किसान आंदोलन का 77वां दिन, टिकैत बोले- बिजली कनेक्शन दे सरकार, बिल भरेंगे
22:39 February 11
21:22 February 11
स्वर्ण सिंह पंढेर का बयान
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री ने किसान आंदोलन की पवित्रता का जिक्र किया और कहा कि कुछ लोग इस पवित्रता को आंदोलन में शामिल होकर खराब कर रहे हैं. इसका जवाब देते हुए किसान नेता स्वर्ण सिंह पंढेर ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान आंदोलन की पवित्रता का तो जिक्र करते हैं और कहते हैं कि कुछ लोग इसकी पवित्रता को खराब कर रहे हैं, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दे रहे है कि बीजेपी के ही लोग आंदोलन और किसानों पर पत्थर फेंक हमला कर रहे हैं.
किसानों पर पथराव करने वालों के चेहरे उजागर
नरेला और बवाना इलाके के दो बीजेपी के कार्यकर्ताओं का नाम लेकर स्वर्ण सिंह पंढेर ने कहा कि उन लोगों को पहचान भी लिया गया है. बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ उनके फोटो भी हैं. बावजूद इसके उनके ऊपर कार्रवाई नहीं की गई. श्रवण सिंह पंढेर ने कहा कि प्रधानमंत्री बातचीत को आगे बढ़ाना चाहते हैं और बिल पर चर्चा करना चाहते हैं. सरकार के साथ चर्चा काफी हो चुकी है. अब तो निर्णय होना है. खुद प्रधानमंत्री इस बिल को डेढ़ साल पर होल्ड की बात कह रहे हैं, इसका मतलब कहीं न कहीं, उसमें कमी है और खुद कह रहे हैं कि इसमें कोई कमी नहीं है. इसे लागू करने में मदद कीजिए. यदि कमी नहीं है तो उनसे कैसे बातचीत हो पाएगी. क्योंकि वह अपनी कानून की कमी मानेंगे ही नहीं तो कैसे बातचीत आगे बढ़ेगी.
'सरकार बनाए किसानों से बातचीत का माहौल'
इस पर श्रवण सिंह ने कहा कि बातचीत से पहले सरकार को माहौल भी बनाना चाहिए. किसानों के आगे और पीछे से गाड़ी जा रही है. किसानों के टॉयलेट की तरफ जाने के रास्ते बैटिंग कर के बंद कर दिए गए हैं. किसानों के पानी के रास्ते बंद कर दिए गए हैं. किसानों का बिजली पानी आदि बंद करके कैसे बातचीत की जा सकती है. पहले सरकार को सामान्य माहौल बनाना होगा. उसके बाद ही बातचीत आगे बढ़ पाएगी.
21:21 February 11
किसान आंदोलन में आधे से ज्यादा संगठन कम्युनिस्ट पार्टी के हैं: धनखड़
रोहतक : तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन चलते हुए 77 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं निकला है. ऐसे में समाधान खोजने की बजाए भाजपा के नेता विवादित बयान दे रहे हैं.
रोहतक पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि आंदोलन में आधे से ज्यादा संगठन कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित हैं जिन्होंने 1962 में भारत चीन के युद्ध के दौरान चीन का समर्थन किया था. यही नहीं उन्होंने कहा कि यह कानून किसी पर थोपे नहीं गए हैं, जिसका दिल करे वो ले और जिसका दिल करे वह छोड़ दे. धनखड़ आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में पहुंचे थे.
'चीन से व्यापार बंद से भारत का फायदा'
धनखड़ ने कहा कि कोरोना काल में जो व्यापार की चेन टूटी थी उसका सबसे बड़ा फायदा भारत को हुआ है. यह चीन के लिए सबसे बड़ा झटका है और चीन नहीं चाहता कि भारत तरक्की करें. किसान आंदोलन में जो जत्थे बन्दिया जुटी हुई हैं उनमें से आधे से ज्यादा कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित है, जिन्होंने 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान चीन का समर्थन किया था. साथ ही उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून किसी पर थोपे नहीं गए हैं.
