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यहां 'जिंदगी' के बाद सामने आता है डरावना सच, मर चुका है 'सिस्टम'

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Published : May 2, 2021, 3:42 PM IST

The condition of baans ghaat crematorium is worst at patna
बिहारः बांस घाट शवगृह की हालत बदत्तर, लग रही है लंबी लाइने

बिहार में कोरोना से लगातार हो रही मरीजों की मौत के बाद पटना के शवगृह और घाटों पर लाइन लगी हुई है. दाह संस्कार के नाम पर हजारों रुपये की वसूली हो रही है और कोई सुध लेने वाला नहीं है. ईटीवी भारत ने पटना के बांस घाट शवगृह के हालात का जायजा लिया. इस दौरान जो सच्चाई सामने आई, उसे देख व सुनकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी.

पटना : कोरोना से देश में त्राहिमाम मचा है. हर दिन सैकड़ों परिवार बिखर रहे हैं. लेकिन आपदा की इस घड़ी में जिंदगी से लेकर मौत तक का सौदा किया जा रहा है. कोविड मरीज को इलाज के लिए ऑक्सीजन, बेड और दवाइयों के लिए लूटा जा रहा है. वहीं, मौत के बाद भी गिद्धों को संतुष्टि नहीं मिल रही. मौत के बाद श्मशान घाट तक का सफर तो और भी डरावना है. यहां मृतक के परिजनों को लंबी लाइनों में सिर्फ इंतजार नहीं करना पड़ रहा है, बल्कि मोटी रकम भी चुकानी पड़ रही है. इतना ही नहीं श्मशान घाट में हर चीज का रेट फिक्स कर दिया गया है.

श्मशान का स्याह सच
जब ईटीवी भारत की टीम पटना के बांस घाट के हालात का जायजा लेने पहुंची तो शर्मनाक तस्वीरें देखने को मिलीं. यहां शवों के अंतिम संस्कार के लिए रेट फिक्स थे. उससे भी शर्मनाक बात यह कि यहां दलालों द्वारा पैकेज बनाया गया है. दलालों के समूह में एंबुलेंस चालक से लेकर अंदर और बाहर के कई दुकानदार भी शामिल हैं. इसी शर्मनाक खेल का पर्दाफाश करने ईटीवी भारत की टीम बांस घाट पहुंची.

देखें वीडियो, पार्ट-1

बिहारः बांस घाट शवगृह की हालत बदत्तर, लग रही है लंबी लाइने

देखें वीडियो, पार्ट-2

बांस घाट शवगृह की हालत बदत्तर, लग रही है लंबी लाइनें

मोक्ष का रेट तय
कोरोना से जंग में ऑक्सीजन और बेड के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी, दवाइयों के लिए लाइन में खड़ा रहना पड़ा. मरने के बाद भी हालात ज्यादा नहीं बदले. शवों को अब भी कतारबद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है. पैसे तो यहां भी चुकाने पड़ रहे हैं. ईटीवी भारत संवाददाता ने जब बांस घाट की वास्तिवक स्थिति का जायजा लिया तो पाया कि जो लोग यहां शवों के अंत्येष्टि के लिए पहुंचे थे, उन्हें एंबुलेंस से शव निकालने से लेकर जलाने तक के लिए पैसे चुकाने पड़ रहे हैं.

श्मशान का रेटरुपये
लकड़ी 10,000
शव और लकड़ी ढ़ोने का2000
सजाने का 1500
जलाने वाला लेगा2100

'भइया यहां नगर निगम सबको लकड़ी नहीं देता. कहने की बातें हैं. इधर-उधर का चक्कर लगाते रह जाइएगा. मैं लकड़ी दिलवा दूंगा. दस हजार रुपये तक लकड़ी लगेगा. शव और लकड़ी ढ़ोने का 2000, सजाने का 1500 और जलाने वाला लेगा 2100. मुखाग्नि देगा न कोई. वही तो लाश नहीं जलाएगा. उसको जलाने वाला भी चाहिए न. इसलिए वह 2100 रुपये लेगा.'- दुकानदार

नगर निगमकर्मी का बयान
इसके बाद इस बात की तस्दीक करने हमारी टीम बांस घाट पर पहुंची. यहां नगर निगम के कर्मी से मृतक के परिजन बनकर बात की गई. ईटीवी भारत संवाददाता ने कहा कि मामा जो संक्रमित थे उनकी मौत हो गई है. उनका शव पीएमसीएच से अंतिम संस्कार के लिए पास के बांस घाट के लिए रवाना हो चुका है. ये सुनकर नगर निगमकर्मी कहते हैं यहां नहीं, गुलबी घाट जाइए.

'रात होता तो जल्दी हो जाता. दिन में बहुत रिस्क है. फिर भी कोशिश करते हैं जो आप लकड़ी में पैसा लगाइएगा, उससे आधे में ही शवदाह गृह में शव जल जाएगा. कोशिश करते हैं पहले शव तो ले आइए. यहां आइएगा आपको किसी से बोल कर पहले करवा देंगे. गुलबी घाट तक सेटिंग है'- दुकानदार

दलालों की मिलीभगत
अगर आपको जानकारी नहीं है और गलती से बांस घाट पहुंच गए तो कोई बात नहीं. यहां के दलाल आपको गुलबी घाट के दलालों का नंबर भी दे देंगे. बांस घाट पर दुकानदार के रूप में बैठे दलालों का नेटवर्क बहुत तगड़ा है. यहां इतने दलाल मौजूद हैं कि लोग बहुत परेशान हैं. यहां पर दलाल समूह के दर्जनों लोग मौजूद हैं. जिन्हें पैसे देकर लाइन में लगा दिया जाता है.

'शवदाह गृह में भी 300 रुपये ले रहा जलाने वाला'
संवाददाता ने जब बांस घाट पर अंतिम संस्कार कराने आए परिजनों से बात की तो पता चला कि शवदाह गृह में भी जो कर्मी जला रहे हैं, वह भी तीन सौ रुपये ले रहे हैं. अगर जल्दी जलाना है, तो उसके लिए पैरवी चाहिए.

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