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बाढ़ से निपटे तो मगरमच्छ पर अटके, हरिद्वार में crocodile ने घर और सड़कों पर जमाया डेरा

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Published : Jul 21, 2023, 7:15 PM IST

Updated : Jul 22, 2023, 5:34 PM IST

danger of crocodiles in Uttarakhand उत्तराखंड में बारिश ने जमकर अपना कहर बरपाया है. हर जगह पहाड़ियां दरकने से भूस्खलन की घटनाएं सामने आ रही हैं. इसी बीच देवभूमि के सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित जिला हरिद्वार में बारिश के साथ अब मगरमच्छ कहर बरपा रहे हैं. दरअसल घर हो या सड़क हर जगह मगरमच्छों ने अपना डेरा जमा लिया है.

danger of crocodiles
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बाढ़ से निपटे तो मगरमच्छ पर अटके

देहरादून: उत्तराखंड का एक ऐसा जिला जहां चारों तरफ पानी ही पानी भरा हुआ है. लोग पैदल ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल के साथ अंदाजे से सड़क पार कर रहे हैं, लेकिन सड़क पर चलने और घर के बाहर निकलने में इन गांव के लोगों को पानी के साथ-साथ एक और डर सता रहा है और यह डर है जल में रहने वाले मगरमच्छ का जिसका नाम सुनकर ही इंसान दहशत में आ जाता है. उत्तराखंड में लगातार बरसाती नाले नदी और गंगा उफान पर हैं. अत्यधिक बारिश होने की वजह से उन नदियों में भी बेहद पानी बह रहा है. जिससे मगरमच्छों का निकलना जारी रहता है.

crocodiles coming out in Haridwar
हरिद्वार के कई क्षेत्रों में निकल रहे मगरमच्छ

घर के बाहर मगरमच्छों ने जमाया डेरा:यह मगरमच्छ कभी आबादी से दूर किसी खेत खलियान में मिल रहे हैं, तो कभी घर के बाहर दरवाजे पर मुंह खोले पड़े हुए हैं. सड़कों पर भरे पानी में भी मगरमच्छों ने अपना ठिकाना बना लिया है. इस साल अचानक से हुई तेज बरसात की वजह से मगरमच्छों के निकलने की सूचनाओं में बेहद इजाफा हुआ है और यह मगरमच्छ आसपास के नदी नालों और गंगा से निकलकर रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं. वन विभाग को रोजाना ऐसे छह से सात कॉल आ रहे हैं. जिसमें मगरमच्छ होने की शिकायत दर्ज करवाई जा रही है. हरिद्वार के उन जिलों में से एक है जहां सबसे अधिक बरसात ने अपना कहर बरपाया है. यहां के लोगों को सांप और मगरमच्छ जैसे जानवर से भी दो-चार होना पड़ रहा है. गनीमत रही कि अब तक इन मगरमच्छों ने किसी भी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया है.

crocodiles coming out in Haridwar
हरिद्वार में मगरमच्छों का कहर

इन क्षेत्रों में घरों के आगे निकल रहे मगरमच्छ: हरिद्वार में बहने वाली सोनाली नदी हो या बाढ़ गंगा मुख्य गंगा नदी हो या अन्य बरसाती नदी नाले सालों से मगरमच्छों के रहने का ठिकाना हैं. इस बार 2 जुलाई के बाद से लक्सर, चिड़ियापुर, लाल ढंग,इस्माइलपुर और रुड़की के कई इलाकों में मगरमच्छ की सूचनाओं में बेहद इजाफा हुआ है. दरअसल जिन जगहों पर यह मगरमच्छ रहते थे, अब उन जगहों पर भारी पानी बह रहा है. दलदली क्षेत्र नदी में तब्दील हो गए हैं. ऐसे में यह मगरमच्छ बहते हुए रिहायशी इलाकों की तरफ पहुंच रहे हैं. पानी कम होने के बाद सबसे ज्यादा सूचनाएं दल्ला वाला,चंद्रपुरी, खानपुर ,ब्राह्मण वाला, प्रह्लाद पुर, पूरनपुर, तुगलपुर से आ रही हैं.

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डीएफओ नीरज शर्मा ने मगरमच्छ निकलने के संबंध में दी जानकारी

अलर्ट रहती है टीम: डीएफओ नीरज शर्मा ने बताया कि इस दौरान हमारे क्षेत्र में मगरमच्छ निकलने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, क्योंकि बारिश अधिक होने की वजह से पानी कई जगहों पर फैला हुआ है और जैसे ही पानी नीचे हो रहा है. वैसे-वैसे यह मगरमच्छ दिखाई दे रहे हैं. अपने-अपने क्षेत्र में कर्मचारियों को तैनात किया गया है. हम इस बात को भी सुनिश्चित करते हैं कि किसी तरह से मगरमच्छ और इंसान को कोई नुकसान ना पहुंचे. उन्होंने बताया कि हर साल मानसून में यह मगरमच्छ निकलते हैं कई जगहों पर बड़े-बड़े अजगर की सूचनाएं भी हमारे पास आ रही हैं.

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रेंजर ऑफिसर दिनेश ने मगरमच्छों को लेकर दी जानकारी

क्या कहते है ऑपरेशन मगरमच्छ के अधिकारी: रेंजर ऑफिसर दिनेश ने बताया कि इस बार क्षेत्र में मगरमच्छों के निकलने की संख्या अधिक है. अगर रुड़की को छोड़ दें तो अकेले लक्सर खानपुर जैसे क्षेत्र में ही लगभग 10 से अधिक मगरमच्छ पकड़ने की घटनाएं हमारे रिकॉर्ड में दर्ज है. हमें जैसे ही सूचना मिल रही है हम मौके पर पहुंच रहे हैं, क्योंकि क्षेत्र में बाढ़ अधिक है और जंगली जानवर परेशान ना हो या उनसे इंसानों को कोई खतरा ना हो इसके लिए हमने अलग से एक टीम बनाई है. जिसमें 8 घंटे की ड्यूटी 221 कर्मचारी करते हैं. उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में दलदल अधिक होने की वजह से मगरमच्छों की संख्या अच्छी खासी है. हालांकि आज तक इनकी गणना नहीं की गई, लेकिन समय-समय पर इनके निकलने की सूचना आती रहती है. बीते कुछ दिनों से पहाड़ों में बारिश की वजह से अब हर जगह पानी ही पानी है और पानी में बहकर यह मगरमच्छ आबादी वाले इलाके में पहुंच रहे हैं.

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हरिद्वार में निकल रहे मगरमच्छ

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फायदा दें सकतें है मगरमच्छ:वरिष्ठ वन पत्रकार सुनील पाल कहते हैं कि इस बार मगरमच्छ निकलने की सूचनाएं ज्यादा आ रही हैं. इसी बीच इनके संरक्षण पर भी काम किया जा सकता है. वन विभाग को देखना होगा की किस क्षेत्र में कितने मगरमच्छ हैं , साथ ही आसपास के किसी क्षेत्र में ज़ू या टाइगर रेस्क्यू सेंटर की तरह कुछ मगरमच्छों को रखकर सैलानियों को आकर्षित किया जा सकता है.

Last Updated : Jul 22, 2023, 5:34 PM IST
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