ये पढ़ें- किसान आंदोलन का 77वां दिन, टिकैत बोले- बिजली कनेक्शन दे सरकार, बिल भरेंगे
'मर्जी से जो चाहे कानून को ले, वरना छोड़ दे'
ओपी धनखड़ ने कहा कि यह ऐच्छिक है और जिसका दिल करे वह यह कानून ले अन्यथा इन्हें छोड़ दे, यह इच्छा पर निर्भर करता है. साथ ही उन्होंने कहा कि वे कृषि कानूनों के बारे में समझाने के लिए जुटे हुए हैं और जल्द ही यह कानून समझ में भी आ जाएंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा और राज्यसभा में इसके लिए आश्वासन भी दिया है. कुछ लोग मिथ्या फैलाकर किसानों को भ्रमित करने में जुटे हुए हैं.
पढ़ें- किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- देशभर के किसान साथ, सरकार कानून वापस लें
18:17 February 11
सीकर : देश में चल रहे किसान आंदोलन के तहत अब सीकर में भी किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. सीकर की कृषि उपज मंडी में 23 फरवरी को किसान महापंचायत का ऐलान किया गया है. इस महापंचायत को किसान नेता राकेश टिकैत और कॉमरेड अमराराम संबोधित करेंगे.
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा ने इसको लेकर तैयारी भी शुरू कर दी है और लोगों से संपर्क साधना भी शुरू कर दिया है. किसान नेता कॉमरेड अमराराम ने शाहजहांपुर बॉर्डर से वीडियो जारी कर इसकी जानकारी दी है. किसान नेता किशन पारीक ने बताया कि सीकर में 23 फरवरी को कृषि उपज मंडी में विशाल किसान महापंचायत होगी, जिसके मुख्य वक्ता किसान नेता राकेश टिकैत और अमराराम होंगे.
पढ़ें- किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- देशभर के किसान साथ, सरकार कानून वापस लें
संयुक्त किसान मोर्चे की तरफ से इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है. 10 फरवरी से ही सीकर जिले में छोटे-छोटे गांव में भी किसानों की छोटी-छोटी पंचायत शुरू हो चुकी है. 13 फरवरी को भूमा सेवद बड़ी और अखेपुरा टोल पर किसान पंचायत होगी. 14 फरवरी को दूजोद और आसपुरा-अजीतगढ़ टोल पर किसान पंचायतों का आयोजन किया जाएगा.
इसके साथ-साथ जिले के टोल भी बंद हैं. कॉमरेड अमराराम ने शाहजहांपुर बॉर्डर से वीडियो जारी कर बताया कि राजस्थान में संयुक्त मोर्चा के बैनर तले अब किसान महापंचायतों की शुरुआत की गई है. सीकर में 23 फरवरी को होने वाले किसान महापंचायत में लाखों की संख्या में किसान जुटेंगे.
12:50 February 11
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- देशभर के किसान साथ, सरकार कानून वापस लें
अलवर : देश में चल रहा किसान आंदोलन लगातार रफ्तार पकड़ रहा है और मजबूत हो रहा है. किसान नेताओं की तरफ से लगातार सरकार को घेरने के प्रयास किए जा रहे हैं. किसानों ने अपना प्रदर्शन उग्र करने की योजना भी तैयार की है. किसान नेता राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में महापंचायत कर रहे हैं. राजस्थान में महापंचायत का सिलसिला शुरू हो चुका है. इसकी शुरुआत अलवर के लक्ष्मणगढ़ से की गई है. गुरुवार को लक्ष्मणगढ़ में पहली किसान महापंचायत की गई. इसमें किसान नेता राकेश टिकैत सहित अन्य किसान नेता पहुंचे.
अलवर जिले के दौरे पर आए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होते हैं, तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि सरकार उनकी संपत्ति का सही आकलन नहीं कर पाई है. उनके संपत्ति इससे और भी अधिक है.
