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कोविड संकट के कारण 45 लाख की बसें 45 रुपये किलो के भाव से बेचने की मजबूरी

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Published : Feb 13, 2022, 8:05 PM IST

कोरोना वायरस (Corona virus) के कारण लोगों को काफी कुछ झेलना पड़ा है. कोरोना के कारण लोगों के काम धंधे भी ठप्प हो गए हैं. कई लोगों के तो रोजगार एक दम से खत्म ही हो गए हैं. इस बीच केरल से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक दुखी बस मालिक अपनी लग्जरी बसों को 45 रुपये किलो के हिसाब से बेचने का फैसला किया है.

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प्रतीकात्मक फोटो

एर्नाकुलम : कोविड संकट के चलते कोच्चि में रॉयल ट्रेवल्स के मालिक ने अपनी पर्यटक बसों को बेचने का फैसला किया. आजीविका के लिए रॉयसन जोसेफ ने अपनी 10 में से 3 बसें बेचने का फैसला किया है. उन्होंने 45 लाख रुपये में एक बस खरीदी थी लेकिन अब उसे 45 रुपये किलो के हिसाब से बेचने को मजबूर हैं.

रॉयसन ने ईटीवी भारत को बताया कि अन्य बसों के कर्ज और टैक्स का भुगतान करने के लिए उन्होंने 45 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचकर लागत को कवर करने का निर्णय लिया है. दरअसल, कोविड के बाद शादियों और पर्यटन के लिए बसें बुक नहीं हो रही हैं. उन्होंने कहा कि आमदनी नहीं है, ऐसी स्थिति में भी उसे टैक्स देना पड़ता है. बसों का मेंटनेंस अपने आप में बड़ा खर्च है. उनका कहना है कि सेक्टर के लोग आत्महत्या के कगार पर हैं क्योंकि उन्होंने वित्तीय संस्थानों से बड़े ऋण लिए हैं.

पिछले दिनों पुलिस ने उनके एक वाहन को जब्त कर लिया और 2000 रुपये का जुर्माना लगाया. इसके पास पहले से ही बीमा, प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र और परमिट है फिर भी जुर्माना देना पड़ा. रॉयसन का यह भी आरोप है कि अधिकारियों को इस तरह से प्रताड़ित नहीं करना चाहिए. इस सेक्टर के करीब 80 फीसदी लोग आत्महत्या के कगार पर पहुंच गए हैं. कई पहले ही आत्महत्या कर चुके हैं.

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रॉयल ट्रेवल्स के मालिक का दर्द इस बात से समझा जा सकता है कि उसकी बसें अगले ही दिन बिक जाएंगी यह पक्का है. पैसे मांगने वाले रोज घर आ रहे हैं. लॉकडाउन से पहले 20 बसें थीं. संकट के बाद 10 बसें बेची गईं. शेष 10 में से तीन बसें अब बिक्री के लिए तैयार हैं. अगर ये तीनों बसें बिक जाती हैं तो मुझे कम से कम 15 लाख रुपये मिलेंगे. रॉयसन का यह भी आरोप है कि अभी तक अधिकारियों की ओर से कोई जवाब नहीं आया है. टूरिस्ट बस सेक्टर मौजूद रहा तो सरकार को ही टैक्स मिलेगा. रॉयसन ने सरकार से मौजूदा परिस्थितियों में पर्यटक बसों पर कम से कम एक साल के लिए टैक्स माफ करने का भी आह्वान किया.

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