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देश के सबसे बड़े रबर डैम का सीएम नीतीश ने किया उद्घाटन, गयाजी रबर डैम की खासियत जान रह जाएंगे हैरान

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Published : Sep 8, 2022, 10:02 PM IST

rubber dam Etv Bharat
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बिहार के गया में सीएम नीतीश कुमार ने देश के सबसे बड़े रबर डैम (Country Largest Rubber Dam In Bihar ) का उद्घाटन किया है. इस रबर डैम से लोगों की वर्षों पुरानी पेयजल की समस्या के साथ ही और भी कई तरह की परेशानियों का अंत हो गया है. जानिए देश के सबसे बड़े गयाजी रबर डैम की खासियत

गया: बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने गुरुवार को देश के सबसे बड़े और बिहार के पहले रबर डैम (CM Nitish Inaugurated Rubber Dam In Gaya ) का उद्घाटन किया. पौराणिक नगरी के नाम पर इस रबर डैम का नाम गयाजी डैम (Country Largest Rubber Dam In Gaya ) रखा गया है. सीताकुंड पुल का उद्घाटन के साथ ही सीएम नीतीश ने पितृपक्ष मेला महासंगम 2022 का भी उद्घाटन किया. रबर डैम से गया के लोगों की कई तरह की समस्याओं का हल हो गया है. साथ ही पितृ पक्ष के मौके पर पिंडदानियों को भी अब काफी सहूलियत होगी.

पढ़ें- पितृपक्ष 2022: गया में देश का सबसे बड़ा रबर डैम, सीएम नीतीश ने किया उद्घाटन

बोले सीएम नीतीश- 'रबर डैम में पानी कभी नहीं होगा कम': सीएम नीतीश के साथ उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी मौजूद रहे. सभी नेताओं ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रबर डैम के फायदे गिनाए. इस दौरान सीएम नीतीश कुमार ने कहा सिर्फ डैम नहीं बल्कि ब्रिज भी बनवाया गया है और नाला भी बनवाया गया है ताकि पानी गंदा ना हो. काफी कुछ विकास का काम बिहार में हुआ है. गया में बने डैम का नाम रबर पहले रबर डैम था, लेकिन गया की पौराणिकता को देखते हुए इसे गयाजी रबर डैम (Gayaji Rubber Dam) का नाम दिया गया. हम लोगों को अभी बहुत काम करना है. यहां सबसे कम पानी का स्तर होगा तो वो भी 2 मीटर होगा, उससे कम नहीं होगा.

"इसके निर्माण में 324 करोड़ रुपये की लागत आई है. इसके निर्माण में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी रूड़की की तकनीकी सेवा ली गई. हम इंजीनियरिंग पढ़ाई किए हैं इसलिए हमें मालूम हैं कि रुड़की इंस्ट्यूट काफी अच्छा है. इसको तो गयाजी ही बोलते हैं इसलिए रबर डैम का नामकरण गयाजी डैम हो गया."- नीतीश कुमार, सीएम, बिहार

तेजस्वी ने केंद्र सरकार पर किया कटाक्ष: वहीं डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे बुलेट ट्रेन चलाने की सोचते रह गए, लेकिन बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐतिहासिक गयाजी डैम बनवा दिया. यह अंतरराष्ट्रीय काम गया में हुआ है. सबसे बड़ी बात है कि कोरोना काल में भी यह काम पूरा करा लिया गया.

पहली बार नीतीश जी के साथ 2014 में गया आए थे, जब महागठबंधन की सरकार थी और अब दूसरी बार महागठबंधन की सरकार बनी है तो 2022 में फिर उसी स्थान के पास आए हैं. अब साथ-साथ चलना है तो साथ ही चलना है, रुकना नहीं है.- तेजस्वी यादव, डिप्टी सीएम, बिहार

'नीतीश बनेंगे पीएम तो तेजस्वी बिहार संभालेंगे': बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि अब सीएम नीतीश मत कहिए प्रधानमंत्री कहिए तो ज्यादा अच्छा लगता है. हमें लगता है कि अभी से ही नीतीश जी को प्रधानमंत्री कहकर संबोधित करना चाहिए. वहीं तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री कहकर संबोधित करना चाहिए. जब मांझी मंच से तेजस्वी को बिहार का भावी सीएम बता रहे थे तो कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने जमकर तालियां बजायी.

