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सीसीएल के सीएमडी का दावा, उत्पादन पर बारिश का मामूली असर, नहीं होगी दिक्कत

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Published : Oct 19, 2021, 7:41 PM IST

कोयला उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है लेकिन पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत में इजाफा हुआ है. इसकी वजह से देश के तमाम पावर प्लांट्स कोल इंडिया पर आश्रित हो गए हैं. इस भरोसे को कायम रखने के लिए कंपनी ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है.

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रांची : कोल इंडिया लिमिटेड की सात अनुषंगी उत्पादन कंपनियों में से दो सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड यानी सीसीएल और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड यानी बीसीसीएल पर भी कोयला उत्पादन का दबाव बढ़ा है. इसे पूरा करने के लिए दिन रात काम हो रहा है.

सीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद ने ईटीवी भारत को बताया कि यहां से झारखंड के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के पावर प्लांट्स में कोयले की सप्लाई होती है. सीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद ने ये भी कहा कि सीसीएल के साथ 40 प्लांट्स लिंक्ड हैं.

सीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद ने क्या कहा

यहां से एनटीपीसी, डीवीसी, डब्यूपीडीसीएल, कुछ इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स, यूपीआरवीएनएल, हरियाणा और पंजाब को कोयले की सप्लाई होती है. बीसीसीएल के साथ मुख्य रूप से डीवीसी, डब्यूपीडीसीएल और एनटीपीसी के कुछ प्लांट्स लिंक्ड हैं.

बारिश खत्म होते ही बढ़ेगा टारगेट

फिलहाल सीसीएल का टारगेट 44 रैक का है. इसकी तुलना में कल यानी 18 अक्टूबर को 41 रैक कोयले की सप्लाई हुई थी. वहीं बीसीसीएल को कल 21 रैक का टारगेट था. इसकी तुलना में 16-17 रैक भेजा गया है.

बीसीसीएल के सीएमडी का भी अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे पीएम प्रसाद ने बताया कि बारिश की वजह से उत्पादन पर असर जरूर पड़ा है. लेकिन चुनौती को चैलेंज के रूप में लेकर काम किया जा रहा है. इसी का नतीजा है कि अभी तक किसी प्लांट्स में कोयले की कमी नहीं होने दी गई है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि बारिश खत्म होते ही कोल सप्लाई के टारगेट को और बढ़ाया जाएगा.

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क्यों बढ़ी बिजली की कीमत

देश में सबसे ज्यादा 70 प्रतिशत थर्मल पावर प्लांट्स के जरिए बिजली का उत्पादन होता है. देश में संचालित कुल पावर प्लांट्स में से 137 पावर प्लांट्स कोयले से चलते हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत बढ़ने के बावजूद कोल इंडिया ने पावर प्लांट्स में सप्लाई के एवज में रेट नहीं बढ़ाया.

यही नहीं इंपोर्ट क्राइसिस को पूरा करने के लिए उत्पादन भी बढ़ाया. अगर ऐसा नहीं होता तो बिजली की कीमत में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि होती और इसका बोझ उपभोक्ताओं को ही उठाना पड़ता.

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