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सावन के पहले सोमवार पर केदारनाथ में उमड़ा आस्था का सैलाब, 6 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने टेका मत्था

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Published : Jul 18, 2022, 10:39 PM IST

kEDARNATH PUJA
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सावन के पहले सोमवार के दिन विश्वविख्यात केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) में भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी. इस दौरान सुबह से ही बाबा केदार के दर्शनों के लिये भक्तों की लंबी लाइन लगी. भक्तों ने बाबा केदार का जलाभिषेक करने के साथ ही ब्रह्मकमल के पुष्प अर्पित किए.

रुद्रप्रयाग: सावन महीने के पहले सोमवार के दिन विश्वविख्यात केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) में भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी. इस दौरान सुबह से ही बाबा केदार के दर्शनों के लिये भक्तों की लंबी लाइन लगी. भक्तों ने बाबा केदार का जलाभिषेक करने के साथ ही ब्रह्मकमल के पुष्प अर्पित किए. माना जाता है कि सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव को जलाभिषेक, बेलपत्र और ब्रह्मकमल अति प्रिय लगते हैं. साथ ही सावन में ही बाबा केदार को उत्तराखंड का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल चढ़ाने की भी वर्षों पुरानी अदभुत परम्परा है. इसलिए दूर-दूर से बाबा के भक्त सावन में केदारधाम पहुंचते हैं.

केदारनाथ मंदिर में भक्तों का हुजूमः सावन के पहले सोमवार को रुद्रप्रयाग स्थित केदारनाथ धाम में भी बाबा केदार के चरणों में ब्रह्मकमल चढ़ाने और जलाभिषेक करने को लेकर भक्तों में अपार उत्साह दिखा. माना जाता है कि सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव को जलाभिषेक, बेलपत्र और ब्रह्मकमल अति प्रिय लगते हैं. इसीलिए दूर-दूर से बाबा के भक्त सावन में केदारधाम पहुंचे हैं. सुबह से हजारों श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ के दर्शन कर चुके हैं. आज सोमवार को 6,857 श्रद्धालुओं ने किए बाबा केदार के दर्शन किए. अब तक 8 लाख 89 हजार 14 श्रद्धालु केदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं.

सावन के पहले सोमवार पर केदारनाथ में उमड़ा आस्था का सैलाब

केदारनाथ के राॅवल भीमाशंकर लिंग ने बताया ब्रह्मकमल भगवान शिव को अति प्रिय है. हिमालयी क्षेत्र के इस सुंदर और दिव्य पुष्प को सावन में बाबा को अर्पित किया जाता है. जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा अनादिकाल से चली आ रही परम्परा का आज भी निर्वहन किया जाता है.
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ब्रहमकमल का अनैतिक दोहन ना हो: पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली का कहना है कि राज्य पुष्प ब्रह्मकमल का अनैतिक दोहन नहीं किया जाना चाहिए. सावन मास से केदारनाथ के ऊंचाई वाले स्थानों में बड़ी मात्रा में ब्रह्मकमल उगने का सिलसिला जारी है. ऐसे में इसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए. ब्रहमकमल के अत्याधिक दोहन से प्रकृति को नुकसान पहुंचता है. प्रकृति की इस सुंदरता का दोहन करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. प्रकृति से छेड़छाड़ भविष्य के लिए शुभ संकते नहीं हैं.

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