उन्होंने कहा कि राजस्थान के किसानों को एकजुट करने के लिए वो राजस्थान दौरे पर आए हैं. इससे किसान आंदोलन को और गति मिल सकेगी. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसान आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन जब तक किसानों के हितों की रक्षा के लिए तीनों कानून वापस नहीं होंगे तब तक आंदोलन जारी रखेंगे.
'18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन की रणनीति चल रही है'
टिकैत ने कहा कि 18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन की रणनीति चल रही है. उसे कमेटी तय करेगी कि आगे अलग-अलग तरीके से आंदोलन किस रूप में किया जाए. राकेश टिकैत ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक सरकार नहीं आएगी तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा. सरकार की मंशा प्रदर्शन समाप्त करने की नहीं है, वो एक आम किसान की लड़ाई लड़ रहे हैं. राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश के किसानों को उनकी फसल का मूल्य नहीं मिलता है और किसान परेशान रहता है.
'चुनाव नहीं लड़ेंगे, किसान की लड़ाई लड़ रहे हैं'
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान साल भर मेहनत मजदूरी कर अपनी फसल पैदा करता है. कभी बारिश तो कभी ओले उसकी फसल को खराब करते हैं, जो फसल बचती है उस फसल का दाम किसान को नहीं मिलता है. टिकैत ने कहा कि सरकार ने दिल्ली में जो कील लगाए हैं, उन कील को निकाल कर जाएंगे. उन्होंने कहा कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे वो किसान की लड़ाई लड़ रहे हैं.
12:33 February 11
किसान आंदोलन लाइव
नई दिल्ली / गाजियाबाद : केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 77वां दिन है. किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हैं. किसानों का कहना है कि तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी से पहले वे दिल्ली की सीमाओं से हटने वाले नहीं हैं. इसी बीच राकेश टिकैत ने बताया कि गाजीपुर बॉर्डर पर किसान क्रांति पार्क बनाया जाएगा. इसकी शुरुआत हम कांटों के जवाब फूल लगाकर कर चुके हैं.
उन्होंने कहा कि इस पार्क में किसानी झंडा लगाया जाएगा. जल्द ही किसान क्रांति पार्क को मूर्त रूप दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि सरकार आंदोलन को लंबा करना चाहती है. किसानों ने भी उसी तरह से रणनीति तैयार कर ली है. बॉर्डर पर रणनीति के तहत आंदोलन चलाया जाएगा. जो किसान आंदोलन स्थल पर सोमवार को पहुंचेगा वह सोमवार को ही घर वापस जाएगा. इस प्रकार आंदोलनकारी आंदोलन पर भी नजर रख सकेंगे और अपने खेत पर भी. ऐसी स्थिति में जरूरत पड़ी तो आंदोलन अक्टूबर से आगे भी चलाया जा सकेगा.
बिजली कनेक्शन दे सरकार
टिकैत ने कहा कि गर्मी का मौसम आ रहा है. अब हमें यहां बड़े जेनरेटर लगाने पड़ेंगे और यदि सरकार नहीं चाहती कि यहां जनरेटर चलें तो वह हमें बॉर्डर के नाम से बिजली कनेक्शन दे, किसान बिजली का बिल भी देंगे. उन्होंने किसानों से यह भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति सप्ताह भर की रणनीति से आंदोलन में शामिल हो. किसान कार से नहीं ट्रैक्टर से आंदोलन में शरीक होने पहुंचे.
मंच के सामने भीड़ हुई कम
उन्होंने सरकार को चेताया कि यह आंदोलन अक्टूबर के बाद भी चल सकता है, सरकार भूल में है कि हम गर्मी में चले जाएंगे. गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे मंच के सामने भीड़ थोड़ी कम हुई है. किसान उसका कारण तेज धूप को बता रहे हैं. किसानों का कहना है कि आंदोलन स्थल पर लोग कम नहीं हुए हैं, मंच के सामने कम बैठ रहे हैं. दरअसल धूप तेज होने के कारण अधिकतर किसान अपने टेंट में ही रह रहे हैं.
