीं किया. तीनों कृषि कानून आने के बाद APMC देश भर में कहीं भी बंद हुआ है क्या? कहीं भी बंद नहीं हुआ। मैं पूछ रही हूं कि यह साबित करें कि कहीं भी अगर एक भी APMC मंडी बंद हुई हो. हम APMC का ढांचा बढ़ाने के लिए राज्यों को फंड भी दे रहे हैं

06:34 February 13

किसान आंदोलन लाइव अपडेट-

नई दिल्ली : केंद्र सरकार के द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान डटे हुए हैं. आज आंदोलन 79वें दिन में प्रवेश कर चुका है. दिल्ली से लगती हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर डटे किसान कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, सरकार की ओर से कहा गया है कि कानून में जरूरी संशोधन किए जाएंगे. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपने वक्तव्य के दौरान इन कानूनों को लेकर विपक्ष को आड़े हाथों लिया था और आंदोलन में शामिल कथित आपत्तिजनक तत्वों को आंदोलनजीवी करार दिया था.

भारतीय किसान युनियन के नेता राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में किसान नेताओं की बैठक करने के कार्यक्रम का खुलासा करते हुये कहा कि केंद्र सरकार जब तक किसानों के साथ किसी समझौते पर नहीं पहुंच जाती है तब तक दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसान घर नहीं लौटेंगे.

टिकैत की यह टिप्पणी उनके पहले के बयानों से अलग है जिसमें उन्होंने कहा था कि जब तक कानून वापस नहीं लिये जाते हैं तब तक घर वापसी नहीं होगी. यह तत्काल स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या यह उनके रूख में किसी तरह के बदलाव को दर्शाता है.

सरकार किसान संगठनों से कहती आ रही है कि वह इन कानूनों को पूरी तरह वापस लेने की बजाये किसी दूसरे विकल्प पर विचार करें.

उन्होंने कहा कि सरकार को किसान संगठनों के साथ बातचीत करनी होगी.

टीकरी सीमा दलाल खाप 84 की ओर से आयोजित महापंचायत को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा, यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक केंद्र सरकार कमेटी से बातचीत कर किसी समझौते पर नहीं पहुंच जाती है.

दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर पुलिसकर्मी को पीटा गया

 दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर शुक्रवार को कथित तौर पर कुछ लोगों ने एक पुलिसकर्मी को पीट दिया जो वहां लापता किसानों के पोस्टर लगाने गया था.

अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि जितेंद्र राणा नामक पुलिसकर्मी नांगलोई थाने में तैनात हैं.

उन्होंने कहा कि राणा को सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में चोट आई है.

इस संबंध में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी किसान लापता हो गए थे जिनके पोस्टर लगाने के लिए राणा टीकरी बॉर्डर गए थे.

अधिकारी ने कहा कि पुलिसकर्मी को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है और इस घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कर जांच की जा रही है.

Last Updated : Feb 13, 2021, 8:59 PM IST
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