दावणगेरे: दशहरा उत्सव या नवरात्रि विभिन्न समुदायों द्वारा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. कई लोग अपने घरों में गुड़ियों का प्रदर्शन करके दशहरा मनाते हैं.
इसी सिलसिले में कर्नाटक के दावणगेरे के एक दंपति ने अपने घर पर 31 देशों से गुड़ियों को लगाकर दशहरा मनाया. जानकारी के मुताबिक इन गुड़ियों में मैसूर के साथ-साथ प्रसिद्ध चेन्नापट्टन गुड़िया भी शामिल हैं. जो देवी-देवताओं के विभिन्न अवतारों को दर्शाती हैं.
![दावणगेरे दंपति 31 देशों से लाई गई गुड़ियों से मनाते हैं दशहरा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/kn-dvg-04-11-foreign-gombe-spl-pkg-7204336_11102021142807_1110f_1633942687_74_1110newsroom_1633961852_183.png)
बता दें, दावणगेरे के एसएस बडावने के रहने वाले दंपती मुरुघेंद्रप्पा और सुमंगला ने गुड़ियों को सजाकर दशहरा मनाया. ये दंपती 21 साल तक नाइजीरिया में रह कर आए हैं. इस दौरान उन्होंने उस देश की विशिष्टताओं को दर्शाने वाली अलग-अलग गुड़िया इकट्ठी कीं. पेशे से कपड़ा इंजीनियर मुरुघेंद्रप्पा ने अमेरिका, घाना, केन्या, श्रीलंका, फ्रांस, जर्मनी, लीबिया, उत्तर कोरिया, वियतनाम और कंबोडिया सहित विभिन्न देशों से गुड़िया और कलाकृतियां एकत्र की हैं.
![दावणगेरे दंपति 31 देशों से लाई गई गुड़ियों से मनाते हैं दशहरा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/kn-dvg-04-11-foreign-gombe-spl-pkg-7204336_11102021142807_1110f_1633942687_575_1110newsroom_1633961852_339.png)
उन्होंने इन गुड़ियों को अपने घरों में सजाया है. इन दंपती का घर एक छोटे से संग्रहालय जैसा दिखता है. उन्होंने इस दशहरा उत्सव पर इन गुड़ियों को प्रदर्शित किया. मुरुघेंद्रप्पा ने कहा कि अफ्रीकी देश स्वाभाविक रूप से समृद्ध हैं. कई लोगों के लिए हस्तशिल्प मुख्य व्यवसाय है. उन्होंने कहा कि मैं 1991 में नाइजीरिया गया था. मुझे उस राष्ट्र की संस्कृति को समझने में दो साल लगे. मैंने नाइजीरिया में लगभग सभी जगहों का दौरा किया. मैं उन जगहों से गुड़िया और कलाकृतियां खरीदता था.
![दावणगेरे दंपति 31 देशों से लाई गई गुड़ियों से मनाते हैं दशहरा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/kn-dvg-04-11-foreign-gombe-spl-pkg-7204336_11102021142807_1110f_1633942687_442_1110newsroom_1633961852_797.png)
मुरुघेंद्रप्पा की पत्नी सुमंगला ने बताया कि मेरी दादी दशहरा उत्सव के दौरान अपने घर पर गुड़िया बनाती थीं. मुझे बचपन से ही गुड़िया इकट्ठा करने का शौक है इसलिए मैं जहां भी जाऊंगी, वहां से गुड़िया जरूर लाती हूं. हम लोग 21 साल नाइजीरिया में रहे इसलिए हमारे पास नाइजीरियाई गुड़ियों का विशाल संग्रह है.