22:39 February 11
राकेश टिकैत का बयान
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमारी आगे की रणनीति होगी कि अनाज को कम कीमत पर नहीं बिकने देंगे. जो एमएसपी है उस से कम पर खरीद नहीं होगी. किसान मोर्चें ने तय कर लिया है कि व्यापारी भूख पे कीमतें तय नहीं करेगा. आम जनता की अनाज और रोटी तिजोरी में बंद नहीं होगी.
21:22 February 11
स्वर्ण सिंह पंढेर का बयान
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री ने किसान आंदोलन की पवित्रता का जिक्र किया और कहा कि कुछ लोग इस पवित्रता को आंदोलन में शामिल होकर खराब कर रहे हैं. इसका जवाब देते हुए किसान नेता स्वर्ण सिंह पंढेर ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान आंदोलन की पवित्रता का तो जिक्र करते हैं और कहते हैं कि कुछ लोग इसकी पवित्रता को खराब कर रहे हैं, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दे रहे है कि बीजेपी के ही लोग आंदोलन और किसानों पर पत्थर फेंक हमला कर रहे हैं.
किसानों पर पथराव करने वालों के चेहरे उजागर
नरेला और बवाना इलाके के दो बीजेपी के कार्यकर्ताओं का नाम लेकर स्वर्ण सिंह पंढेर ने कहा कि उन लोगों को पहचान भी लिया गया है. बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ उनके फोटो भी हैं. बावजूद इसके उनके ऊपर कार्रवाई नहीं की गई. श्रवण सिंह पंढेर ने कहा कि प्रधानमंत्री बातचीत को आगे बढ़ाना चाहते हैं और बिल पर चर्चा करना चाहते हैं. सरकार के साथ चर्चा काफी हो चुकी है. अब तो निर्णय होना है. खुद प्रधानमंत्री इस बिल को डेढ़ साल पर होल्ड की बात कह रहे हैं, इसका मतलब कहीं न कहीं, उसमें कमी है और खुद कह रहे हैं कि इसमें कोई कमी नहीं है. इसे लागू करने में मदद कीजिए. यदि कमी नहीं है तो उनसे कैसे बातचीत हो पाएगी. क्योंकि वह अपनी कानून की कमी मानेंगे ही नहीं तो कैसे बातचीत आगे बढ़ेगी.
'सरकार बनाए किसानों से बातचीत का माहौल'
इस पर श्रवण सिंह ने कहा कि बातचीत से पहले सरकार को माहौल भी बनाना चाहिए. किसानों के आगे और पीछे से गाड़ी जा रही है. किसानों के टॉयलेट की तरफ जाने के रास्ते बैटिंग कर के बंद कर दिए गए हैं. किसानों के पानी के रास्ते बंद कर दिए गए हैं. किसानों का बिजली पानी आदि बंद करके कैसे बातचीत की जा सकती है. पहले सरकार को सामान्य माहौल बनाना होगा. उसके बाद ही बातचीत आगे बढ़ पाएगी.
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किसान आंदोलन में आधे से ज्यादा संगठन कम्युनिस्ट पार्टी के हैं: धनखड़
रोहतक : तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन चलते हुए 77 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं निकला है. ऐसे में समाधान खोजने की बजाए भाजपा के नेता विवादित बयान दे रहे हैं.
रोहतक पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि आंदोलन में आधे से ज्यादा संगठन कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित हैं जिन्होंने 1962 में भारत चीन के युद्ध के दौरान चीन का समर्थन किया था. यही नहीं उन्होंने कहा कि यह कानून किसी पर थोपे नहीं गए हैं, जिसका दिल करे वो ले और जिसका दिल करे वह छोड़ दे. धनखड़ आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में पहुंचे थे.
'चीन से व्यापार बंद से भारत का फायदा'
धनखड़ ने कहा कि कोरोना काल में जो व्यापार की चेन टूटी थी उसका सबसे बड़ा फायदा भारत को हुआ है. यह चीन के लिए सबसे बड़ा झटका है और चीन नहीं चाहता कि भारत तरक्की करें. किसान आंदोलन में जो जत्थे बन्दिया जुटी हुई हैं उनमें से आधे से ज्यादा कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित है, जिन्होंने 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान चीन का समर्थन किया था. साथ ही उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून किसी पर थोपे नहीं गए हैं.