"मुख्यमंत्री ना कहिए अब प्रधानमंत्री ही कहिए तो ज्यादा अच्छा लगेगा. मंच पर उपस्थित माननीय मुख्यमंत्री जी और युवा उपमुख्यमंत्री बाबू तेजस्वी प्रसाद यादव जी...बाबू इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हमारे बेटे की तरह हैं. हम कह सकते हैं कि जब नीतीश बाबू बिहार के पीएम बन जाएंगे तो बिहार के सीएम तेजस्वी यादव ही बनेंगे ना."- जीतन राम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार

रबर डैम की खासियत बताते हुए हाइड्रो कंस्ट्रक्ट के प्रकाश रेड्डी ने बताया कि यह डैम अपने आप में काफी खास है. योजना के तहत मंदिर के 300 मीटर निम्न प्रवाह में फल्गु नदी के बाएं तट पर 411 मीटर लंबा, 3 मीटर ऊंचा रबर डैम का निर्माण कराया गया है. इसमें फल्गु नदी के सतही और उप-सतही जल प्रवाह को रोककर जल का संचयन किया गया है और ठहरे हुए पानी के समय-समय पर प्रतिस्थापन के लिए बोरवेल की स्थापना की गई है.

क्या होता है रबर डैम?: रबर डैम बैलून की तरह होता है. विशेष परिस्थिति में बैलून की हवा निकाले जाने का इंतजाम होता है. पुल को 6 स्पेन में तैयार किया गया है. स्पैन उसे कहते हैं जो पुल के साइड से दूसरे साइड की दूरी होती है. इसमें कंक्रीट की जगह रबर का इस्‍तेमाल किया गया है. यह पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल है. इसमें आधुनिक तकनीक का इस्‍तेमाल किया गया है. आइआइटी रुड़की (IIT Roorkee) के विशेषज्ञों की सलाह पर इसका निर्माण हुआ है. यहां पानी को रोकने के लिए कंक्रीट की जगह रबर बैलून का इस्‍तेमाल किया गया है.

फल्गु नदी पर रबर डैम बनाने की जरूरत क्यों पड़ी: फल्‍गु नदी में गंदे पानी और कचरे का ढेर लगा रहता था. कई बार इसे प्रदूषणमुक्‍त करने की कवायद हुई. रबर डैम बन जाने से इसे प्रदूषण से मुक्ति मिल गई है. शहर का प्रदूषित पानी अब बाहर की ओर प्रवाहित हो रहा है. विष्णुपद देवघाट से पूर्वी तट पर बनी पिंडवेदी जाने की दूरी कम गई है. पहले बाईपास होकर निजी वाहन से जाना पड़ता था. अब डैम के ऊपर स्‍टील पुल बन गया है. इससे श्रद्धालु देवघाट में कर्मकांड करने के बाद सीताकुंड पिंडवेदी का दर्शन करने जा सकते हैं. इस पैदल पुल के कारण अब 3 किलोमीटर की दूरी 1.4 किलोमीटर तक सिमट गई है. विष्णुपद मंदिर के निकट नदी में सतही जल प्रवाह बरसात के कुछ भाग को छोड़कर शेष दिनों में नगण्य रहता था. इससे देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती थी. अब इसका समाधान कर दिया गया है. इस पितृपक्ष को श्रद्धालु रबर डैम के जल का उपयोग करेंगे. डैम बन जाने से गया शहर के पेयजल संकट दूर हो गया है. यहां गर्मी अलावा अन्य दिनों में भी पानी का स्तर काफी नीचे चला जाता था. सालों भर पेयजल की किल्लत से शहर जूझता था. फल्गु के पूर्वी और पश्चिमी तट पर बसे गया शहर के लोग प्यास बुझाने के लिए भटकते थे. डैम बन जाने से यह संकट समाप्त हो गया है.

