ETV Bharat / bharat

Diwali 2023: 10 दिन लंबी दिवाली... दुर्गा माता की तरह विराजती हैं मां लक्ष्मी, जानिए सागर की अनोखी परंपरा

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 11, 2023, 7:17 AM IST

Updated : Nov 11, 2023, 9:21 AM IST

Sagar Unique tradition of Diwali: दीपावली पर बुंदेलखंड में दुर्गा की तरह मं लक्षमी की स्थापना होती है और नवरात्र की तरह दीपावली का दस दिन तक उत्सव मनाया जाता है. ये उत्सव एकादशी पर खत्म होता है. हांलाकि मिट्टी की नहीं अष्टधातू की मूर्ति यहां स्थापित की जाती है और जलाभिषेक के साथ इस विशेष पूजन का समापन होता है.

Diwali 2023
दीपावली 2023

सागर में मनाई जाती है 10 दिन लंबी दिवाली

सागर। भारतीय संस्कृति में अलग-अलग त्योहार मनाने की अपनी-अपनी परम्पराएं हैं, इसी तरह दीपों का पर्व दीपावली भी अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है. इसी तरह बुंदेलखंड के रहली में दीपावली पर एक अनोखी परम्परा की शुरुआत की गयी है, दरअसल यहां पर दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की अष्टधातु की प्रतिमा मां दुर्गा की प्रतिमा की तरह स्थापित की जाती है और 10 दिनों तक भक्तिभाव से मां लक्ष्मी की सेवा करने के बाद देवउठनी एकादशी के दिन दीपावली उत्सव का समापन मां लक्ष्मी की प्रतिमा के जलाभिषेक के साथ होता है.

बुंदेलखंड के रहली की एनोखी परंपरा: दीपावली भी इस तरह की परंपरा और कहीं नजर नहीं आती, मां लक्ष्मी की स्थापना शारदेय नवरात्रि में मां दुर्गा की तरह की जाती है. रहली में इसे दीपावली महोत्सव का नाम दिया गया है.

बुजुर्गों की प्रेरणा से 25 साल पहले शुरू हुई परंपरा:सागर जिले के रहली नगर में दीपावली के अवसर पर एक विशेष आयोजन पिछले 25 सालों से आयोजित किया जा रहा है, रहली के पंढरपुर इलाके में दीपावली महोत्सव की शुरूआत अनोखे तरीके से की गई. दीपावली महोत्सव में जिस तरह शारदेय नवरात्र में मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की जाती है और दस दिनों तक दुर्गोत्सव चलता है, वैसे ही रहली के पंढरपुर में 1998 में एक अनोखे उत्सव की शुरुआत दीपावली के त्योहार पर की गई. इसके तहत पंढरपुर में स्थित साधु की शाला में दीपावली के दिन विधि विधान से मां लक्ष्मी की प्रतिमा की स्थापना की शुरआत की गई और दीपावली से देवउठनी एकादशी तक विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. फिर देवउठनी एकादशी के दिन मां लक्ष्मी का पूरे नगर में भ्रमण होता है और दीपावली महोत्सव समाप्त हो जाता है.

शुरूआत मिट्टी की प्रतिमा से हुई, अब अष्टधातु की प्रतिमा की स्थापना: 1998 में जब दीपावली महोत्सव की शुभारंभ हुआ, तब मां लक्ष्मी की प्रतिमा मिट्टी से बनाई जाती थी, लेकिन बाद में स्थानीय लोगों के जनसहयोग से मां लक्ष्मी की अष्टधातु की प्रतिमा तैयार की गई और अब अष्टधातु की प्रतिमा की स्थापना की जाती है. दीपावली के दिन विधि विधान से मां लक्ष्मी की अष्टधातु की प्रतिमा की स्थापना होती है और दस दिन के दीपावली महोत्सव की शुरूआत हो जाती है.

Read More:

देवउठनी एकादशी पर मां लक्ष्मी करती हैं नगर भ्रमण: दीपावली महोत्सव के अंतिम दिन देवउठनी एकादशी पर मां लक्ष्मी के विशेष पूजन के बाद उनकी शोभायात्रा पूरे रहली नगर में निकाली जाती है, जगह-जगह लोग मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते है और नगर की सुख समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी की कृपा की कामना करते हैं. नगर भ्रमण के बाद दुर्गा मां की तरह मां लक्ष्मी का विसर्जन नहीं होता है, बल्कि मां लक्ष्मी के जलाभिषेक के बाद मां लक्ष्मी को एक मंदिर में विराजमान कराया जाता है और जहां साल भर उनकी पूजा अर्चना की जाती है.

दीपावली महोत्सव को भव्य रूप देने की योजना: दीपावली महोत्सव के आयोजन समिति के सदस्य रूप सिंह ठाकुर बताते हैं कि "बुजुर्गों के आशीर्वाद और मार्गदर्शन से दीपावली महोत्सव की 25 साल पहले शुरूआत हुई थी, धीरे-धीरे करके महोत्सव का आकार बढ़ रहा है. महोत्सव को भव्य और दिव्य बनाने के लिए सांस्कृतिक आयोजन और विशेष पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं, जिसमें नगर भर के लोग शामिल होते हैं. आसपास के इलाके में इस तरह का आयोजन ना होने के कारण ग्रामीण और दूसरे कस्बों के लोग भी दीपावली महोत्सव देखने आते हैं, स्थानीय विधायक और मंत्री गोपाल भार्गव दीपावली महोत्सव में हर तरह का सहयोग करते हैं और स्थानीय स्तर पर काफी जन सहयोग मिलता है. वैसे भी हमारा रहली नगर समृद्ध धार्मिक संस्कृति के लिए पहचाना जाता है और इस आयोजन ने नगर की ख्याति बढ़ाई है. आगे हम लोगों की योजना है कि दस दिन के इस उत्सव में सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन के जरिए भव्य और दिव्य रूप दिया जाए."

Last Updated :Nov 11, 2023, 9:21 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.