ये पढ़ें- किसान आंदोलन का 77वां दिन, टिकैत बोले- बिजली कनेक्शन दे सरकार, बिल भरेंगे
'मर्जी से जो चाहे कानून को ले, वरना छोड़ दे'
ओपी धनखड़ ने कहा कि यह ऐच्छिक है और जिसका दिल करे वह यह कानून ले अन्यथा इन्हें छोड़ दे, यह इच्छा पर निर्भर करता है. साथ ही उन्होंने कहा कि वे कृषि कानूनों के बारे में समझाने के लिए जुटे हुए हैं और जल्द ही यह कानून समझ में भी आ जाएंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा और राज्यसभा में इसके लिए आश्वासन भी दिया है. कुछ लोग मिथ्या फैलाकर किसानों को भ्रमित करने में जुटे हुए हैं.
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18:17 February 11
सीकर : देश में चल रहे किसान आंदोलन के तहत अब सीकर में भी किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. सीकर की कृषि उपज मंडी में 23 फरवरी को किसान महापंचायत का ऐलान किया गया है. इस महापंचायत को किसान नेता राकेश टिकैत और कॉमरेड अमराराम संबोधित करेंगे.
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा ने इसको लेकर तैयारी भी शुरू कर दी है और लोगों से संपर्क साधना भी शुरू कर दिया है. किसान नेता कॉमरेड अमराराम ने शाहजहांपुर बॉर्डर से वीडियो जारी कर इसकी जानकारी दी है. किसान नेता किशन पारीक ने बताया कि सीकर में 23 फरवरी को कृषि उपज मंडी में विशाल किसान महापंचायत होगी, जिसके मुख्य वक्ता किसान नेता राकेश टिकैत और अमराराम होंगे.
पढ़ें- किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- देशभर के किसान साथ, सरकार कानून वापस लें
संयुक्त किसान मोर्चे की तरफ से इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है. 10 फरवरी से ही सीकर जिले में छोटे-छोटे गांव में भी किसानों की छोटी-छोटी पंचायत शुरू हो चुकी है. 13 फरवरी को भूमा सेवद बड़ी और अखेपुरा टोल पर किसान पंचायत होगी. 14 फरवरी को दूजोद और आसपुरा-अजीतगढ़ टोल पर किसान पंचायतों का आयोजन किया जाएगा.
इसके साथ-साथ जिले के टोल भी बंद हैं. कॉमरेड अमराराम ने शाहजहांपुर बॉर्डर से वीडियो जारी कर बताया कि राजस्थान में संयुक्त मोर्चा के बैनर तले अब किसान महापंचायतों की शुरुआत की गई है. सीकर में 23 फरवरी को होने वाले किसान महापंचायत में लाखों की संख्या में किसान जुटेंगे.
12:50 February 11
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- देशभर के किसान साथ, सरकार कानून वापस लें
अलवर : देश में चल रहा किसान आंदोलन लगातार रफ्तार पकड़ रहा है और मजबूत हो रहा है. किसान नेताओं की तरफ से लगातार सरकार को घेरने के प्रयास किए जा रहे हैं. किसानों ने अपना प्रदर्शन उग्र करने की योजना भी तैयार की है. किसान नेता राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में महापंचायत कर रहे हैं. राजस्थान में महापंचायत का सिलसिला शुरू हो चुका है. इसकी शुरुआत अलवर के लक्ष्मणगढ़ से की गई है. गुरुवार को लक्ष्मणगढ़ में पहली किसान महापंचायत की गई. इसमें किसान नेता राकेश टिकैत सहित अन्य किसान नेता पहुंचे.
अलवर जिले के दौरे पर आए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होते हैं, तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि सरकार उनकी संपत्ति का सही आकलन नहीं कर पाई है. उनके संपत्ति इससे और भी अधिक है.