तीर्थयात्रियों को बड़ी राहत: पंडा समुदाय मोक्षदायिनी फल्गु नदी में सालों भर तर्पण करने के लिए पानी रहने की मांग काफी समय से कर रहे थे. विष्णुपद मन्दिर प्रबन्धकारिणी समिति के सदस्य महेश लाल गुपुत ने कहा कि फल्गु नदी का पानी पितरों के लिए अमृत के सामान है. इसकी एक-एक बूंद का बड़ा महत्व है. उन्होंने कहा कि देवघाट के पास सालों भर पानी रहने से तीर्थयात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी. फल्गु नदी में कहीं दूसरी जगह का पानी नहीं मिलाया जाएगा.

समय से पहले सीएम ने करवाया रबर डैम का काम पूरा: सदियों से फल्गु नदी में पानी नहीं रहने के कारण पिंडदानियों को तर्पण देने में काफी कठिनाइयां होती थी. पानी के लिए फल्गु में गड्ढा खोदना पड़ता था, तब जाकर थोड़ा बहुत पानी पिंडदान तर्पण को मयस्सर हो पाता था. वहीं गया में कई दफा आने के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिंडदान के बीच पानी की समस्या को नजदीक से समझा था. इसके बाद उन्होंने फल्गु नदी में रबर डैम बनाने का निर्णय लिया था. वर्ष 2019 में इस योजना पर काम शुरू किया गया था और इसे 2023 तक पूरा होना था. लेकिन पितृपक्ष मेला 2022 को देखते हुए सीएम नीतीश ने मेला के पहले ही कार्य योजना को पूरा कर लेने का निर्देश दिया था, जिसके कारण काफी तेज गति से रबर डैम का निर्माण का काम शुरू हुआ. पितृपक्ष मेला 2022 शुरू होने के पहले इसे पूरा कर लिया गया. इसे 324 करोड़ की लागत से बनाया गया है. अब देवघाट के तट पर फल्गु नदी में विष्णुपद मंदिर के नजदीक सालों भर जल उपलब्ध कराने के लिए गयाजी डैम का निर्माण करवाया गया है.

रबर डैम की ये है विशेषता: विष्णुपद मंदिर के निकट फल्गु नदी के सतही प्रवाह को रोकने के लिए 3 मीटर ऊंचा और 411 मीटर की लंबाई में भारत का सबसे लंबा रबर डैम का निर्माण 324 करोड़ रुपये की लागत से करवाया गया है. जिसमें 65- 65 मीटर लंबाई के 06 span हैं. इसके रबर ट्यूब में आधुनिक स्वचालित विधि से हवा भरी एवं निकाली जा सकती है, जिसके कारण फल्गु नदी के जल के प्रवाह एवं भंडारण को प्रभावी रूप से संचालित किया जा सकेगा. इसके साथ ही श्रद्धालुओं के विष्णुपद घाट से सीताकुंड तक पिंडदान के लिए जाने के लिए रबडर डैम के ऊपर 411 मीटर लंबा स्टील पैदल पुल का भी निर्माण किया गया है. इसके साथ ही पैदल पुल से उतरकर सीताकुंड तक पहुंचने के लिए पैदल पथ भी तैयार किया गया है. श्रद्धालुओं द्वारा पिंडदान के समय उपयोग किए जा रहे नदी के पानी की स्वच्छता बनाए रखने के लिए बाएं तट पर 752 मीटर की लंबाई में भूमिगत मनसरवा नाला का भी निर्माण किया गया है.


सबसे बड़ा रबर डैम कैसे?: बिहार के गया का नाम एक बार फिर से इतिहास के पन्नों में रबर डैम के कारण दर्ज हो गया है. गयाजी रबर डैम देश का सबसे बड़ा रबर डैम है. आंध्र प्रदेश में देश का पहला रबर डैम 2006 में बना था. जंजावती डैम स्पिल वे की लंबाई 89.50 मीटर और एनओएफ बांध की लंबाई 154 मीटर है. वहीं यूपी में भी रबर डैम का निर्माण हो रहा है. 340 मीटर के कुल रबर डैम में 55-55 मीटर के पांच बैलनू गेट का निर्माण होगा. रबर डैम में जलस्तर 148 मीटर रहेगा. रबर बांध की तकनीक चीन और साउथ कोरिया में वर्षों से उपयोग में आ रही है. वहीं गया का रबर डैम 3 मीटर ऊंचा और 411 मीटर की लंबा है.

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