उन्होंने कहा कि राजस्थान के किसानों को एकजुट करने के लिए वो राजस्थान दौरे पर आए हैं. इससे किसान आंदोलन को और गति मिल सकेगी. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसान आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन जब तक किसानों के हितों की रक्षा के लिए तीनों कानून वापस नहीं होंगे तब तक आंदोलन जारी रखेंगे.
'18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन की रणनीति चल रही है'
टिकैत ने कहा कि 18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन की रणनीति चल रही है. उसे कमेटी तय करेगी कि आगे अलग-अलग तरीके से आंदोलन किस रूप में किया जाए. राकेश टिकैत ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक सरकार नहीं आएगी तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा. सरकार की मंशा प्रदर्शन समाप्त करने की नहीं है, वो एक आम किसान की लड़ाई लड़ रहे हैं. राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश के किसानों को उनकी फसल का मूल्य नहीं मिलता है और किसान परेशान रहता है.
'चुनाव नहीं लड़ेंगे, किसान की लड़ाई लड़ रहे हैं'
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान साल भर मेहनत मजदूरी कर अपनी फसल पैदा करता है. कभी बारिश तो कभी ओले उसकी फसल को खराब करते हैं, जो फसल बचती है उस फसल का दाम किसान को नहीं मिलता है. टिकैत ने कहा कि सरकार ने दिल्ली में जो कील लगाए हैं, उन कील को निकाल कर जाएंगे. उन्होंने कहा कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे वो किसान की लड़ाई लड़ रहे हैं.
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किसान आंदोलन लाइव
नई दिल्ली / गाजियाबाद : केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 77वां दिन है. किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हैं. किसानों का कहना है कि तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी से पहले वे दिल्ली की सीमाओं से हटने वाले नहीं हैं. इसी बीच राकेश टिकैत ने बताया कि गाजीपुर बॉर्डर पर किसान क्रांति पार्क बनाया जाएगा. इसकी शुरुआत हम कांटों के जवाब फूल लगाकर कर चुके हैं.
उन्होंने कहा कि इस पार्क में किसानी झंडा लगाया जाएगा. जल्द ही किसान क्रांति पार्क को मूर्त रूप दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि सरकार आंदोलन को लंबा करना चाहती है. किसानों ने भी उसी तरह से रणनीति तैयार कर ली है. बॉर्डर पर रणनीति के तहत आंदोलन चलाया जाएगा. जो किसान आंदोलन स्थल पर सोमवार को पहुंचेगा वह सोमवार को ही घर वापस जाएगा. इस प्रकार आंदोलनकारी आंदोलन पर भी नजर रख सकेंगे और अपने खेत पर भी. ऐसी स्थिति में जरूरत पड़ी तो आंदोलन अक्टूबर से आगे भी चलाया जा सकेगा.
बिजली कनेक्शन दे सरकार
टिकैत ने कहा कि गर्मी का मौसम आ रहा है. अब हमें यहां बड़े जेनरेटर लगाने पड़ेंगे और यदि सरकार नहीं चाहती कि यहां जनरेटर चलें तो वह हमें बॉर्डर के नाम से बिजली कनेक्शन दे, किसान बिजली का बिल भी देंगे. उन्होंने किसानों से यह भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति सप्ताह भर की रणनीति से आंदोलन में शामिल हो. किसान कार से नहीं ट्रैक्टर से आंदोलन में शरीक होने पहुंचे.
मंच के सामने भीड़ हुई कम
उन्होंने सरकार को चेताया कि यह आंदोलन अक्टूबर के बाद भी चल सकता है, सरकार भूल में है कि हम गर्मी में चले जाएंगे. गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे मंच के सामने भीड़ थोड़ी कम हुई है. किसान उसका कारण तेज धूप को बता रहे हैं. किसानों का कहना है कि आंदोलन स्थल पर लोग कम नहीं हुए हैं, मंच के सामने कम बैठ रहे हैं. दरअसल धूप तेज होने के कारण अधिकतर किसान अपने टेंट में ही रह रहे हैं.